मिर्ज़ापुर जिले के भोगाँव श्मशान घाट पर शव जलाने की आग का ठेका जिला पंचायत ने भोगाँव के ही ठाकुर जाति के व्यक्ति को दे दिया जिसके कारण दशकों से यह काम करते आए डोम-धरकार की आजीविका एक झटके में छिन गई। इसके विरोध में उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया। गाँव के लोग के मिर्ज़ापुर प्रतिनिधि संतोष देव गिरि ने इस पर दो विस्तृत रिपोर्ट की जिससे डोम-धरकार समुदाय को जनसमर्थन मिला और जिला प्रशासन को ठेका निरस्त करना पड़ा।
‘गांव के लोग’ ने 26 जुलाई 2024 को ‘मिर्ज़ापुर में शवदाह का ठेका : अब धरकार नहीं, ठाकुर साहब बेचेंगे चिता जलाने की आग’ शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मिर्ज़ापुर जिले के भोगांव गंगा घाट पर दशकों से चिंता को आग देते हुए आए धरकार समाज की चिंताओं को रेखांकित किया था। एक झटके में कैसे उनको रोजगार से वंचित कर दिया गया। कुछ लोगों की इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी रही तो काफी लोगों ने इस रिपोर्ट को सराहते हुए जिला पंचायत के निर्णय पर सवाल खड़े किए थे। आखिरकार यह कैसा फैसला है? इस फैसले से धरकार समाज के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या बढ़ गई और उसने आंदोलन का रास्ता चुना। मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।
ड्राइंग हॉल में बिछने के लिए बाज़ार तक पहुँचने से पहले कालीन, निर्माण कई प्रक्रियाओं से होकर गुज़रती है। हर प्रक्रिया में उसके विशेषज्ञ और कुशल-अकुशल मज़दूर काम करते हैं। कालीन निर्माण की एक प्रक्रिया में लगा मज़दूर और एक्सपर्ट कालीन निर्माण की दूसरी प्रक्रिया के लिए नौसिखिया होता है। कालीन निर्माण से जुड़ी हर प्रक्रिया बहुत बारीक और जटिल होती है।
बिना आधार कार्ड के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी जांच और गंभीर स्थिति में भर्ती करने जैसी ज़रुरी प्रक्रिया से इन्कार कर दिया जाता है। देश में ऐसे कई केस सामने आये हैं जब गर्भवती महिला का आधारकार्ड न होने की स्थिति में भर्ती करने से मना कर दिया गया और महिला ने अस्पताल के बाहर खुले में बच्चे को जन्म दिया। आखिर ऐसी आधार(UIDAI ) व्यवस्था किस काम की जो ग़रीब बच्चे को शिक्षा और किसी मरीज को इलाज देने में बाधक बने।
उत्तर आधुनिकता के उभार और पूंजी के दबाव ने अकेलापन, व्यक्तिवाद और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर सामूहिकता और सामाजिकता के बोध को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। बावजूद इसके स्त्रियों का समूह में मेला देखने आने का चलन अभी ग्रामीण समाज में बचा हुआ देखना इस बात की बानगी है कि कृषि आधारित ग्रामीण बहुजन समाज में अभी पूंजी और उत्तरआधुनिकता का रंग उतना नहीं चढ़ा है और वहां सामूहिकता और सामाजिकता का भावबोध अभी भी बहुत ठोस और सघन दिखता है
जिले के तमाम पीएचसी पर रविवार को मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला का आयोजन किया गया। लेकिन जब सीएमओ औचक निरीक्षण पर अर्बन नई बाज़ार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुँचे तो वहां ताला लटका हुआ था मौके पर उन्हें एक भी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं मिला।
शिक्षक समस्याओं के निराकरण हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने महानिदेशक को सम्बोधित ज्ञापन बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपा
भदोही। उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के...