उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व एमएलसी डॉ प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा है कि शिक्षक समुदाय केंद्र और प्रदेश की लुटेरी सरकार के खिलाफ लामबंद हो जाएं। नौ साल के दौरान इस सरकार ने शिक्षकों की 13 सुविधाओं को छीन लिया। यदि हम अब भी नहीं चेते तो यह सरकार हमारी सेवाएँ भी खत्म कर देगी।
डॉ प्रमोद मिश्र जय हिन्द विद्या इंटर कॉलेज अहरौरा मिर्जापुर में आयोजित जनपदीय सम्मेलन और शैक्षिक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षकों को बदनाम कर रही है तो दूसरी तरफ महानिदेशक स्कूल शिक्षा का नया पद बनाकर नाना प्रकार के आदेशों के माध्यम से उन्हें प्रताड़ित कर रही है। शिक्षक समुदाय ने अपनी सारी सुविधाएं कड़े संघर्षों और जेल की यातनाओं से प्राप्त की हैं। उसे बचाने की ज़िम्मेदारी अब नई पीढ़ी के शिक्षकों की है। सरकार ने शिक्षक समुदाय को बांटकर नए-नए गुट खड़े कर दिए और अब उन गुटों के नेताओं को भी नेस्तनाबूत कर रही है। शिक्षकों की आवाज विधान परिषद के भीतर न गूंजने पाये, इसलिए चुनाव के समय सारे सिस्टम को अपने कंट्रोल में कर लेती है। सरकार की मेहरबानी से विधान परिषद में पहुँचने वाले लोग सरकार के खिलाफ जाकर कभी भी शिक्षक के हित में नहीं बोल सकते।
कार्यक्रम में बोलते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष केदार दुबे ने कहा कि यदि शिक्षक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार नहीं होगा तो हमने संघर्षों से जो अर्जित किया है उसे भी गवा देंगे। कार्यक्रम में बोलते हुए मंडलीय महामंत्री गणेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पहले हमारी पेंशन छीनी गयी और लालीपाप के रूप में नयी पेंशन दे दी गयी। नयी पेंशन हमें स्वीकार नहीं है। आज देश में सिर्फ न्यायपालिका, सेना, और सभी जनप्रतिनिधियों को पुरानी पेंशन मिल रही है। बाकी सभी को लावारिशों कि भांति छोड़ दिया गया है। इस षडयंत्र को समझते हुए हमने सही समय पर सही कदम नहीं उठाया तो भाजपा कि यह सरकार हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी । यह हमसे हमारा सब कुछ छीन लेगी।
चिरईगाँव जूनियर माध्यमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष रवीद्रनाथ यादव कहते हैं कि सरकार शिक्षकों के साथ बड़ा अन्याय कर रही है। बीजेपी की सरकार बनने के बाद एक शिक्षक के दो बच्चे होने की स्थिति में प्रतिमाह मिलने वाला 400 रुपया बंद कर दिया गया। यही नहीं सेवा काल में ही मृत्यु होने की स्थिति में पहले जहां एक अध्यापक का बेटा एक शिक्षक की पूरी योग्यता रखने की स्थिति में बिना किसी बाधा के टीचर बन जाता था उस नियम में बदलाव कर देने के कारण अब किसी अध्यापक का बेटा सारी योग्यता के बावजूद अनुकंपा के आधार पर सिर्फ चपरासी की नौकरी ही प्राप्त कर सकता है।