प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र महमूरगंज स्थित मलिन बस्ती के लोग काट रहे अधिकारियों और नेताओं के चक्कर
आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला
वाराणसी। महमूरगंज स्थित मलिन बस्ती के अधिकतर लोग काफी परेशान और चिंतित हैं। यहाँ के दर्जनों परिवार को जलकल विभाग ने हजारों रुपये का ‘बिल’ थमाकर इसे जल्द से जल्द भरने का ‘फरमान’ सुना दिया है। मामला अटल योजना (अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन यानी अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन) के तहत दिए गए ‘वॉटर कनेक्शन’ से जुड़ा है। हैरत करने वाली बात यह है कि पाँच बरस पहले यहाँ कनेक्शन दिया गया। लेकिन पिछले पाँच वर्षों में इन नलों से आज तक लोगों को एक बूँद पानी मयस्सर नहीं हुआ। कनेक्शन के साथ पानी की सप्लाई की यूनिट जानने के लिए लोगों के घरों में वाटर मीटर भी लगाया गया। लेकिन जब पानी की सप्लाई ही नहीं हुई तो मीटर की रीडिंग भी अधिकांश वॉटर मीटर में शून्य ही है। कुछ ही घरों में मीटर की रीडिंग दो यूनिट तक दिखाई दे रही है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि पाँच वर्षों में जब पानी ही नहीं आया तो बिल भी नहीं भेजा गया लेकिन अब जलकल विभाग ने अटल योजना (AMRUT) का बिल लोगों के नाम से भेजा है और विभाग जल्द ही इसके भुगतान के लिए दबाव बना रहा है।
अपनी इस शिकायत को दर्ज करवाने और उसके समाधान के वास्ते यहाँ के लोग आए दिन सम्बंधित विभाग के अधिकारियों और नेताओं के चक्कर काट रहे हैं।
छह माह पहले याने जनवरी में जलकल विभाग के कर्मचारी ने इस मोहल्ले में पानी का बिल पहुँचाया तो लोग अवाक रह गए। और बिल हजारों में आया हुआ है। बिल आने के बाद परेशान दर्जनभर लोग अपने-अपने तरीके से इसकी शिकायत इस विभाग के साथ सम्बंधित अधिकारियों से कर चुके हैं।
यह कहते हुए महमूरगंज निवासी शिवनारायण प्रजापति निराश हो जाते हैं। वह बताते हैं कि 2018 के फरवरी या मार्च माह में जलकल विभाग के कुछ लोग अमृत योजना प्रथम अभियान के तहत मोहल्ले में आए एवं नि:शुल्क व्ययवस्था के तहत पानी का कनेक्शन और मीटर लगाकर चले गए। उस समय भी यहाँ पानी की इतनी दिक्कतें थीं कि अगल-बगल के घरों में, जहाँ बोरिंग है, वहाँ से पानी की व्यवस्था कर अपना काम चला रहे थे और आज भी यही स्थिति बनी हुई है। अमृत योजना के अंतर्गत नल लगने के बाद लगा कि इस समस्या से निजात मिल जाएगी। हमें बताया गया था कि थोड़े दिन बाद पानी आने लगेगा। लेकिन कनेक्शन लगने के बाद से आजतक एक बार भी इन नलों में पानी की एक बूंद नहीं आई। बिल भी नहीं आता था तो हम भी निश्चिंत थे। लेकिन पाँच बरस बाद एक दिन अचानक जलकल विभाग का कर्मचारी सायकिल से आया और मेरी पत्नी को एक ‘बिल’ थमाकर चला गया। अगले दिन जब मैंने अटल योजना के तहत 5892 रुपये का बकाया बिल देखा तो अवाक रह गया। इस कनेक्शन को लगाते हुए अधिकारियों की कही गई बात याद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि यह व्यवस्था नि:शुल्क है!
