Sunday, October 13, 2024
Sunday, October 13, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलखबर का असर : भोगाँव श्मशान घाट पर चिता को आग देने...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

खबर का असर : भोगाँव श्मशान घाट पर चिता को आग देने का ठेका रद्द हुआ

मिर्ज़ापुर जिले के भोगाँव श्मशान घाट पर शव जलाने की आग का ठेका जिला पंचायत ने भोगाँव के ही ठाकुर जाति के व्यक्ति को दे दिया जिसके कारण दशकों से यह काम करते आए डोम-धरकार की आजीविका एक झटके में छिन गई। इसके विरोध में उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया। गाँव के लोग के मिर्ज़ापुर प्रतिनिधि संतोष देव गिरि ने इस पर दो विस्तृत रिपोर्ट की जिससे डोम-धरकार समुदाय को जनसमर्थन मिला और जिला प्रशासन को ठेका निरस्त करना पड़ा।

भोगाँव के दलित परिवारों द्वारा चिता को आग देने का ठेका दिये जाने के विरुद्ध व्यापक विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के चलते जिला प्रशासन को ठेका रद्द करना पड़ा। इस मामले में पीड़ित समुदाय की खबरों को गाँव के लोग ने प्रमुखता से छापा।

गौरतलब है कि कोन विकास खण्ड के भोगांव श्मशान घाट पर चिता को आग देने का काम स्थानीय धरकार समुदाय के लोग करते आ रहे थे जिससे उनकी आजीविका चलती थी। लेकिन कुछ महीने जिला पंचायत ने इस जगह पर आधिपत्य जमा लिया और प्रति चिता एक हज़ार रुपए फीस तय कर दी। इस काम का ठेका ठाकुर जाति को दे दिया गया जिससे धरकार समुदाय एक झटके में बेरोजगार हो गया।

इस समुदाय ने ठेके के विरोध में भूख हड़ताल और आंदोलन शुरू कर दिया। पहले तो उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया लेकिन धरकार समुदाय डटा रहा। गाँव के लोग ने इसको लगातार कवर किया। पूरे देश के लोगों ने इस इन खबरों को पढ़ा। काफी किरकिरी के बाद आखिरकार प्रशासन द्वारा ठेके को निरस्त कर दिया गया है। लेकिन डोम-धरकार समाज के लोगों में अभी भय बना हुआ है कि कहीं किसी और बहाने से उनकी जीविका को प्रभावित न किया जाय।

सदियों से बाप-दादा के जमाने से भोगांव गांव के धरकार समाज के लोग गंगा घाट पर शवदाह के लिए आने वाले शवों को आग देते रहे हैं। इससे होने वाली आय से इनका परिवार चलता है। जिला पंचायत मिर्ज़ापुर के एक तुगलकी फरमान ने अचानक उनकी आजीविका को संकट में डाल दिया और आग देने उनके अधिकार को छीनकर ठेका उठा दिया।

सर्वप्रथम ‘गांव के लोग’ ने 26 जुलाई 2024 को ‘मिर्ज़ापुर में शवदाह का ठेका : अब धरकार नहीं, ठाकुर साहब बेचेंगे चिता जलाने की आग’ शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की और मिर्ज़ापुर जिले के भोगांव के डोम-धरकार समाज की आवाज को बुलंद किया।

यह भी पढ़ें – मिर्ज़ापुर में शवदाह का ठेका : अब धरकार नहीं, ठाकुर साहब बेचेंगे चिता जलाने की ‘आग’

इससे धरकर समाज को नैतिक बल मिला और उसने ठेके के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया। 4 सितंबर 2024 को गाँव के लोग ‘मिर्ज़ापुर : चिता को आग के अधिकार की बहाली के लिए धरकार समाज का धरना’ शीर्षक से दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित कर इनके आंदोलन को बल प्रदान किया।

इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के भदोही जिलाध्यक्ष ने भी विरोध करते हुए जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर को ज्ञापन सौंपकर इसे निरस्त करने की मांग की और ठेके को अनैतिक करार दिया था। आम आदमी पार्टी की मिर्ज़ापुर इकाई ने भी इसका पुरजोर विरोध किया था।

राष्ट्रवादी मंच के संयोजक मनोज श्रीवास्तव ने इस आंदोलन को केवल डोम धरकार समाज का ही नहीं, प्रबुद्ध वर्ग का आंदोलन कहा और मिर्ज़ापुर जिला पंचायत के ठेके के खिलाफ सामूहिक संघर्ष का ऐलान किया था।

धरकार समाज की अपील 

”हम समस्त डोम-धरकार समाज के लोग हिंदू धर्म में प्राचीन परंपरा के अनुसार मृतको के शवों की अग्नि देने तथा जलाने का कार्य करते आए हैं और कर रहें हैं। यही कार्य हमारी आजीविका का साधन है। इस काम से ही हम समस्त समाज के लोग अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करतें हैं, और इसी काम से हमारे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई-दवाई और शादी-विवाह इत्यादि कार्य होते हैं। जैसा कि डोम-धरकार समाज का जिक्र प्राचीन हिन्दू ग्रंथों तथा कथाओं में भी हुआ है, राजा हरिश्चंद्र और कल्लू डोम की कहानी जगजाहिर है। हमारे समाज की परंपरा और अपनी सामाजिक व्यवस्था है, जो आपसी सहमति से चलती हैं। देश के संविधान में हमारे समाज को अनुसूचित जाति में रखा गया है। जैसा कि आज भी हमारा समाज बदहाली का जीवन जी रहा है और सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक हर रूप से पिछड़ा हुआ है फिर भी हम सरकार से कुछ नहीं मांगते, लेकिन आज जिस तरह से जिला पंचायत मिर्ज़ापुर ने श्मशान घाट का ठेका कर दिया है यह भारतीय इतिहास की पहली घटना है, इसके पहले किसी भी सरकार द्वारा कभी भी ऐसा कार्य नहीं किया गया, अंग्रेजी हुकूमत में भी हमारे उपर कर नहीं लगा था।”

यह भी पढ़ें – मिर्ज़ापुर : चिता को आग के अधिकार की बहाली के लिए धरकार समुदाय का धरना

उनकी माँगें

1- श्मशान घाट का ठेका तत्काल निरस्त किया जाए तथा भविष्य में भी न किया जाए।

2- डोम-धरकार समाज की सामाजिक व्यवस्था में हस्तक्षेप न किया जाए।

3-शवदाह के नाम पर कोई भी शुल्क किसी भी प्रकार से न लिया जाए।

4- नवनिर्मित शवदाह गृह के संचालन की जिम्मेदारी ‘डोम-धरकार समिति’ को दिया जाए।

5-समाज के लोगों को सरकारी योजनाओं जैसे आवास, पेंशन, राशनकार्ड आदि सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से जोड़ा जाए।

6-श्मशान घाट के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से पहले समाज के बीच में खुली बैठक आयोजित कर सहमति ली जाए।

संतोष देव गिरि
संतोष देव गिरि
स्वतंत्र पत्रकार हैं और मिर्जापुर में रहते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here