2014 में भारत सरकार ने, जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थ, पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण व पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम बनाया। इसमें व्यवस्था है कि एक नगर पथ विक्रय समिति का गठन होगा जिसमें 40 प्रतिशत खुद पथ विक्रेता(स्ट्रीट वेंडर) होंगे। पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण कर उन्हें प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। सर्वेक्षण पूरा होने तथा पथ विक्रेताओं को प्रमाण पत्र जारी होने तक किसी भी पथ विक्रेता को न हटाए जाने का प्रावधान है। अधिनियम में रेहड़ी पटरी वालों का स्थान परिवर्तन अंतिम उपाय के तौर पर किया जाएगा। यह नगर पथ विक्रय समिति की सिफारिश पर ही किया जा सकता है। 30 दिनों की सूचना के पूर्व कोई बेदखली या स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। जब तक जगह की अनिवार्य जरूरत साबित नहीं की जाती। तब तक वहां से पथ विक्रेता का स्थानांतरण वैध नहीं माना जाएगा।
पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण व पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम क्या कहता है –
अधिनियम की धारा 29 पथ विक्रेताओं को पुलिस व अन्य अधिकारियों के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करती है। यदि सामान जब्त किया जाता है तो विनाशशील वस्तुओं को स्थानीय अधिकारी को दो दिनों में छोड़ने का प्रावधान है और नष्ट होने वाली वस्तु को उसी दिन छोड़ने का प्रावधान है, जिस दिन दावा किया गया है। समान की हानि की स्थिति में क्षतिपूर्ति की जाएगी। प्राकृतिक बाजार, जहां खरीददार व दुकानदार का निरंतर मिलन होता है को विक्रय क्षेत्र के रूप में संरक्षित किया जाएगा। 50 वर्षों से जो बाजार लग रहे हें, उन्हें विरासत बाजार घोषित किया जाएगा और उनका पुनःस्थापन नहीं किया जाएगा। किसी विवाद की स्थिति में एक सेवा निवृत न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विवाद निवारण तंत्र के सामने शिकायत की जा सकती है।
14 जून 2021 के एक पत्र में अपर प्रमुख सचिव, उ.प्र. शासन सभी जिलाधिकारियों एवं नगर आयुक्तों को लिखते हैं कि पथ विक्रय अधिनियम 2014 एवं उ.प्र. पथ विक्रय (जीविका संरक्षण एवं विनियमन) नियमावली 2017 का उल्लंघन करते हुए, अवैधानिक रूप से प्रताड़ित अथवा बेदखल किए जाने पर ऐसे संबंधित निकायकर्मी/पुलिसकर्मी के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही किए जाने के निर्देश हैं। सचिव, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के 18 मई 2021 के पत्र द्वारा चिन्हित शहरी पथ विक्रेताओं की सूची स्थानीय पुलिस स्टेशन को उपलब्ध कराने एवं पुलिस आयुक्त/पुलिस अधीक्षक/नगर आयुक्त को पथ विक्रेताओं को अवैध रूप से प्रताड़ित एवं बेदखल किए जाने के संबंध में संवेदित किए जाने की अपेक्षा की गई है। आगे वे लिखते हैं कि उपर्युक्त निर्देशों के पश्चात भी निकायकर्मियों/पुलिसकर्मियों द्वारा पथ विक्रेताओं को अवैध रूप से प्रताड़ित एवं बेदखल किए जाने की कार्यवाही की जा रही है, जिसके कारण पथ विक्रेताओं का व्यवसाय प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है एवं उन्हें पी.एम. स्वनिधि योजनान्तर्गत प्राप्त ऋण का पुर्नभुगतान किए जाने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है।
