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भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक अन्याय के मुद्दे पर मोदी को घेरे विपक्ष!
2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में विपक्षी दलों द्वारा एकजुटता के लिए जो तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, डीएमके द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय सम्मलेन अघोषित रूप में उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी एकता का खास प्रयास हुआ है। और अगर ऐसा है तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद प्रभावी प्रयास है। क्योंकि इस एकजुटता का आधार सामाजिक न्याय का मुद्दा है जो तेजस्वी यादव के शब्दों में \\\'धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।
काम तो करने दो यारो!
मोदीजी, उनकी सरकार, उनका संघ परिवार, इतना ज्यादा काम क्यों करते हैं? बताइए, दिल्ली वाले केजरीवाल ने तो सीधे-सीधे मोदीजी के अठारह-बीस घंटे काम करने पर ही आब्जेक्शन उठा दिया।
निरंकुश सरकार से डाइवर्सिटी एजेंडा लागू करवाना बहुत बड़ी राजनीतिक जीत होगी
इच्छा शक्ति के अभाव में बहुजन नेतृत्व इसके सदव्यवहार से मीलों दूर रहे। क्रांति का अध्ययन करने वाले तमाम समाज विज्ञानियों के मुताबिक़ जब वंचित वर्गों में सापेक्षिक वंचना का भाव पनपने लगता है, तब उन में शक्ति संपन्न वर्ग के खिलाफ आक्रोश की चिंगारी फूट पड़ती है और वे शासकों को सत्ता से दूर धकेल देते हैं।
रौद्र और कोमल की जुगलबंदी की जुगत के पीछे क्या है?
संगीत, भारतीय शास्त्रीय संगीत में स्वर और रागों का एक ख़ास विधान है। स्वर की नियमित आवाज को उसकी निर्धारित तीव्रता से नीचा उतारने...
भारी होती परेड, हल्का पड़ता गणतंत्र
भारतीय गणतंत्र अपने तिहत्तर साल पूरे करने के बाद आज वास्तव में किस दशा में है, इसकी तस्वीर पूरी करने के लिए, बस इमरजेंसी...
सवर्णपरस्त नीतियों के नायक मोदी के आठ साल
गत 30 मई को मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज करा ली। 30 मई, 2019 को उन्होंने 15वें प्रधानमंत्री...
उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता के मायने
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जैसे-जैसे मतदान के चरण समाप्त हो रहे हैं वैस-वैसे चरण दर चरण कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश...
यूपी के राज ठाकरे बन रहे मोदी-योगी (डायरी 11 फरवरी, 2022)
देश को गृह युद्ध की तरफ धकेला जा रहा है। इसे रोकने की जिम्मेदारी भारत की जनता को है और इसके लिए मीडिया को...
दूर-दूर से लाई गई किराये की भीड़ और बनारस के लोग नज़रबंद किये गए
चुनाव का प्रचार एवं रैली कितनी आवश्यक है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली के...
बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
लोहिया और बाद में जे.पी. के समय जो ग़लती समाजवादियों से हुई उसके प्रायश्चित का समय नजदीक आता जा रहा है। पर क्या यह...
इस देश के ओबीसी रोते क्यों हैं, चिल्लाते क्यों नहीं? डायरी (27 सितंबर 2021)
आज पहले कुछ आखन-देखी। सुबह के करीब साढ़े आठ बजे हैं। जगह है दिल्ली का लक्ष्मीनगर मुहल्ला। बीते सवा चार वर्षों से इसी इलाके...
एमके स्टालिन : बहुजनों के मोदी !
हाल के दिनों में तमिलनाडु के स्टालिन सरकार से जुड़ी कोई भी खबर फेसबुक पर लोगों को खूब आकर्षित कर रही है। इसी क्रम...
प्रजातान्त्रिक प्रक्रियाएं और कश्मीर की गुत्थी
सन 2019 के पांच अगस्त को राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश जारी कर कश्मीर को स्वायत्तता प्रदान करनी वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द...

