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फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर सत्यवान नायक के विरुद्ध आयोग कर सकता है सख्त कार्यवाही

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनन्त नायक ने लिया संज्ञान प्रयागराज। सीएमपी महाविद्यालय के विधि विभाग में असि. प्रोफेसर के पद पर डॉ. सत्यवान कुमार नायक की फर्जी की गई नियुक्ति के संबंध में पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने सीएमपी डिग्री कॉलेज के विधि […]

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनन्त नायक ने लिया संज्ञान

प्रयागराज। सीएमपी महाविद्यालय के विधि विभाग में असि. प्रोफेसर के पद पर डॉ. सत्यवान कुमार नायक की फर्जी की गई नियुक्ति के संबंध में पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने सीएमपी डिग्री कॉलेज के विधि विभाग में डॉ. सत्यवान कुमार नायक द्वारा अनुसूचित जनजाति के कोटे में फर्जी नियुक्ति करने की कोशिश को रोकने व उनकी नियुक्ति रद्द करने के संबंध में शुक्रवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनन्त नायक के समक्ष उपस्थित होकर काम और वेतन पाने की उम्मीद लगाकर हाईकोर्ट इलाहाबाद में डॉ. सत्यवान द्वारा दाखिल की गई याचिका में हाईकोर्ट के आदेश-निर्देश के बिना कैसे ओरिजिनल सर्टिफिकेट बनवाकर प्राचार्य और प्रबंधन कमेटी को मिलाकर नियुक्ति की बहाली करवा सकता है?

आईपी रामबृज ने विस्तार से बताया कि सन् 2017 में सीएमपी महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती हुई थी और अनुसूचित जनजाति श्रेणी हेतु आरक्षित पद के सापेक्ष डॉ. सत्यवान कुमार नायक ने आवेदन किया था। विज्ञापन की शर्तों के अनुसार, नियुक्ति के समय निर्धारित प्रारूप पर अनुसूचित जनजाति श्रेणी का डिजिटल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना था, किंतु डॉ. सत्यवान कुमार नायक सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं कर सके, बल्कि हाथ का बना हुआ फर्जी सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया था, जिसे 2014 में ही जिलाधिकारी गोरखपुर की समिति ने परीक्षण के बाद निरस्त किया था और सत्यवान को सूचित भी किया था। इस प्रकार फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर धोखे और विद्यालय की लापरवाही से सत्यवान ने असि. प्रोफेसर का पद तो ज्वाइन कर लिया, किन्तु पदम द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (नई दिल्ली) के यहाँ शिकायतों के पश्चात् महाविद्यालय प्रशासन ने सत्यवान को काम व वेतन से विरत करने के साथ ही महाविद्यालय से बाहर कर दिया था। डॉ. सत्यवान कुमार नायक ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में काम और वेतन पाने के लिए वाद दाखिल किया है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्तमान 2023 में फिर किसी शासनादेश के तहत उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों की नायक जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में परिगणित करने और जाति प्रमाणपत्र जारी करने का शासनादेश हुआ है। इसके आधार पर डॉ. सत्यवान कुमार नायक ने अनुसूचित जनजाति का सर्टिफिकेट बनवाकर अब महाविद्यालय प्रशासन से 2017 में विज्ञापित अनुसूचित जनजाति श्रेणी के पद में ज्वाइनिंग कराने का आग्रह किया है। पदम की शिकायत यह है कि जब 2017 के विज्ञापन के समय ब्राह्मण नायक जाति अनुसूचित जनजाति की श्रेणी के अंतर्गत परिगणित नहीं थी। अतः सत्यवान की नियुक्ति महाविद्यालय ने निरस्त कर दी थी और वह अब हाईकोर्ट की शरण में है। अब 2023 में यदि नायक जाति को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में परिणित करने हेतु शासनादेश आया है तो 2023 के बाद के पदों में ही नायक जाति अनुसूचित जनजाति श्रेणी का कोई पद पाने का हकदार होगा। पदम ने प्राचार्य से वर्तमान में अनुसूचित जनजाति श्रेणी में परिणित डॉ. सत्यवान कुमार नायक को 2017 में अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित पद पर ज्वाइन न कराने का आग्रह किया है, क्योंकि इस प्रकार तो कोई भी व्यक्ति भविष्य में अनुसूचित जनजाति का सर्टिफिकेट देने का वादा करके अनुसूचित जनजाति न होने पर भी अनुसूचित जनजाति का पद प्राप्त करने लगेगा। साथ ही कोई भी शासनादेश बैक डेट से प्रभावी नहीं हो सकता और चूंकि डॉ. सत्यवान कुमार नायक का मुकदमा हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए उसके निर्णय तक तो वैसे भी नियुक्ति विचारणीय नहीं है। आईपी रामबृज ने सदस्य राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से मांग की है कि सीएमपी महाविद्यालय प्रशासन को निर्देशित किया जाय कि जब 2017 के विज्ञापन के सापेक्ष भर्ती के समय कोई भी अनुसूचित जनजाति श्रेणी का अभ्यर्थी प्रस्तुत नहीं हुआ तो महाविद्यालय उस पद को शून्य घोषित करने के साथ-साथ डॉ. सत्यवान की नियुक्ति रद्द करे।

पी. गिरीश प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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