यह मामला अमृत योजना के बंदरबांट की कहानी बता रहा है। यहाँ के ‘माननीय’ और ‘आदरणीय’ अपनी हुँकार के साथ सिर्फ अपनी ‘नेतागिरी’ चमका रहे हैं। दबी जुबान में मोहल्लेवासियों का भी कहना है कि इस मामले में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अमृत योजना का कनेक्शन देकर सरकारी योजना का बंदरबांट किया गया है। जलकल विभाग के ठेकेदारों द्वारा लोगों को गुमराह कर शुद्ध पेयजल के नाम पर ‘फ्री कनेक्शन’ दिया गया, लेकिन अब उनको बिल की धनराशि देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। यहाँ के लोगों ने इसकी शिकायत कई बार पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) से लेकर जलकल विभाग को किया, लेकिन निस्तारण तो दूर अधिकारी सुनने को भी तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि किसी भी कीमत पर आपको बिल का ‘भुगतान’ करना ही पड़ेगा!
शिवनारायण ने वाराणसी के जिलाधिकारी को बीते छह फरवरी को इस मामले का शिकायत पत्र रजिस्ट्री डाक से भेजा था। उन्होंने सांसद और देश के प्रधानमंत्री को भी पत्र के माध्यम से इस मामले की जानकारी देते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। महीनों बीत जाने और निराश होने के बाद शिवनारायण ने इसकी शिकायत जब कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव से की तो उन्होंने जलकल के महाप्रबंधक को निर्देशित करते हुए लिखा- ‘जल नहीं, तो कर नहीं, शिकायत का न्यायोचित निस्तारण कराएँ।’ इस आदेश को तीन माह बीत चुके हैं लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। न ही कोई कर्मचारी मौका-ए-पड़ताल को आया है।
मलिन बस्ती की चन्नर देवी इस बस्ती में काफी लम्बे अरसे से रह रही हैं। वह बताती हैं कि शादी के बाद जब मैं आई, तभी से यहाँ पानी की समस्या है। आज बाल-बच्चे हो गए, काफी लम्बा समय बीत चुका है। सड़कें हर साल ऊँची हो जाती हैं लेकिन गली की समस्याओं का स्तर गिरता जा रहा है। काफी शिकायतों के बाद यहाँ की गली में सीवर बिछा था, इस काम को पूरा हुए दसियों साल हो गए। यहाँ पानी की बहुत समस्या है। घंटा-दो-घंटा सुबह-शाम पानी आता तो है लेकिन उसकी धार काफी धीमी और पतली होती है। शिकायतों के बावजूद समाधान नहीं हो पाता। नेताओं को भी इसकी जानकारी है, लेकिन अभी तक हमारी शिकायत का समाधान नहीं हुआ। मुझे अटल योजना के अंतर्गत लगाए गए सूखे नल के लिए लगभग पाँच हजार का बिल दिया गया है। जब कभी पानी आया ही नहीं तो बिल कैसा और यह तो नि:शुल्क सुविधा है जनता के लिए, तब कैसा बिल और कैसा भुगतान? शिकायत विभाग को की गई है। देखिए कब समाधान होता है?
राकेश कुमार भी इस समस्या से काफी परेशान हैं। कनेक्शन उनके यहाँ भी है लेकिन पानी आजतक नहीं आया। उनके यहाँ पानी का सरकारी पाइप का कनेक्शन है लेकिन आजतक उसका उपयोग नहीं किया। स्वयं की बोरिंग मशीन से पानी लेकर काम चल जाता है। राकेश अन्य लोगों को भी पानी दे देते हैं।
सबसे दयनीय स्थिति बुजुर्ग प्रह्लाद की है। ये 60 बरस के हो चुके हैं। इन्हें आज भी पानी के लिए सड़क पर स्थिति हैंडपम्प से भरना पड़ता है या कभी-कभी पड़ोसियों के यहाँ से पानी मिल जाता है। मैंने घर के नहानघर में, जो छोटे से आँगन में बना हुआ था, जाकर अमृत योजना का मीटर लगा था का ढक्कन खोलकर देखा तो मीटर पर रीडिंग ज़ीरो दिख रही थी। उन्होंने कहा कि अब आप ही बताइए कि विभाग को किस बात का बिल दें? मीटर अभी जीरो है, एक भी दिन पानी नहीं आया, तो बिल काहे का?
