देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का समझौता कॉर्पोरेट से होता रहता है लेकिन उस मजबूत हुई अर्थव्यवस्था का असर आम जनता के जीवन की जरूरतों पर दिखाई नहीं देता बल्कि पूँजीपतियों का दुनिया के रईसों की सूची में आए हुए उनके नाम से सामने आता है। आर्थिक आंकड़ें और सामाजिक सूचकांकों में हुई प्रगति का विश्लेषण करने पर यह भले अन्य देशों से बेहतर दिखाई देगा लेकिन जमीनी हकीकत बद से बदतर है।