नयी दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई को निरस्त करते हुए फैसला दिया कि गुजरात सरकार ने दोषियों से मिलीभगत कर उन्हें सजा से बरी कर दिया। कोर्ट ने गुजरात सरकार को अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के लिए डांट भी लगाई। सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते के अंदर जेल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
गुजरात सरकार के सजा में छूट देने के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने बिना सोचे समझे आदेश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फिर से जेल जाने का आदेश वाले निर्णय को देश के सभी लोगों ने सराहा और कहा सच की जीत हुई।
पीड़िता बिलकिस बानो ने इस निर्णय पर अपनी वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से एक बयान जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया और कहा, ‘वास्तव में आज मेरे लिए नया साल है। इस राहत से मेरी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए हैं। मैं डेढ़ साल से अधिक समय में पहली बार मुस्कुरा पाई हूं। मैंने अपने बच्चों को गले लगा लिया। ऐसा लगता है जैसे पहाड़ के आकार का पत्थर मेरे सीने से हटा दिया गया है, और मैं फिर से सांस ले सकती हूं।‘
बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों की सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय ऐसा ही महसूस होता है।
बिलकिस बानो ने कहा, ‘न्याय ऐसा ही महसूस होता है। मुझे और मेरे बच्चों को पूरे देश की हर जगह की महिलाओं को समान न्याय प्रदान करने का वादा करके मुझे समर्थन और उम्मीद बंधाये रखने के लिए उन सबका और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देती हूं।‘ अपनी बातों में यह भी कहा कि उनके जैसा संघर्ष कभी अकेले नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ मेरे पति और मेरे बच्चे हैं। मेरे पास मेरे दोस्त हैं जिन्होंने मुझे इतनी नफरत के समय में बहुत प्यार दिया है और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामा है। मेरे पास एक असाधारण वकील हैं, एडवोकेट शोभा गुप्ता, जो 20 से अधिक वर्षों तक मेरे साथ रही हैं और जिन्होंने मुझे न्याय के बारे में कभी उम्मीद नहीं खोने दी।’
उन्होंने कहा कि ‘डेढ़ साल पहले, 15 अगस्त, 2022 को, जब उन लोगों को, जिन्होंने मेरे परिवार को तबाह कर दिया था और मेरे अस्तित्व को आतंकित कर दिया था, उनकी जल्दी रिहाई से तो मैं टूट गई थी। तब ऐसा लगा था कि अब उनका धैर्य और साहस खत्म हो चुका है।‘ लेकिन दोषियों के छूटने के बाद भी देश भर से लोगों ने इसकी निंदा करते हुए मेरा साथ दिया।
उन्होंने कहा, ‘भारत के हजारों आम नागरिक और महिलाएं आगे आईं। वे मेरा साथ देते हुए मेरे साथ खड़ी हुईं। उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। पूरे देश से 6,000 लोगों और मुंबई से 8,500 लोगों ने अपीलें लिखी। 10,000 लोगों ने एक खुला पत्र लिखा। कर्नाटक के 29 जिलों के 40,000 लोगों ने भी ऐसा ही किया।‘
उन्होंने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘इनमें से प्रत्येक व्यक्ति को, उनकी बहुमूल्य एकजुटता और समर्थन के लिए मेरा आभार। आपने मुझे न केवल मेरे लिए, बल्कि भारत की हर महिला के लिए न्याय के विचार को बचाने को लेकर संघर्ष करने की इच्छाशक्ति दी। मैं आपको धन्यवाद देती हूं।‘