पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व लिए जल एक अपरिहार्य तत्व है। भारतवर्ष में हजारों नदियां हैं, झील, ताल, तालाब और झरने अपनी खूबसूरती के साथ यत्र-तत्र विद्यमान हैं लेकिन भारतीय सिनेमा में पानी और उससे जुड़े मुद्दों को बहुत कम स्पेस मिला है। हालांकि पानी और सिनेमा का हमेशा से करीबी रिश्ता रहा है लेकिन वह पानी के रोमांटिक पक्ष पर ही ज्यादा केंद्रित रहा है। भारतीय सिनेमा में जब हम हिन्दी भाषा से अलग अन्य भाषाओं के सिनेमा को देखते हैं तो पता चलता है कि सामाजिक और पर्यावरणीय विषयों पर कुछ गंभीर निर्देशकों ने सार्थक फिल्में बनाई हैं। पढ़िए डॉ राकेश कबीर का विश्लेषणपरक लेख
जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर रौशनगंज पंचायत स्थित इस गांव के लगभग हर घर में नल जल योजना के तहत लोगों को पीने का साफ़ पानी उपलब्ध हो रहा है। अनुसूचित जाति बहुल इस गांव में लगभग 350 परिवार रहते हैं, जिन्हें प्रतिदिन पीने का साफ़ पानी उपलब्ध हो रहा है। इसका सबसे सकारात्मक प्रभाव महिलाओं और बच्चों के जीवन पर पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र महमूरगंज स्थित मलिन बस्ती के लोग काट रहे अधिकारियों और नेताओं के चक्कर
आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला
वाराणसी। महमूरगंज स्थित...