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वह दिन कब आएगा जब महिलाओं को बर्दाश्त करने से आजादी मिलेगी? (डायरी 24 अक्टूबर, 2021)

एक पिता होने के कारण मैं यह महसूस करता हूं कि मुझे सबसे अधिक खुशी तब मिलती है जब मैं अपने बच्चों को खाते-खेलते-पढ़ते...

फासिस्ट सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए छालों की परवाह नहीं

दोलन कई सरकारी षडयंत्रों का निशाना बनाया गया है। लखीमपुर खीरी में निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ा दिया गया जिसमें चार किसान शहीद हुये। लेकिन लगता है आंदोलन की आंच अब पूरे देश में फैल रही है। ये लोग जो चंपारण से पदयात्रा करके यहाँ तक आए हैं वे अपने हिस्से का संघर्ष उन तमाम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं जिनके भीतर किसानों के लिए संवेदना है।

आरक्षण मजाक का विषय नहीं है जज महोदय (डायरी 22 अक्टूबर, 2021)

समाज को देखने-समझने के दो नजरिए हो सकते हैं। फिर चाहे वह दाता और याचक के नजरिए से देखें या फिर श्रमजीवी और परजीवी...

लखीमपुर खीरी नरसंहार के मामले में सियासत के इस पेंच को आप समझते हैं?(डायरी 9 अक्टूबर 2021)

राजनीति की खासियत यह है कि इसकी दिशा एकदम से सीधी नहीं होती है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि राजनीति का संबंध सत्ता...

सुप्रीम कोर्ट का सहज संज्ञान और सरकार का रवैया

लखीमपुर खीरी की बर्बरतापूर्ण घटना के बाद इंटरनेट पर वायरल हुये वीडियो और मारे गए किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल किसानों के बयान...

 ब्राह्मणों के जैसे कब जागेंगे दलित, पिछड़े और आदिवासी? डायरी (30 सितंबर, 2021)

शब्द बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। मैंने हमेशा यही माना है। हर शब्द की अपनी मर्यादा भी होती है। उपयोग करने के दौरान आवश्यक अनुशासन...

गांव के लोग न्यूज अपडेट

चन्दौली के चहनियां ब्लाक परिसर में 25 सितंबर को होगा गरीब कल्याण दिवस का आयोजन, जिसमें सरकारी विभागों द्वारा संचालित योजनाओं का किया...

दिल्ली, तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं डायरी (14 सितंबर, 2021)

दिल्ली इन दिनों बहुत परेशान है। इसकी परेशानी का आलम यह है कि यहां के राजपथ पर हुक्मरानों की आवाजाही बढ़ गई है। हालांकि...

भावनाएं केवल ताकतवालों की आहत होती हैं जज साहब! डायरी (3 सितंबर, 2021)

कल का दिन बेहद खास रहा। खास कहने के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण नहीं है। वैसे भी जब आदमी तन्हा हो तो व्यक्तिगत कारणों...

ब्राह्मणवाद पर अदालती प्रहार डायरी (19 अगस्त, 2021)

परिस्थितियां एक जैसी कभी नहीं रहतीं। बदलती रहती हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह बदल रही परिस्थितियों के अनुरूप खुद को...

‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)

भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...

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