विकास के नाम पर सरकार किसानों को उनके खेत खलिहान से विस्थापित कर भूमिहीन कर रही है। पूरे देश में विस्थापन की त्रासदी जारी है। जिन पिछड़े दलित समाज के पास थोड़ी ज़मीनें हैं, जिस पर उनके परिवार का गुजारा होता है, उसे अवैध तरीके से सरकार नाममात्र के मुआवजे पर ले रही है।
आज़मगढ़ जनपद के गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरिराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी के ग्रामनिवासी 11-12 अक्टूबर, 2022 से आज़मगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण के नाम पर 670 एकड़ भूमि के जबरन अवैध सर्वे का विरोध करते हुए अंदोलनरत हैं, यहाँ के किसान इस परियोजना के लिए ज़मीन देना नहीं चाहते।
सरकार का दावा है कि इन परियोजनाओं से इलाके में विकास होगा। जबकि परियोजना से यहाँ खेती करने वाले किसान सड़क पर आ जाएंगे क्योंकि इस इलाके में खेती ही सबसे ज़्यादा आजीविका देती है। सरकार फसल उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी आज तक लागू नहीं की । दूसरी तरफ बीज, खाद एवं कृषि उपकरण दिन-प्रतिदिन महंगे होते जा रहे हैं।
किसानों और ग्रामीणों के आंदोलन और संघर्ष के पौने दो साल
2 फरवरी, 2023 को ज़िलाधिकारी आज़मगढ़ से किसान और किसान नेताओं की वार्ता हुई, जिसमें ज़िलाधिकारीने किसानों से कहा कि, ‘आप जन प्रतिनिधि तो हैं नहीं कि आपके कहने पर एयरपोर्ट विस्तारीकरण की परियोजना वापस ले ली जाएगी। इस बात की जानकारी होने के बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी विधानसभा में किसानों के पक्ष में सवाल उठाया।
मार्च 2023 से, ज़िला आज़मगढ़, फूलपुर तहसील के अंडिका ग्रामवासी सरकारी अधिकारियों द्वारा ज़मीन के अवैध सर्वेक्षण के खिलाफ आंदोलनरत हैं। किसानों ने बताया कि जमीन का माप और सर्वेक्षण बेहद संदिग्ध तरीके से उनको बिना किसी तरह की कोई सूचना देते हुए किया गया। यहाँ के ग्रामीणों ने इस बात का घोर विरोध किया था। इन लोगों ने आरटीआई के ज़रिये इन ज़मीनों के अधिग्रहण से जुड़े सरकार की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर निर्धारित समय सीमा में कोई जवाब नहीं दिय। जबकि कोई भी जवाब न देना सूचना के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
किसान नेताओं ने कहा कि बड़े दावों के बीच में सरकार के पास फसलों को तबाह कर रहे आवारा पशुओं को रोकने का कोई उपाय नही है। ग्रामीण रोज़गार गारंटी (मनरेगा) जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और लोगों के आर्थिक मज़बूती के लिए महत्वपूर्ण रहा है उसे मज़बूत न करके जबरन विनाशकारी औद्योगिकीकरण थोपा जा रहा है जो खेती-किसानी ही नही बल्कि गांव को ख़त्म कर देगा। ऐसा ही हाल शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जुड़े मुद्दों का है, जिनके प्रति लगातार अनदेखी की जा रही है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के निर्माण के बाद, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) द्वारा औद्योगिक गलियारे के लिए आज़मगढ़ के सुमाडीह, खुरचंदा, बखरिया, सुलेमापुर, अंडीका, छज्जोपट्टी, सुल्तानपुर के कलवारीबाग, भेलारा, बरामदपुर, सजमापुर के किसानों ने जबरन ज़मीन के अवैध सर्वे का विरोध किया जा रहा है।
यहाँ बहुफसलीय छोटी जोत के किसान-मज़दूर की जीविका खेती पर आश्रित है। यह जैव विविधता से भरा क्षेत्र है। यहाँ बड़े पैमाने पर पशु-पक्षी, तालाब, पोखरा और लाखों की संख्या में पेड़-पौधे हैं, जिनके विनाश से पर्यावरण पर भारी दुष्प्रभाव पड़ेगा। औद्योगिकीकरण से जल-स्तर घटेगा, आसपास की खेती-जीवन प्रभावित होंगे और जनता को प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा।
जन प्रतिनिधियों ने किसानों का साथ देने का किया वादा
आजमगढ़ के लालगंज लोकसभा के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र और एयरपोर्ट के नाम पर किसानों की ज़मीन छीने जाने के सवाल को आने वाले मानसून सत्र में सदन में उठाने के लिए किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर आश्वासन दिया।
किसान नेताओं से वार्ता में सांसद दरोगा प्रसाद सरोज ने कहा कि, लंबे समय से चल रहे किसानों के संघर्ष को सरकार ने नज़रअंदाज़ किया है। सांसद ने किसानों की ज़मीन बचाने की लड़ाई को लोकसभा में उठाने और साथ ही उनके संघर्ष में शामिल होने का वादा किया।
इसके पहले ‘जान दे देंगे, ज़मीन नही देंगे’ के संकल्प के साथ शुरू हुए आंदोलन करने वाले किसानों का समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक नफ़ीस अहमद ने समर्थन दिया और 6 दिसंबर, 2022 को विधानसभा में किसानों के पक्ष में सवाल उठाया।
पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव, सोशलिस्ट किसान सभा राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव, डा. राजेंद्र यादव, श्याम सुंदर मौर्या, राज शेखर, नंदलाल यादव, पूर्व प्रधान अवधू यादव, रामचंद्र, दुर्गा प्रसाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।