हजारीबाग जिले का सबसे बड़ा अनाज उत्पादन करने वाला प्रखंड, बड़कागांव अब अपनी पहचान खो चुका है। काले कोयले की काली नजर बड़कागांव को लग चुकी है। एनटीपीसी के कोयला खदान लगने के बाद गाँव की खेती और किसान दोनों संकट का सामना कर रहे हैं।
भूमंडलीकरण से पहले हर चौक, चौराहे और मोहल्ले में कैंची-चाकू पर धार लगाने वाले, पीतल के बर्तनों में कलई करने वाले, पुराने तेल के पीपे से अनाज रखने के लिए टीपे बनाने वाले, लोहे के सामान बनाने वाले, लकड़ी का काम करने वाले, जो महीने में एक बार आकर चक्कर लगाते थे लेकिन बाजार ने जैसे ही उपभोक्ताओं को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू किया, वैसे ही छोटे-छोटे काम करने वालों की रोजी-रोटी पर गाज गिरी।
जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा, आज़मगढ़ के तहत गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी व आसपास के ग्रामवासी 13 अक्टूबर 2022 से अनवरत खिरिया की बाग, ...
सरकार ने गांव पर हमला किया है। जिंदगी पर हमला किया है। जनता में धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाकर हमारी जीवन पर हमला किया जा रहा है। किसान आंदोलन में आंदोलनकारियों को आतंकवादी तक कहा गया। आज रेल की पटरियां नीलाम हो रहीं हैं। पटरी हमारी रेल मुनाफाखोर कंपनियों का हो रहा है। ठीक यही हाल एयरपोर्ट का भी हो रहा है।
सामान्य शहर में रहने वाले व्यक्ति का मुंबई जाकर सरवाइव करना मुश्किल होता है। एक तो वहाँ की भागती-दौड़ती ज़िंदगी, लोकल ट्रेन का सफर और बेतहाशा भीड़, जहां स्वयं को देख पाने की याद और फुरसत दोनों नहीं मिलती। ऐसे में घर से गया अकेला आदमी अक्सर घबरा जाता है और जल्द ही वापस अपने घर आने की सोचता है।
पंचगंगा महाराष्ट्र में स्थित भारत की महत्वपूर्ण नदी में से एक है। यह नदी चार नदियों के संगम से बनती है: कसारी, कुंभी, तुलसी और भोगवती। कोल्हापुर में पंचगंगा नदी प्राथमिक नदी है, जो नरसोबावाड़ी के पास कृष्णा नदी से मिलने तक जिले भर में 136 किलोमीटर बहती है। वाटर क्वालिटी इंडेक्स (WQI) के आधार पर, पंचनगंगा नदी बेसिन को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है अर्थात् उत्कृष्ट जल गुणवत्ता क्षेत्र के रूप में, अच्छी गुणवत्ता वाले क्षेत्र के रूप में और खराब गुणवत्ता वाले नदी जल क्षेत्र के रूप में। अपस्ट्रीम से डाउनस्ट्रीम तक बढ़ने की दिशा में नदी के पानी की गुणवत्ता उत्कृष्ट से खराब गुणवत्ता में बदल जाती है।
अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मानें तो अगले हफ्ते आने वाले आज़ादी के अमृत महोत्सव तक भारत के हर आदमी को पक्का घर, घर में नल, नल में जल, शौचालय, बिजली, एलइडी बल्ब, बल्ब में रोशनी, सिलेंडर और सिलेंडर में गैस का जो सपना उन्होंने देखा था वह पूरा होनेवाला है। लेकिन उन्हीं के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे (बल्कि कुछ साल पहले उसी का हिस्सा रहे) जिला चंदौली के नौगढ़ तहसील के अनेक गाँवों में उनका यह सपना अभी झूठ और छलावा मात्र है।
एक मंदिर पर यात्रा का थोड़ी देर के लिए ठहराव हुआ। इस मंदिर के आसपास काफी शांत माहौल था जिसे हम लोगों ने भंग कर दिया था। यह रैदास का मंदिर था। नीचे दो लोग नदी में स्नान कर रहे थे। उनमें से एक सज्जन गमछे की लुंगी बांधे ऊपर आये। उन्होंने पूछा ई का? तूफानी ने उनसे कुछ मजाक शुरु किया। उन सज्जन ने हम लोगों को सम्मान के साथ रुकने के लिए कहा।