वाराणसी। सामाजिक सरोकारों के संयुक्त पहल साझा संस्कृति मंच एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रेम और भाईचारे के संदेश के साथ आयोजित की जा रही शांति सद्भावना यात्रा का छठवें दिन हरहुआ विकास खंड के पुवारी कला, बेनीपुर, पलहीपट्टी आदि गांव में उत्साह के साथ अभिनंदन किया गया। विभिन्न स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं और बैठको में पदयात्रियों ने आयोजन के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि आज समाज को प्रेम और आपसी मेलजोल की जरूरत है नफरत की नहीं।
जन समुदाय को संबोधित करते हुए फादर अभिशिक्तानंद ने कहा कि वाराणसी के लोग सदियों से एक साथ रह रहे हैं। काशी विश्वनाथ और माँ गंगा के किनारे वाराणसी बुद्ध, कबीर, तुलसी, रविदास, लक्ष्मीबाई, शास्त्रीजी, मालवीयजी, नजीर बनारसी, बिस्मिल्ला खान, भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, धूमिल, पं. ओंकार नाथ, गिरिजा देवी, राय कृष्ण दास, शिव प्रसाद गुप्त, प्रो. वीरभद्र मिश्र आदि की गरिमामय विरासत, शिक्षा, संस्कृति और कला और गंगा-जमुनी तहजीब की परम्परा का शहर है, यहाँ के गावों में भी मेलजोल की ही संस्कृति रही है। हमें संकल्प लेना होगा कि सद्भावना और अहिंसा के आदर्शों को मिटने नहीं देंगे और अपनी गंगा-जमुनी संस्कृति की परम्परा को बनाये रखेंगे।
फादर रणजीत ने आह्वान करते हुए कहा कि आइये हम संकल्प लें कि हम भारत की एकता, अखंडता और साझा-संस्कृति को बनाए रखने की ईमानदार कोशिश करेंगे और समाज में शांति, सद्भावना और आपसी भाईचारे को किसी कीमत पर बिगड़ने नहीं देंगे।
सांस्कृतिक टीम प्रेरणा कला मंच ने जनवादी गीतों और नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की। यात्रा में फादर चेतन, फादर अभिशिक्तानंद, फादर रणजीत, सिस्टर साधना, सिस्टर बेन्सीटा, किसान नेता योगिराज पटेल, महेंद्र राठौर, जयंत भाई, विनोद, किरन, विनोद पटेल, पूनम, रंजू सिंह, नन्दलाल मास्टर, प्रियंका, मनोज, रंजीत, जन विकास समिति की महिला कार्यकर्त्रियाँ शामिल रही।