Tuesday, July 1, 2025
Tuesday, July 1, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमग्राउंड रिपोर्टराजस्थान : कालू गांव के लोग बेरोज़गारी के कारण पलायन को हो...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

राजस्थान : कालू गांव के लोग बेरोज़गारी के कारण पलायन को हो रहे मजबूर

राजस्थान के कालू गाँव के लोग रोजगार न मिलाने से परेशान तो हैं ही रोजगार की तलाश में वे गाँव से पलायन भी कर रहे हैं । ग्रामीणों को रोज़गार के लिए पलायन करने पर मजबूर होना पड़े तो सरकार को अपनी बनाई नीतियों की फिर से समीक्षा करने की ज़रूरत है।

‘हम बहुत गरीब हैं, ऊपर से कोई स्थाई रोजगार भी नहीं है। मुझे कभी कभी दैनिक मज़दूरी मिल जाती है और कई बार तो हफ़्तों नहीं मिलती है। मेरी पत्नी लोगों के घरों में जाकर काम करती है। उसी से अभी घर का किसी प्रकार गुजारा चल रहा है। ऐसा लगता है कि बेरोजगारी के कारण अब बेटी की पढ़ाई भी छुड़ानी पड़ेगी क्योंकि फीस देने के लिए हमारे पास पैसा नहीं है। बीमार होने पर हम दवाई भी नहीं खरीद पाते हैं। सरकार की तरफ से भी हमें कोई रोजगार नहीं मिल रहा है। मनरेगा से भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसा लगता है कि रोज़गार के लिए दूसरे शहर ही जाना पड़ेगा।’

यह कहना है 35 वर्षीय रुपाराम का, जो राजस्थान के बीकानेर स्थित लूणकरणसर ब्लॉक के कालू गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं। करीब 10334 की जनसंख्या वाला यह गांव जिला मुख्यालय से 92 किमी और ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां अनुसूचित जाति की संख्या करीब 14।5 प्रतिशत है। इस गांव में साक्षरता की दर लगभग 54।7 प्रतिशत है, जिसमें महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 22।2 प्रतिशत है।

इसके बावजूद गांव में बेरोज़गारी चरम पर है। ज़्यादातर लोग दैनिक मज़दूरी पर निर्भर हैं। जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। कृषि योग्य भूमि कम होने के कारण युवाओं के पास स्थाई रोज़गार का कोई साधन उपलब्ध नहीं है। बेरोजगारी के कारण लोगों का गुजारा मुश्किल हो रहा है। इसका प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण कई ग्रामीण अपने बच्चों के स्कूल की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। जिससे वह बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

यह भी पढ़ें…

राजस्थान : भोपालराम गांव में शैक्षणिक बाधाओं से गुज़रती किशोरियां

इस संबंध में गांव की एक 18 वर्षीय किशोरी ममता का कहना है कि ‘12वीं के बाद अब मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी होगी, क्योंकि मेरे माता पिता के पास रोज़गार का कोई साधन नहीं होने के कारण वह मेरी पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। मेरा पढ़ने का बहुत मन करता है, पर मैं पढ़ाई नहीं कर सकती। कॉलेज में जाने और बुक्स का खर्च बहुत अधिक होता है। घर का खाना ही बहुत मुश्किल से चल पाता है तो ऐसे में वह मेरी पढ़ाई का खर्च कहां से उठाएंगे?’

गांव की एक 26 वर्षीय महिला चंदा का कहना है कि ‘मेरे पति खेत में दैनिक मज़दूर के रूप में काम करते हैं। जिससे घर का खर्च पूरा नहीं पाता है। हमारे गांव में रोजगार का कोई अन्य साधन भी नहीं है जिससे कि हम अपना खाना पीना ठीक से चला सकें। कई कई दिनों तक पति को काम भी नहीं मिलता है। मेरे तीन बच्चे हैं जो घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।’

गांव की अन्य महिला प्रेरणा का कहना है कि मेरी बेटी 10वी कक्षा मे पढ़ती है। घर में रोजगार की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हम उसका दाखिला अच्छे स्कूल में नहीं करवा पा रहे हैं। घर की आर्थिक हालत खराब रहने की वजह से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगी है। जिसका नकारात्मक प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ने लगा है। इसी कारण वह पिछले वर्ष दसवीं में फेल हो गई थी। हालांकि उसे पढ़ने का बहुत शौक है और मैं भी उसे पढ़ाना चाहती हूं। लेकिन बेरोजगारी की मार ऐसी है कि घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में हम अपने बच्चो को कहां से पढ़ा पाएंगे?

