आधी रोटी खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे के नारे में समयोचित बदलाव कर दिया गया है। अब 2021 का नारा है -आधी रोटी खाएंगे, मोदी को ही जिताएंगे। ध्यान दीजिए, भाजपा को जिताने की नहीं, मोदी को जिताने की बात हो रही है, भले ही भाजपा का भी यही सपना है। पहले इंदिरा को ले आएंगे का नारा लगता था, अब मोदी को ले आने का नारा लग रहा है। योगी तो मोदी की ही छवि हैं, मोदी को लाने में अंतर्निहित।
इस अभियान में दलित और बहुजन कहां खड़े हैं, यह भी पहेली नहीं रह गया है संविधान का पहरुआ दलित, सरकार का पहरुआ बहुजन। यही इस संवैधानिक तानाशाही का नया समीकरण है। एक और समीकरण देख सकते हैं। गांजे की पुड़िया पर सरकार सजग है, 21000 करोड़ के 30000 कीलो नारकोटिक्स पर सोई है। सरकार कौन चला रहा है, यह छुपाया भी नहीं जा रहा है अब। सरकार किसके लिए काम कर रही है, किसान के लिए कि कॉर्पोरेट के लिए, यह भी नहीं छिपाया जा रहा है ।
