कृषि क्षेत्र में रोजगार लगातार घट रहा है। भारत में 1972-73 में कृषि क्षेत्र में 74 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता था, वहीं 1993-94 में 64 प्रतिशत और अब केवल 54 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है। इसी तरह, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 1972-73 में 41 प्रतिशत, 1993-94 में 30 प्रतिशत और अब घटकर मात्र 14 प्रतिशत रह गया है।
पिंडरा तहसील पर संयुक्त किसान मोर्चा, वाराणसी ने वादाखिलाफी प्रतिकार दिवस मनाया। राष्ट्रपति को सभा का संबोधित ज्ञापन सौंपा। सभा को रामजनम, अफलातून, लक्ष्मण...
आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट मांग करता है कि धान/गेहूं की खरीद में हो रहे भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच कराई जाए। वर्तमान में धान खरीददारी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जाए और सरकार किसानों से सरकारी रेट पर खरीदारी सुनिश्चित करे। साथ ही आईपीएफ सभी किसान संगठनों से भी अपील कर है कि वे धान की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार का विरोध करें, ताकि किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी मूल्य मिल सके।
किसान जिस एमएसपी गारंटी के कानून की बात कर रहे हैं, उसे लेकर देश का कारपोरेट जगत सदमे में है। दरअसल, यदि यह कानून बन गया तब किसानों को हर हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होगा। ऐसे में वे खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य में किसानों की उपज नहीं खरीद सकेंगे।
दोलन कई सरकारी षडयंत्रों का निशाना बनाया गया है। लखीमपुर खीरी में निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ा दिया गया जिसमें चार किसान शहीद हुये। लेकिन लगता है आंदोलन की आंच अब पूरे देश में फैल रही है। ये लोग जो चंपारण से पदयात्रा करके यहाँ तक आए हैं वे अपने हिस्से का संघर्ष उन तमाम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं जिनके भीतर किसानों के लिए संवेदना है।