गांव के 40 वर्षीय भीमाराम कहते हैं कि ‘मैं उंट गाड़ी चलाने का काम करता हूं। जिसमें लोगों के सामान को उनके घर तक पहुंचाने का काम है। इससे मुझे कुछ ज्यादा बचता नहीं है। यानि मेहनत ज्यादा है और कमाई कम है। बेरोजगार घर बैठने से अच्छा है कि मैं ये काम कर लेता हूँ।’ वह बताते हैं कि उनका परिवार मूल रूप से इसी कालू गांव का निवासी रहा है। अभी तक किसी प्रकार से गांव में ही रहकर रोज़गार कर रहे थे। लेकिन इससे परिवार का पेट नहीं भर सकते हैं। बच्चों की अच्छी शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं। इसलिए ऐसा लगता है कि अब पुश्तैनी ज़मीन को छोड़कर रोज़गार के लिए दूसरे शहरों में पलायन करनी पड़ेगी।

अपने बुज़ुर्गों की बातों को याद करते हुए भीमाराम बताते हैं कि पहले गांव की आबादी काफी कम थी, इसीलिए सभी के लिए रोज़गार के साधन उपलब्ध थे। लेकिन अब गांव की आबादी उपलब्ध संसाधनों से अधिक बढ़ गई है। लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई हैं, लेकिन रोज़गार के साधन सीमित हो गए हैं। यही कारण है कि अब लोगों को रोज़गार बहुत कम उपलब्ध हो रहे हैं।

यह भी पढ़ें…

लड़कियों को पढ़ाने के लिए समाज क्यों गंभीर नहीं हैं?

गांव के एक अन्य पुरुष रुपाराम का कहना है कि ‘मेरी तीन बेटियां हैं। जिन्हें मैं अच्छी शिक्षा देना चाहता हूँ। लेकिन बेरोजगारी के कारण मैं उनकी पढ़ाई का खर्च तक नहीं उठा पा रहा हूं। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मेरी सबसे बड़ी बेटी ने पढ़ाई तक छोड़ दी है। वह अपनी दोनों बहनों को जैसे तैसे करके पढ़ाना चाहती है। एक पिता के रूप में मुझे यह सब देखकर दुःख होता है, लेकिन रोज़गार नहीं होने के कारण मैं भी मजबूर हूँ। यदि सरकार ग्रामीण स्तर पर लघुस्तरीय रोज़गार के साधन उपलब्ध करा दे तो इस समस्या का निदान संभव है। हमें काम की तलाश के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। गांव में मनरेगा के अंतर्गत भी इतना काम नहीं मिल पाता है कि घर की बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकूं।’

रूपाराम कहते हैं कि ‘गांव के लड़के घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पढ़ाई छोड़कर काम धंधे पर लग गए हैं। कुछ किशोर घर के बड़ों के साथ रोज़गार की तलाश में जयपुर, उदयपुर, दिल्ली, सूरत या अन्य जगहों पर पलायन कर रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो गांव में शिक्षा का स्तर बहुत खराब हो जायेगा।’

इस संबंध में चरखा के सलाहकार आयुष्य सिंह बताते हैं कि ‘कालू गांव में तेज़ी से बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। रोज़गार के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण युवा पलायन कर रहे हैं। जो एक गंभीर समस्या है। इससे न केवल आर्थिक असंतुलन पैदा होता है बल्कि शहरों पर भी अनावश्यक बोझ बढ़ता है।’ पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक बेरोज़गारी के मामले में राजस्थान देश में दूसरे नंबर पर है। हालांकि केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर रोज़गार के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इसके बावजूद यदि ग्रामीणों को रोज़गार के लिए पलायन करने पर मजबूर होना पड़े तो सरकार को अपनी बनाई नीतियों की फिर से समीक्षा करने की ज़रूरत है।

(सौजन्य से चरखा फीचर)

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment