ठाकुरों ने दलित युवक की चारपाई में लगाया बम, युवक की मौत
लखनऊ के माल एरिया के रानियामऊ में गाँव के ही दबंग ठाकुरों ने दलित युवक की चारपाई के नीचे बम लगाकर जान ले ली। दरअसल बीते 18 जून की रात 12:30 बजे के करीब शिव कुमार रावत (उम्र करीब 18 वर्ष) अपने घर के बाहर चारपाई पर सो रहे थे। उसी वक्त ठाकुर जाति के लोग आये और युवक की चरपाई के नीचे बम लगाकर उड़ा दिया। हमला इतना खतरनाक था कि तमाम कोशिशों के बाद भी उस युवक को बचाया नहीं जा सका।
क्या है पूरा मामला
शिव कुमार की हत्या जमीनी विवाद के कारण हुई है। गांव के निवासी बताते हैं कि शिव कुमार की हत्या का आरोप जिन लोगों पर लगाया जा रहा है उनका जमीनी विवाद गांव के ही निर्मल करण सिंह से है, निर्मल करण सिंह के वकील का खेत मृतक के पिता मेवालाल पासी (उम्र 40 वर्ष) अधिया पर बोते हैं।
मृतक के पिता मेवालाल बताते हैं कि ‘मैं लम्बे समय से वकील साहब का खेत अधिया पर बो रहा हूँ, एक दिन खेत में वकील साहब और गांव के निर्मल करण सिंह आपस में बात कर रहे थे, मुझे वहां देखकर हरिकेश सिंह ने शाम को बाजार से लौटते समय प्राइमरी स्कूल रनियामऊ के पास जान से मारने की धमकी दी। लेकिन हमने नहीं सोचा था वो हमारे बच्चे को बम से उड़ा देंगे। क्या किसी के साथ उठना-बैठना इतना बड़ा गुनाह हो गया?’
गरीबी ने घर छुड़वाया, जाति ने दुनिया
शिव कुमार परिवार की गरीबी और तंगहाली से मजबूर होकर मजदूरी करने हरिद्वार गया था। शिव कुमार को नहीं पता था कि वापस आएगा और दोबारा कभी हरिद्वार वापस नहीं जा पाएगा। सवर्णों ने शिव कुमार की जान ले ली और उसके हत्या के करीब 26 दिन बाद भी आरोपियों की अभी तक गिरफ़्तारी भी नहीं हुई है। निराश बूढ़े माँ बाप ने जैसे उम्मीद ही छोड़ दी है की उनके बेटे को न्याय मिलेगा।
मिलने पर शिवकुमार के बुजुर्ग माँ-बाप ने रुंधे गले से अपनी बेबसी बताई। जब हम रनियामऊ में मेवा लाल के घर पहुंचे तो नीली शर्ट में मेवा लाल जी लाचारी से सिर पकड़े उदास बैठे हुए थे। उनकी बेबसी साफ़ बता रही थी कि कैसे जातीय दंभ और भेदभाव ने अपने बेटे जान ले ली।
शिव कुमार के पिता मेवा लाल जी बताते हैं कि हम लोग रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले लोग हैं। जिस दिन काम नहीं करते उस दिन खाने तक का संकट आ जाता है। गाँव के ठाकुरों से हमारी कोई विशेष दुश्मनी नहीं थी फिर भी मेरे बेटे को बम से उड़ा दिया। दो ही दिन पहले हमारा बेटा गांव आया था। न ही उसे ठीक से देख पाई और न ही कोई बातचीत कर पाई। मेरे बेटे को ठाकुरों ने मार दिया। जबकि मेरे बीटा का उन लोगों से कोई भी लेना-देना नहीं था।
लखनऊ से रनियामऊ गाँव महज 34 किलोमीटर दूर है। मेवालाल को सरकारी आवास भी नहीं मिला है और ना शौचालय।उनका घर मिट्टी का बना हुआ है सामने एक चबूतरा जैसा मिट्टी का ढेर लगा है। उस रात इसी ढेर पर चारपाई लगाकर शिव कुमार सोए थे।
क्या कहते हैं चश्मदीद ?
शिव कुमार के बड़े पापा बताते हैं कि चारपाई पर जहाँ वह सो रहा था, उसी के करीब दूसरी तरफ मैं भी सो रहा था। रात में जब करीब 12:30 पर धमाका हुआ तो मैं अपने चारपाई से दूर जाकर गिरा। पहले तो कुछ समझ नहीं आया, जब जमीन से उठा तो देखा कि चारों तरफ धुआं फैला हुआ है और शिव कुमार जल रहा है और चिल्ला रहा है। जब तक मैं कुछ कर पाता तब तक वह बुरी तरह से जल चुका था। मैंने गाँव के ही ठाकुर जाति के योगेश सिंह और हरिकेश सिंह भागते हुए देखा। हम लोग शिव को लेकर माल सीएचसी गए लेकिन वहां से उसे लखनऊ केजीएमयू भेज दिया गया और चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो गयी। हमारे लिए सबसे अफसोस की बात है कि घटना के इतने दिनों बाद भी सभी आरोपियों को पुलिस पकड़ नहीं पाई है। ऐसा लगता है जैसे इस प्रदेश में दलित होना अपराध सा हो गया है।
मृतक शिव कुमार के पिता मेवा लाल बताते हैं कि ठाकुरों ने उन्हें कई बार धमकी दी थी। उन्होंने से पुलिस को भी बताया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेटे के मर जाने के बाद भी हमें धमकी मिली है लेकिन पुलिस ने कुछ किया नहीं अब तक।
आज तक नहीं हुई किसी की गिरफ़्तारी
परिवार का आरोप है कि पुलिस ने मेरे बेटे को मारने वालों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस राजनीति से प्रेरित होकर कार्रवाई कर रही है। घटना के कुछ ही दिन बाद सीओ साहब का आना हुआ था और उन्होंने आश्वासन दिया था कि अपराधी जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जायेंगे लेकिन अब तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं हुई।
जाति देखकर रुक गया योगी का बुलडोजर : परिवार
घटना के बाद मेरे घर पर सीओ और सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर आये थे, उन्होंने आश्वाशन दिया था कि अपराधियों की गिरफ्तारी अगर 30 जून तक नहीं होती तो उनके घर पर बुलडोजर चलेगा लेकिन योगी जी का बुलडोजर अभी तक नदारद है। शिव कुमार के पिता मेवा लाल ने कहा कि सरकार और प्रशासन के रवैये से यह लगने लगा है कि सरकार का बुलडोजर सिर्फ़ जाति देखकर ही चलता है। ऐसी ही कोई घटना निचली जाति का आदमी कर दिया होता हो उसके घर पर बुलडोजर चला दिया जाता लेकिन हम लोग दलित जाति से हैं इसलिए योगी जी का बुलडोजर ठाकुरों के घर पर नहीं चल रहा है।
उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध की स्थिति
एनसीआरबी (राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) द्वारा वर्ष 2020 में जारी अपराध के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध चरम पर है। देश भर में दलितों के खिलाफ घटित होने वाले अपराध का 25.3 प्रतिशत केवल उत्तर प्रदेश में घटित होता है। यानि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जो अपराध मुक्त प्रदेश का दावा करती है वो दावा सच्चाई से कोसों दूर है।
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