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ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश : बलात्कार के बाद आत्महत्या करने वाली एक लड़की के पिता ने भी की खुदकुशी

जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घटित हो रही हैं उससे यह प्रतीत होता है कि सरकार लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है।

हमीरपुर। कानपुर में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद दो लड़कियों के आत्महत्या कर लेने के सप्ताह भर बाद उनमें से एक के पिता ने यहां खुदकुशी कर ली। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।परिजनों के अनुसार दुष्कर्म मामले के आरोपी के परिजनों द्वारा समझौते के लिए धमकी दिये जाने के बाद उसने आत्महत्या कर ली। हालांकि एसपी ने इस आरोप पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

इस मामले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) दीक्षा शर्मा ने बताया, ‘सिसोलर थाना क्षेत्र के एक गांव में 45 वर्षीय एक व्यक्ति का शव बुधवार को अज्ञात परिस्थितियों में एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया। इस घटना के संबंध में परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।’

कानपुर के घाटमपुर इलाके में 16 और 14 साल की नाबालिग लड़कियों को 29 फरवरी को एक पेड़ पर फांसी पर लटका हुआ पाया गया था।

घाटमपुर इलाके के एक गांव में ईंट भट्टे के पास एक खेत में दो लड़कियों के शव एक पेड़ से लटके पाए गए थे। उनके परिजनों का आरोप था कि इन नाबालिगों के साथ कुछ दिन पहले बलात्कार किया गया था। ये लड़कियां इसी ईंट-भट्टे में काम करती थीं।

पुलिस के मुताबिक पीड़ित परिवारों का आरोप है कि 16 और 14 वर्ष की इन लड़कियों के साथ कुछ दिनों पहले ठेकेदार रामरूप निषाद, उसके बेटे और भतीजे द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और आरोपियों ने उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो भी बनाया था जिसकी वजह से इन लड़कियों ने बुधवार को पेड़ पर फांसी लगा ली। उसने बताया था कि दोनों नाबालिग लड़कियां लापता हो गई थीं और कई घंटों बाद इनके शव पेड़ से लटकते मिले।

पुलिस ने ठेकेदार रामरूप निषाद (48), उसके बेटे राजू (18) और भतीजे संजय (19) को गिरफ्तार कर लिया था। ये तीनों हमीरपुर जिले के रहने वाले हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में दो बच्चियों के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में ‘जंगल राज’ है, और कानून नाम की चीज नहीं बची है।

प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘कानपुर में सामूहिक बलात्कार की पीड़ित दो नाबालिग बच्चियों ने आत्महत्या कर ली। अब उन बच्चियों के पिता ने भी आत्महत्या कर ली है। आरोप है कि पीड़ित परिवार पर समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा था।’

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में पीड़ित बच्चियां-महिलाएं अगर न्याय मांगती हैं तो उनके परिवारों को बर्बाद कर देना नियम बन चुका है। उन्नाव, हाथरस से लेकर कानपुर तक-जहां भी महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ, उनके परिवार बर्बाद कर दिए गए।’

कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि इस ‘जंगलराज’ में महिला होना मात्र अपराध हो गया है, जहां कानून नाम की कोई चीज नहीं बची है। प्रियंका गांधी ने सवाल किया, ‘आखिर प्रदेश की करोड़ों महिलाएं क्या करें, कहां जाएं?’

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से महिलाओं  के साथ हत्या बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं उसको देखते हुए नहीं लगता की प्रदेश में कानून का राज कायम है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार की तरफ से लगातार यह बात कही जा रही है कि प्रदेश में राम राज कायम है। गुंडे प्रदेश से पलायन कर चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। देखा जाय तो प्रदेश में आए दिन कोई न कोई महिला या लड़की बलात्कार की शिकार हो रही है। जब महिला थाने में इसकी शिकायत करने जा रही हैं तो उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। थाने से उन्हें भगा दिया जा रहा है। थाने में पीड़ित पक्ष की आवाज को लगातार दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

मामला चाहे उन्नाव, बीएचयू या फिर सोनभद्र का चर्चित बलात्कार कांड हो अधिकांश मामलों में यही देखने में आ रहा है कि सत्ता के पोषित लोग बेखौफ होकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। थाने स्तर से ऐसे मामलों को दबाने के प्रयास भी तेजी से हो रहे हैं। इधर कुछ समय से देखने और सुनने में आ रहा है कि पीड़ित पक्ष की आवाज को दबाने की कोशिशें ज्यादा हो रही हैं।

एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो के मुताबिक पूरे देश में हर रोज 86 रेप के मामले आते हैं। इनमें से सिर्फ उत्तर प्रदेश में 13 प्रतिशत यानी 11 घटनाएं हर रोज होती हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं 2014 में 3,467,  2017 में 4,246 और 2020 में 2,769 रेप के मामले समने आए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़ा साल 2021 के मुकाबले 4 प्रतिशत ज़्यादा है। 2022 में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध में भी 8.7 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ।

थाने में प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी का कारण ?

जब कोई पीड़िता थाने में बलात्कार की शिकायत लेकर जाती है तो थाने से पुलिस उसे वापस घर भेजने की कोशिश में लग जाती है। पुलिस विभाग के अधिकारी शासन की मंशा के अनुरूप ही काम करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार आज जब बलात्कार के मामलों को रोक पाने में नाकाम हो रही है तो केस दर्ज न होने पाए का रास्ता अपना रही है। जिससे एनसीआरबी के आंकड़ों में खुद को अच्छी पोजिशन में ला सके।

 बहरहाल, जो भी हो एक बात तो तय है कि उत्तर प्रदेश में आए दिन हो रही हत्या और बलात्कार को रोक पाने में वर्तमान बीजेपी की योगी सरकार नाकाम साबित हो रही है।

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