भारत में आंदोलनधर्मी अभिनेता-नाटककार और निर्देशक के रूप में राकेश का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। उनके अनौपचारिक और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण उनके मित्रों की बहुत लंबी और देशव्यापी फेहरिस्त है। इसीलिए राकेश जहां अपने कलाकर्म को लेकर बहुत गंभीर रहे हैं वहीं पद-प्रतिष्ठा को लेकर उतने ही उदासीन भी रहे। उनके लिखे नाटक मंचों पर नुक्कड़ों पर लगातार खेले जाते रहे हैं। राकेश अनेक संगठनों से जुड़े रहे हैं और सांप्रदायिकता विरोधी यात्राओं में सक्रिय रहे हैं। लखनऊ स्थित उनके घर पर हुई इस बातचीत में उन्होंने अपनी जीवनयात्रा और सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों को लेकर बातचीत की है….
इधर बीच
ग्राउंड रिपोर्ट
मुझे निजी ग्लैमर से ज्यादा सांस्कृतिक सामूहिकता पसंद है – राकेश
भारत में आंदोलनधर्मी अभिनेता-नाटककार और निर्देशक के रूप में राकेश का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। उनके अनौपचारिक और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण उनके मित्रों की बहुत लंबी और देशव्यापी फेहरिस्त है। इसीलिए राकेश जहां अपने कलाकर्म को लेकर बहुत गंभीर रहे हैं वहीं पद-प्रतिष्ठा को लेकर उतने ही उदासीन भी रहे। उनके […]


गाँव के लोग
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