Monday, July 7, 2025
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राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई

2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

महिलाओं की तरक्की का रास्ता भी हैं पक्की सड़कें

किसी भी शहर या गाँव के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास की पहली शर्त वहाँ पक्की सड़क का होना होता है। अच्छी सड़क उस गाँव या शहर तक लोगों की पहुँच आसान बनाती है। सड़क की कमी का सबसे ज्यादा असर वहाँ की महिलाओं के आगे बढ़ने में बाधक होती हैं। पक्की सड़क बाहर की दुनिया से जोड़ती है। दरअसल रास्ते का वीरान होना, अंधेरा होना और 'रात को मत निकलो' जैसे वाक्य ये सब किसी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से कहीं ज्यादा, महिलाओं को ‘घर तक सीमित’ रखने वाली सोच का हिस्सा नजर आता है।

राजस्थान : रोजी-रोटी की तलाश में स्ट्रीट वेन्डर कर रहे हैं चुनौतियों का सामना

देश में रोजगार का बड़ा संकट शिक्षित लोगों के लिए तो है ही लेकिन जो अशिक्षित हैं, उन्हें भी रोजगार के लिए रास्ते तलाशने पड़ते हैं। उनमें से बहुत से लोग सड़क किनारे या घूम घूम कर सामान बेचने का काम करते हैं लेकिन उससे इतनी कमाई नहीं हो पाती है कि रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो पाए। बहुत से परेशानियों के बाद भी ए संघर्ष कर जीवन चलाते हैं।

राजस्थान : किसी भी रोज़गार में निरंतरता और स्थायित्व जरूरी है

रोजगार के हर क्षेत्र में महिलाएं मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। चाहे वह छोटी-सी चाय की दुकान हो, कपड़े प्रेस करने का काम हो, साप्ताहिक बाजार में कपड़े और घरेलू सामान बेचना हो या फिर बागवानी करना - हर जगह महिलाएं न केवल काम कर रही हैं, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं है। इन महिलाओं को हर दिन कई समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

राजस्थान : पहचान के लिए संघर्ष करता गाड़िया लोहार समुदाय

देश भले 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करता हो लेकिन आज भी ऐसे अनेक समुदाय हैं, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। ऐसा ही राजस्थान का लोहार समुदाय है, जिनके पास हुनर तो है लेकिन आज अत्याधुनिक तकनीकें आ जाने से उनका काम नहीं चल रहा है। जिसकी वजह से ये अच्छे और सुरक्षित भविष्य के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं जबकि सरकार विकास की अनेक योजनाएं लागू है। प्रश्न यह उठता है कि क्यों इन तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुँच पा रही हैं।

भूमि के गैरकानूनी सर्वे के खिलाफ किसानों ने दिया एसडीएम को ज्ञापन

फूलपुर, आजमगढ़। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सटे गांवों अंडिका, खुरचंडा, बखरिया, छज्जोपट्टी के किसानों-मजदूरों ने फूलपुर तहसील में विरोध-प्रदर्शन कर पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव...

संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हुई तीन बच्चों की मां, पति ने दर्ज कराई गुमशुदगी

वाराणसी। राजातालाब थाना क्षेत्र के कचनार गाँव में तीन बच्चों की मां घर से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गई। वहीं सोमवार देर रात...

जाति जनगणना से कतराने वाली केंद्र सरकार खाद खरीदने वालों से पूछती है जाति

रायपुर। मोदी सरकार ने नया हुकुम जारी किया है कि अब जो किसान खाद की दुकान पर सब्सिडी वाला खाद खरीदने जाएगा, उसे पहले...

तेजपाल सिंह ‘तेज’ ने सामाजिक सद्भावना से अपने साहित्य को मांझा

दलित लेखक संघ ने दिनांक 19 फरवरी, 2023 को हिंदी अकादमी से सन 1995-96 में बाल गीतों की पुस्तक खेल खेल में के लिए...

भू अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 के तहत वैधानिक प्रक्रिया अपनाने पर बनी सहमति

 प्रशासन और ट्रान्सपोर्ट नगर योजना से पीड़ित किसानो की विकास प्राधिकरण कार्यालय स्थित सभागार मे हुई वार्ता आज दिनांक 28/02/2023 विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की...

गार्गी नेचुरोपैथी के निःशुल्क शिविर में मरीजों को मिला स्वास्थ्य लाभ

वाराणसी। गार्गी नेचुरोपैथी क्लिनिक द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर के सामने दौलतपुर कालीजी मंदिर रोड (पाण्डेयपुर) में किया गया।...
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