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वाराणसी : ‘न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह’ का आज 90वां दिन

जिन महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर पूरी दुनिया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ भी 2 अक्टूबर, गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है उन गांधी की विरासत को RSS-भाजपा सरकार ने सर्व सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी की ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त कर दिया। इसे वापस पाने के लिए विनोबा भावे की जयंती 11 सितंबर से 100 दिनी उपवास शुरू कर अहिंसा का पालन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सत्याग्रह कर रहे हैं।

गांधी विरासत को बचाने के लिए प्रशासनिक दबाव के चलते सर्व सेवा संघ परिषद के सामने से स्थानांतरित होकर शास्त्री घाट में चल रहे सत्याग्रह  का आज 90 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका-संविधान को  बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर ‘न्याय के दीप  जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह’ जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ के साथ अपने 90 वें पायदान पर पहुंच गया है।

आज सत्याग्रह के 90 वें दिन  उदय नारायण भारतीय  उपवास पर बैठे हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि जोखन सिंह यादव जब भी सत्याग्रह स्थल पर रहते हैं तो वे उपवास रखते हैं। रिवाजन आज वे भी उपवास पर हैं।

उदय नारायण भारतीय उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा लखनऊ से BSC & BAMS पूरी की और लखनऊ में 2 साल तक सैनिक स्कूल में क्रीड़ा-अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे, लेकिन नौकरी करना पसंद नहीं था, इसलिए नौकरी छोड़ कर समाज सेवा के काम में लग गए। अब इनका पूरा जीवन सत्य की  खोज और समाज के लिए समर्पित है। ये गांव में रहते हुए लोगों की मुफ्त चिकित्सा करते हैं और पूरे देश में घूम कर पिछले 30 सालों से स्वास्थ्य रक्षक शिविर के माध्यम से स्वस्थ रहने के गुर सीखते और सिखाते हैं। आजादी बचाओ आंदोलन से प्रेरित होकर स्वदेशी के काम में लगे हुए हैं। स्वदेशी अपनाने और गांधी विचार का साहित्य पढ़ने के  लिए पूरे देश में भ्रमण कर लोगों को प्रेरित करते हैं।

उदय नारायण भारतीय कहते हैं कि जिन महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर पूरी दुनिया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ भी 2 अक्टूबर, गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है उन गांधी की विरासत को RSS-भाजपा सरकार ने सर्व सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी की ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त कर दिया।

मैं स्वयं इस स्वदेशी और गांधी विचार के कार्य में लगा हुआ हूं। इन पुस्तकों को  बीजेपी सरकार ने सड़क पर फेंक कर अपमानित किया है। इससे मैं दुखी होकर आज सत्याग्रह में शामिल हुआ हूं। मैं लक्ष्य हासिल करने  तक इस लड़ाई को लड़ता रहूंगा।

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज ने बताया है कि सत्याग्रह के इस चरण का समापन 19 दिसंबर साझी शहादत और साझी विरासत की प्रेरणा वाला दिन है। 1927 में इसी दिन अशफाक उल्ला, राम प्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह को फैजाबाद जेल में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के जुर्म में फांसी की सजा दी गई थी। आज भी विरासत और संविधान की रक्षा करने वालों को शासन द्वारा क्षति पहुंचाई जा रही है। साबरमती आश्रम को विकास के नाम पर हड़पा गया है, गुजरात विद्यापीठ को दबोचा गया है और सर्व सेवा संघ परिसर को कॉरपोरेट को देने की योजना के तहत ध्वस्त किया गया। इसका हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिवाद कर रहे हैं जो प्रशासन को पसंद नहीं है। पर हम अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे। चाहे जितना भी दामन करें वे हमारे संकल्प को डिगा नहीं सकते। अगर एक रास्ता बंद करेंगे तो दूसरे कई खुल जाएंगे।

आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता  उदय प्रताप भारतीय और जोखन सिंह यादव के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर, लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, प्रकाशन समिति के संयोजक अशोक भारत, समाज सेविका सिस्टर  फ्लोरीन, महिला चेतना समिति की पूनम, तारकेश्वर सिंह, छत्तीसगढ़ ईश्वर प्रसाद  देशमुख, पन्नालाल कैलाशी, देवीप्रसाद साहू, जगतूराम पटेल, श्रवण कुमार मौर्य, अरुण कुमार, जाहिद नूर आदि शामिल रहे।

गाँव के लोग
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