इस हिसाब से मेरा मन यह आकलन कर रहा था कि 1 जुलाई से लेकर अबतक आरबीआई ने रोजाना के हिसाब से करीब एक अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेची ताकि रुपए को स्थिर बनाए रखा जाय। लेकिन इसके बावजूद पिछले सप्ताह भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 80 रुपए के पार हो गया। यह भारतीय रुपए की ऐतिहासिक गिरावट है। ऐसे में शक्तिकांत दास क्यों कह रहे हैं कि 'उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपया अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है?'

कल उनका एक बयान आया कि 'उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपया अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है।' फिर उनका दूसरा बयान कि 'लोग बरसात के समय ही छाता खरीदते हैं।'
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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