बस्ती जनपद में हैंडपंप खराबी के चलते लोगों को पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। जनपद के ज्यादातर हैंडपंप खराब हैं और पानी नहीं दे रहे हैं। जो नल चल भी रहे हैं उनमें गन्दा पानी आ रहा है साथ-साथ उनमें बदबू भी आ रही है इसके बावजूद पीने के पानी की कोई दूसरी व्यवस्था ना होने से ग्रामवासियों को मजबूरन इस पानी का उपयोग करना पड़ रहा है। यह पानी पीने के योग्य बिल्कुल भी नहीं होता है। समाज के जागरूक परिवार इस पानी को पीने के योग्य बनाने के लिए पानी को उबालकर व छानकर प्रयोग में लाते हैं। इस तरह के गंद पानी की वजह से महिलाओं को और कुछ ज्यादा ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। घर की साफ-सफाई, बर्तन धोने और कपड़े धोने का कार्य महिलाओं के जिम्मे होता है।
नागरिकों को शुद्ध और स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए गांव-गांव में सार्वजानिक स्थानों पर इण्डिया मार्क टू हैंडपंप लगवाया गया था जिससे लोगों को पीने के लिए शुद पेयजल मिल सके। शुध्ह जल ना मिल पाने की वजह से जलजनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। बस्ती जनपद के सभी 1185 ग्राम पंचायतों में भी 20 से 50 हैंडपंप लगाया गया था। लेकिन आज वहां कि स्थिति ये है की ग्राम पंचायतों में लगे अधिकतर हैंडपंप ख़राब हो चुके है और जो ठीक भी है वो दूषित पानी दे रहा है। जिसको पी कर लोग बीमार हो रहे है। ख़राब और दूषित जल देने वाले हैंडपंप की मरम्मत करवाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत कि होती है लेकिन हैंडपंपों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। शिकायत के बाद भी महकमे की ओर से खराब हैंड पंप ठीक नहीं कराए गए हैं। बल्कि कागजी घोड़े दौड़ाकर रिबोर के नाम पर धन की बंदर बांट कर ली गई है।
ग्राम पंचायत बेलभरिया, भादी, पैड़ा खराहरा, पडिया, मझौवामीर सहित पूरे जिले का लगभग यही हाल है। ख़राब और दूषित हुए हैंडपंप कि वजह से ग्रामवासियों को शुद्ध पेयजल न मिलने से कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ग्राम खराहरा निवासी राम अनुज ने बताया कि उनके गांव में आधा दर्जन से अधिक हैंडपंप खराब हो चुके है और जो उनके घर के सामने हैंडपंप है वह पीला पानी दे रहा है। जिसको पीने की बात तो दूर है नहाया भी नहीं जा सकता इस पानी में बालू भी खूब आ रही है। तमाम शिकायतों के बाद भी हैंडपंप ठीक नही कराया जा रहा है।
शुद्ध पेय जल हर मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है पर बस्ती के लोग शुद्ध पेय जल के गम्भीर संकट से गुजर रहे हैं।