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पीएम के संसदीय क्षेत्र में सरकारी दावे महज काग़ज़ी, मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं गरीब

आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी इन गाँवों के ज़रूरतमंद व वंचित समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से रुबरू होने का अवसर ही नहीं मिला है। उपर्युक्त आरोप दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का है, जो गुरुवार को उक्त गाँवों का दौरा कर दलित, वंचित व जरुरतमंदों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों का जायजा ले रहे थे।

उत्तर प्रदेश की सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा रोज किये जा रहे विकास के दावों की पोल देश प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी ज़िले के आराजी लाईन विकास खंड के बीरभानपुर, मेहदीगंज, कचनार आदि गाँव की बदहाल स्थितियां खोल रही हैं। आलम यह है कि आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी इन गाँवों के ज़रूरतमंद व वंचित समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से रुबरू होने का अवसर ही नहीं मिला है। उपर्युक्त आरोप दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का है, जो गुरुवार को उक्त गाँवों का दौरा कर दलित, वंचित व जरुरतमंदों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों का जायजा ले रहे थे।

वंचित और अल्पसंख्यक समुदाय की वर्तमान स्थितियों पर चिंता प्रकट करते हुए राजकुमार गुप्ता ने कहा कि गरीबों की सबसे बड़ी समस्या है- उनकी आवासीय जमीन पर उनका नाम दर्ज न होना। यदि किसी के नाम से जमीन है भी तो उस पर उनकी कब्जा नहीं है। इस वजह से उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली तमाम सुविधाएं और योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। कोरोना की वजह से उन्हें पिछले दो साल से रोजगार भी समय से नहीं मिला है। किसी तरह उनका जीवन बीत रहा है, रोजी-रोटी चल रही है। अभी अक्टूबर के अंत में घटी वाराणसी जिला के करसड़ा गांव की घटना को आप याद करिए, जहां नाम से जमीन होने के बाद भी सरकार मुसहर बिरादरी की बस्ती को बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त करवा दी। जब सरकार ही गरीबों के प्रति यह रवैया अपनायी है तो फिर दबंगों और गुंडों का व्यवहार उनके प्रति कैसा होगा। यह बात दिमाग आते ही दिल दहल जाता है।

गुप्ता ने बताया कि मैं जिन गांवों की बातें कर रहा हूॅ, वे गांव तहसील और ब्लाक मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को आवश्यक सुविधाएं नहीं मिली/मिल रही है तो मैं यही कहूंगा कि सरकार से उन्हें मिलने वाली सुविधाओं और सरकार द्वारा किये जा रहे विकास के दावे महज़ काग़ज़ी हैं। असल ज़िंदगी से उनका कोई सरोकार नहीं है। यदि सरकार धरातल पर दलितों, पिछड़ों और गरीब जरूरतमंदों के लिए कोई पहल नहीं करती है तो 26 नवम्बर,2021 को संविधान दिवस पर इन गाँवों में दीप प्रज्वलित कर ‘संविधान शक्ति युग’ मनाया जायेगा।

‘संविधान शक्ति युग’ के बारे में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस आयोजन के दिन से ही इनके संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई का आंदोलन की शुरुआत बड़े पैमाने पर किया जाएगा और प्रभावित गाँवों की रिपोर्ट तैयार कर मानवाधिकार, एससी/एसटी, अल्पसंख्यक आयोग सहित इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीजेआई को भेजा जाएगा। ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर बीडीओ, एसडीएम और कलेक्टर तक अपनी समस्याओं और मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दिया; लेकिन आज तक उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव में नेता वोट माँगने आते हैं और झूठे वादा करके चले जाते हैं। बाबु अली साबरी ने बताया कि सरकार द्वारा हजारों रुपए खर्च कर सर्वे करवाया जाता है, ताकि गरीब-जरूरतमंद लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जा सके। परंतु यह मात्र दिखावा साबित हुआ है और आज भी हो रहा है। बाबु अली साबरी ने कहा कि निरंकुश और निष्क्रिय जन प्रतिनिधियों के कारण हमारी और हमारे क्षेत्र का विकास कार्य समुचित रूप से नहीं हुआ है। इसका जवाब हम सब आने वाले विधानसभा चुनाव में देंगे, जिसका परिणाम वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के लिए घातक सिद्ध होगा।

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूॅ कि उपर्युक्त उल्लेखित गांव प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिये गये गोद और सांसद आदर्श गाँव नागेपुर और जयापुर गाँव से कुछ ही दूरी पर स्थिति है। इसके बाद भी शासन-प्रशासन के लोग गंभीर नहीं है। राजकुमार गुप्ता ने कहा कि प्रभावित सभी गाँवों में ‘संविधान शक्ति युग’ मनाने के मद्देनजर लगातार बैठकें जारी हैं।

गाँव के लोग
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