17 मई 2022 में निदेशक, स्थानीय निकाय, उ.प्र. समस्त नगर आयुक्तों को लिखते हैं कि निकाय में प्रत्येक वर्ष नगर पथ विक्रय समिति की कम से कम 4-5 बैठकें आयोजित करायी जाएं, निकाय पथ विक्रेताओं का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण एवं बेदखली पथ विक्रेता अधिनियम 2014 में दी गई व्यवस्था के अनुसार ही कराएं, निकाय में जब तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा न हो जाए एवं प्रमाण पत्र निर्गत न हो जाएं तब तक किसी को बेदखल न किया जाए, पथ विक्रेता का स्थानांतरण नगर पथ विक्रय समिति से संवाद स्थापित करके विक्रय क्षेत्र विकसित करके ही किया जाए।
पथ विक्रेता अधिनियम का उल्लंघन
लंका, वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मुख्य द्वार से नरिया मार्ग पर करीब पचास पथ विक्रेता कई दशकों से अपने ठेले लगा रहा हैं। इनके पास 1985 की जब वि.वि. इनसे छह माह का रु. 62 शुल्क लेता था उसकी रसीदें हैं। काशी हिन्दू विवि से सटी सीमा दीवार के बाहर ठेले लगाते हैं, सीमा के भीतर सर सुंदरलाल अस्पताल के मरीजों एवं तीमारदारों को जरूरी खाने-पीने की चीजें मुहैया कराते हैं। किंतु जबसे नरेन्द्र मोदी वाराणसी से सांसद चुने गए हैं इनके लिए तो जैसे मुसीबत का पहाड़ ही टूट गया है। पहले तो जब मोदी का हेलीकॉप्टर विवि में उतरता था तो एक हफ्ते के लिए इनके ठेले हटा दिए जाते थे। इससे इनको काफी नुकसान होता था। इनके संगठन गुमटी व्यवसायी कल्याण समिति ने प्रधानमंत्री से हुए नुकसान का मुआवजा भी मांगा। अब जब से जी-20 के कार्यक्रम हुए तब से इनका जीना और भी दूभर हो गया है। 28 दिसम्बर 2023 को अचानक पुलिस व नगर निगम के अधिकारी आए और बिना कोई सूचना दिए करीब 20 ठेले और उनका सामान जब्त कर लिए गए। पहले भी ठेले जब्त होते थे किंतु कुछ वैध-अवैध जुर्माना लेकर नगर निगम द्वारा पथ विक्रेताओं के ठेले छोड़ दिए जाते थे। किंतु इस बार नगर निगम कह रहा है कि पहले पुलिस की अनुमति लेकर वे आएं तब उनके ठेले छोड़े जाएंगे।
जिला नगरीय विकास अभिकरण के 26 जुलाई 2019 के पत्र में परियोजना अधिकारी ने गुमटी व्यवसाय कल्याण समिति के अध्यक्ष चिंतामणि सेठ को नगर पथ विक्रय समिति का सदस्य दर्शाया है। लंका चौक से नरिया मार्ग को 150 धारण क्षमता वाला विक्रय क्षेत्र भी दर्शाया गया है। चिंतामणि सेठ एवं अन्य पथ विक्रेताओं के पास सर्वेक्षण के बाद जारी किए गए प्रमाण पत्र हैं। इनमें से 54 पथ विक्रताओं को प्रधान मंत्री स्वनिधि योजना के तहत ऋण भी दिए गए हैं। यानी ये पथ विक्रेता अपना व्यवसाय वैध तरीके से कर रहे थे।
21 अक्टूबर 2023 को अपर जिलाधिकारी ने, पथ विक्रेता अधिनियम 2014 व इस अधिनियम के आलोक में बनाई गई उ.प्र. की नियमावली 2017 के प्रावधानों को नजरअंदाज करते हुए, एक पत्र में लिख दिया कि वि.वि. नरिया मार्ग पर अति विशिष्ट व्यक्तियों की आवाजाही होती है व लंका चौराहे पर भीड़-भाड़ रहती है इसलिए इस मार्ग पर ठेला लगाना प्रतिबंधित है। इसी पत्र के बाद लंका के पथ विक्रेताओं पर कहर बरपा है।
प्रधानमंत्री तो बड़े-बड़े विज्ञापन लगवा कर रेहड़ी पटरी दुकानदारों के लिए स्वनिधि योजना का श्रेय ले रहे हैं किंतु धरातल पर उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में दशकों से ठेला लगा रहे दुकानदारों को उजाड़ दिया गया है। जब प्रधान मंत्री के संसदीय क्षेत्र में यह हो सकता है तो बाकी जगह का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार की यही विशेषता है – विज्ञापन तो रंगीन हैं लेकिन हकीकत स्याह है।