बात को आगे बढ़ाते हुए उर्मिला बताती हैं कि हम लोग बहुत गरीब हैं। सम्मान के साथ जीते हैं। किसी भी सरकारी विभाग में कोई बकाया नहीं रखना चाहते। बिल की राशि का भुगतान नहीं करने पर चक्रवृद्धि ब्याज के साथ भुगतान करना होगा, जो हम नहीं कर पाएँगे। हम जानते हैं कि पानी का बिल साल में एक बार आता है। योजना के तहत अगर कनेक्शन लग गया तो विभाग वालों को हर साल बिल देना चाहिए था। हजारों रुपये का इकट्ठा बिल हम देने में अक्षम हैं। नल में एक भी दिन पानी नहीं आया, इस बात का भी गुस्सा है।
मलीन बस्ती में अमृत योजना के तहत पानी कनेक्शन का मामला 11 अप्रैल को समाचार-पत्र अमर उजाला और 16 अप्रैल को आईनेक्स्ट में प्रकाशित हो चुकी है। इस खबर में स्थानीय लोगों ने अपनी समस्याएँ बताई थीं, जिस पर जलकल के सचिव सिद्धार्थ कुमार ने बयान दिया था कि ‘मामला संज्ञान में नहीं है। अमृत योजना में पानी का कनेक्शन दिया गया है। यहाँ के मामले की जाँच करके समस्या का समाधान कराएँगे।’ इस रिपोर्ट और बयान के आज तकरीबन तीन माह बीतने वाले हैं, बावजूद इसके समस्या का समाधान न होना विभागीय लापरवाही को उजागर करती है।
बीते वर्ष अप्रैल माह में अमृत योजना के तहत अंग्रेजों के जमाने में आकार लेने वाली भदैनी-भेलूपुर योजना की क्षमता वृद्धि की बढ़ाए जाने का फरमान जारी हुआ था। इसके तहत वाराणसी के शहरी हुए 84 गाँवों में गंगा आधारित पेयजल प्रबंधन की कवायद भी शुरू हुई थी। जिलास्तर पर जल निगम को यह जिम्मेदारी दी गई थी। चिन्हित 84 गांवों में सर्वे भी प्रारंभ हो गया है। कितने नलकूप लगे हैं? कितने घर हैं? कितने पानी की जरूरत है? कितने घरों में निजी व्यवस्था हैं? आदि बिंदुओं को रेखांकित किया गया था। इसे आधार बनाकर गंगा आधारित पेयजल योजना को आकार दिए जाने का ‘प्लान’ था। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो बीते वर्ष के अंत तक यह तय था कि 250 एमएलडी शोधित जल से शहरवासियों की प्यास बुझाई जाएगी लेकिन मामला सिफर होते नहीं दिख रहा है।
यह भी पढ़ें…
312 ग्राम पंचायतों में टैंकरों से पानी की सप्लाई कर बुझाई जा रही प्यास
स्टांप एवं निबंधन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने भी उस समय कहा था कि गंगा आधारित पेयजल परियोजना को प्राथमिकता देना है। इसके लिए पहले से जो कार्य हुए थे और वह जनोपयोगी नहीं हो सके, उन्हें उखाड़कर नए सिरे से कार्य कराया जाएगा। इसके लिए सरकार स्तर पर हर संभव प्रयास कर गंगा आधारित पेयजल परियोजना को विस्तार दिया जाएगा।
इस मामले के बारे में जब जलकल विभाग की जेई चंदन यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ‘महमूरगंज के मलिन बस्ती में अमृत योजना-प्रथम के तहत पानी का कनेक्शन लगवाया गया था।’ हर वर्ष पानी का बिल दिया गया था या नहीं? के सवाल पर उन्होंने एक्सईएन से बात करने की सलाह दी।
जलकल विभाग के एक्सईएन ओपी सिंह ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि ‘अभी मैं मोदीजी के कार्यक्रम में हूँ। इस विषय में शनिवार को बात करिए…। थोड़ी देर बात उन्होंने फिर कहा कि इस मामले में मंगलवार को बात करिएगा।’ (एक्सईएन का बयान अगली रिपोर्ट यानी मंगलवार को अपडेट की जाएगी।)
achi ground report hai aman sir… vidhyak aur jlkl vibag ki sachchayi samne aa gyi…