Saturday, July 27, 2024
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प्रधानमंत्री मोदी की कथनी और करनी में अंतर

अक्सर हम देखते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महात्मा गांधी के आदर्शों, उसूलों और सपनों को मानने, चलने या फिर आत्मसात करने की बातें करते रहते हैं। ऐसा तभी होता है, जब उस व्यक्ति के मन में अगले व्यक्ति के लिए सच्ची श्रद्धा हो, पर हमारे प्रधानमंत्री के मन में न तो महात्मा गांधी के […]

अक्सर हम देखते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महात्मा गांधी के आदर्शों, उसूलों और सपनों को मानने, चलने या फिर आत्मसात करने की बातें करते रहते हैं। ऐसा तभी होता है, जब उस व्यक्ति के मन में अगले व्यक्ति के लिए सच्ची श्रद्धा हो, पर हमारे प्रधानमंत्री के मन में न तो महात्मा गांधी के प्रति ऐसी कोई सच्ची श्रद्धा दिखाई देती है और न ही उसे आत्मसात करने का भाव। इसका ताजा नमूना कुछ दिनों पूर्व वाराणसी के राजघाट पुल के पास स्थित सर्व सेवा संघ से जुड़े मामले में देखने को मिला।

सर्व सेवा संघ की इस जमीन पर पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार की नजर गड़ी थी। केंद्र सरकार हर हाल में इस जमीन को अपने अधिकार में लेना चाहती थी। पहली बार रेलवे की ओर से 10 अप्रैल 2023 को उप जिलाधिकारी, सदर, वाराणसी के यहां एक आवेदन दिया गया कि सर्व सेवा संघ द्वारा खरीदी गई जमीन का 1960, 1961 और 1970 का बैनामा कूटरचित है। ऐसे में केंद्र सरकार के इशारे पर जिला प्रशासन ने इस जमीन को, जो की पहले सर्व सेवा संघ के नाम पर थी और खतौनी में भी सर्व सेवा संघ का ही नाम था, को हटाकर रेलवे की संपत्ति घोषित कर दी।

सर्व सेवा संघ परिसर संयोजक अरविंद अंजुम कहते हैं कि 26 जून 2023 को जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने गैर कानूनी तरीके से सर्व सेवा संघ की जमीन को उत्तर रेलवे की जमीन घोषित कर दिया, जो उनके क्षेत्राधिकार का विषय न होकर सिविल न्यायालय का मामला है। इसी अवैध निर्णय को आधार बनाकर एसडीएम जयदेव सीएस ने खतौनी से सर्व सेवा संघ का नाम हटाने का निर्णय दे दिया। यह निर्णय गलत और अवैध है, क्योंकि एसडीएम को नाम की वर्तनी में सुधार का अधिकार तो है, लेकिन नाम बदल देने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ सिविल कोर्ट को है और सिविल कोर्ट में सर्व सेवा संघ का वाद संख्या 522 / 2023 विचाराधीन है।

सर्व सेवा संघ परिसर के संयोजक अरविंद अंजुम एस. ने बताया कि जब लाल बहादुर शास्त्री रेल मंत्री थे उसी दौरान विनोबा भावे सर्व सेवा संघ की तरफ से रेलवे को चालान जमा कर जमीन खरीदी गयी थी और खतौनी में बाकायदा सर्व सेवा संघ का नाम दर्ज है। यही नहीं अरविंद जी ने जो नक्शा दिखाया है, उसमें डिवीजनल इंजीनियर और डिस्ट्रिक्ट स्टेट के हस्ताक्षर हैं। वहीं दूसरी तरफ उत्तर रेलवे ने दी गई याचिका में लिखा है कि डिवीजनल इंजीनियर नाम का कोई पद ही नहीं है। इस प्रकार संघ के परिसर की दीवार पर 27 जून को एक नोटिस चस्पा दी गयी, जिसमें 30 जून को परिसर को खाली करने की चेतावनी दी गयी। तीस जून को सर्व सेवा संघ परिसर में जिला प्रशासन की टीम मय फोर्स पहुंची कमरों को खाली करवाना शुरू किया। इस दौरान गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण से संबन्धित हजारों की संख्या में पुस्तकों को गांधी चबूतरे पर खुले आसमान के नीचे फेंक दिया गया। परिसर में रहने वाले लोगों को उनके आवास से बाहर कर दिया।

इस प्रकार 12.89 एकड़ जमीन वाले इस परिसर को रेलवे द्वारा जबरिया खाली करवा लिया गया। यहाँ के भवनों को तोड़ दिया गया। यह परिसर तीन भागों में बटा हुआ था। एक प्रकाशन भवन, दूसरा गांधी प्रदर्शनी भवन और तीसरा गांधी आश्रम का भवन। साथ ही आवासीय मकान भवन भी थे। लेकिन दुखद ये है कि आज गांधी कि ये विरासत अब जमींदोज हो चुकी हैं। रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन कि तरफ से इन सभी पर बुलडोजर चलवा दिया दिया गया।

यूं देखा जाय तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण दो अर्थी प्रतीत होता है। वे अपने प्रत्येक काम को महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना से जोड़ देते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही महात्मा गांधी से की “हम उस देश के वासी हैं जिस देश में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी हुए जिन्होंने दुनिया को मानवता का एक नया संदेश दिया। आज पूरी दुनिया उनके विचारों की कायल है। आज विश्व की पूरी मानवता को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ने की जरूरत है।

राजकोट मे 2018 में महात्मा गांधी संग्रहालय का उदघाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सबसे पीछे खड़े लोगों के बारे में और वंचितों के कल्याण के लिए काम करने की बात सिखाई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपनी पहल से गरीबों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं। हम उनके लिए घर बनाना चाहते है।

वहीं केंद्रीय मंत्री महेंद्र पांडे रुद्राक्ष कन्वेन्शन सेंटर में हुए एक कार्यक्रम में कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना, महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की सोच को सार्थक कर रहा है।

बहरहाल, जो भी हो एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी गांधी के विचार “अहिंसा और शांति के साथ ही लोगों पर दया करो का” संदेश पूरी दुनिया को देने का दिखावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गांधी से जुड़ी संस्थाओं को नेस्तनाबूत कर गांधी की विरासत को भी जड़ से खत्म कर देना चाहते हैं ।

राहुल यादव गाँव के लोग डॉट कॉम के उप–संपादक हैं।

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