देश के लिए जरूरी हैं शरद यादव, लालू यादव और मुलायम सिंह यादव का पराक्रम(डायरी, 27 नवंबर 2021)
नवल किशोर कुमार
दिलचस्प यह है कि जनसत्ता ने आज इसी मुद्दे पर अपना मुख्य संपादकीय आलेख भी प्रकाशित किया है। यह आलेख जनसत्ता के संपादक ने लिखी है। वह ईडब्ल्यूएस को लेकर चिंतित हैं और उन्हें उम्मीद है कि सरकार कोई ना कोई सकारात्मक फैसला लेगी। सकारात्मक फैसले का मतलब क्या हो सकता है? आइए, इसी पर विचार करते हैं।
लालू प्रसाद ने क्रीमीलेयर को गैर संवैधानिक बताते हुए कहा था– आरक्षण कोई भीख नहीं है। वहीं 18 मार्च, 1999 को उन्होंने कहा– आज भी सवर्ण लोग आरक्षण को अपने ऊपर आघात मानते हैं, जो कि बिल्कुल गलत बात है। यह तो वंचित समाज को आगे लाने का उपक्रम है। यह लालू प्रसाद का पराक्रम ही था कि संसद में महिला आरक्षण के सवाल पर 9 जून, 2009 को लोकसभा में हुई बहस के दौरान छाती ठोंककर कहा था– महिला आरक्षण में हम कलावती और भगवतिया देवी को देखना चाहते हैं।
