7 राज्यों में 13 सीटों पर हुए उपचुनाव में इंडिया गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव जीत लिया। भाजपा को कुल 2 सीटों पर जीत हासिल हुई। इससे एक बात स्पष्ट हो गई कि जनता भी अब जायज़ मुद्दे पर ही चुनाव में प्रतिनिधि का चुनाव करेगी। जनता हिंदुतव और धर्म के मुद्दे से ऊब चुकी है। लोकसभा चुनाव में भी जनता की मंशा सामने आई थी और विधानसभा उपचुनाव के ये नतीजे भी संकेत कर रहे हैं कि राजनैतिक दल यदि ऐसे ही रहे तो उनका चुनाव जीतना मुश्किल होगा।
पिछले दस वर्षों के दो कार्यकाल में मोदी ने ध्रुवीकरण को करने के लिए साम-दंड-भेद सभी तरीके अपनाए, वह सामने है। मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक ज़हर से भरे हुए भाषण, उनके पहनावे, खान-पान, बुर्का-हिजाब, गाय की तस्करी को लेकर हुई मॉब लिंचिंग, लव जेहाद, सीएए/एनआरसी जैसे अनेक मामले सामने आए। तीसरे कार्यकाल में मुसलमानों की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्थिति में कितना और कैसा बदलाव होगा? समय के साथ सामने आएगा।
एनडीए के शपथ ग्रहण के बाद मंत्रालय का विभाजन होगा, जिसमें भाजपा ने अपने मंत्रियों के लिए मंत्रालय की घोषणा भले न की हो लेकिन मंत्रालय तय कर दिए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि लोकसभा स्पीकर किसे बनाया जाएगा? साथ ही क्या लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए विपक्ष को मौका मिलेगा?
वर्ष 2019 में बीजेपी के 303 सांसद लोकसभा में पहुंचे थे। अबकी बार 70 सीट अधिक लाने की बात कर रहे हैं, याने बीजेपी की कुल सीटें 370 होंगी। इस बार बीजेपी गठबंधन के साथ 400 पार की बात कर रही है। पिछले चुनाव में गठबंधन की 50 सीटें थीं लेकिन इस बार जो गणित बीजेपी ने तय किया, उसमें 30 सीटों पर आने की संभावना है। पढ़िए महेंद्र यादव का चुनाव पर विश्लेषणात्मक लेख
विपक्षी गठबंधन इंडिया भाजपा की सीटों में से करीब 70 सीटों की कमी करना चाहता है और उसे लगता है कि भाजपा के कुल योग यानी कि 303 में से करीब 70 सीटें कम हो जाएं तो वह 220-250 के आसपास रह जाएगी और बहुमत से इतने दूर हो जाएगी कि फिर अन्य दलों के सहयोग से भी वह सरकार नहीं बना पाएगी।
लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होने के बाद, सभी राजनैतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर रहे हैं, इसी क्रम में आज बिहार में जनता दल(यूनाइटेड) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने 16 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है।
बिहार की चर्चित मधेपुरा सीट से 2014 में आरजेडी के सिम्बल पर पप्पू यादव ने जीत दर्ज की लेकिन क्या 2024 में पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव मोदी-नीतीश के डबल इंजन को रोक पाएंगे?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बीते 17 महीने में बिहार का नौवां दौरा है। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा हमेशा की तरह ही सीरियस और पेशेवर रवैया रखती दिखाई दे रही है।
बिहार के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया, ‘भाजपा प्रलोभन देकर अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के माध्यम से धमकियां भी दी जा रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी अपने विधायकों को तोड़े जाने की निंदा करती है।
भाजपा जिस तरह अब से पूर्व अपनी विपक्षी पार्टियों का मज़ाक उड़ाती रही है पर इस बार मज़ाक उड़ाने की सोच पर भी उसे अनचाहे अंकुश लगाना पड़ेगा। इंडिया पर हमला करना भाजपा के लिए कठिन काम होगा। संगठन के रूप में इंडिया भले ही भारत का प्रतीक नहीं हो पर उसका ध्वन्यात्मक भाव देश से ज्यादा देश की जनता का प्रतीक बनता दिख रहा है।
कांग्रेस के अतिरिक्त विपक्ष के सभी बड़े दलों के प्रदेश स्तरीय होने से उनके हितों में कोई आपसी टकराव नहीं होगा किन्तु कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और देश के लगभग सभी राज्यों में कम-ज्यादा उसकी राजनीतिक हिस्सेदारी है। इस वजह से वह राज्य में कांग्रेस को स्थानीय पार्टियों के साथ समझौता करना पड़ेगा। इसके अलावा कुछ पार्टियां उन राज्यों में भी चुनाव लड़ने की बात कर सकती हैं जहां वह जिताऊ स्थिति में नहीं है लेकिन 2 से 6 प्रतिशत तक की वोट की हिस्सेदारी कुछ सीटों पर उनके पास है।