झाँसी: मऊरानीपुर थाना अंतर्गत बुढाई ग्राम निवासी 35 वर्षीय युवा किसान पुष्पेंद्र सिंह ने सोमवार की शाम अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी। विगत 2 मार्च को जनपद झांसी समेत प्रदेश के कई जिलों में भयंकर बारिश एवं ओलावृष्टि के चलते किसानों की बड़ी मात्रा में फसलें नष्ट हो गई थीं।
इससे पहले 16 फरवरी को बिजनौर के खुशहालपुर में कर्ज के बोझ में दबे किसान दलजीत सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
ओलावृष्टि से ग्राम बुढाई निवासी पुष्पेंद्र सिंह की फसल को भी भारी नुकसान हुआ था। पुष्पेंद्र सिंह के पास साढ़े 4 बीघा जमीन थी जिसमें ढाई बीघा में मटर बोया था और 2 बीघा में गेहूं की फसल थी, जोकि ओलावृष्टि से नष्ट हो गई थी। ढाई बीघा में मटर मात्र 60 किलो निकली, जिससे परेशान किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी।
परिजनों ने बताया पुष्पेंद्र सिंह के पास साढ़े 4 बीघा जमीन थी जिस पर 1,04,000 का केसीसी कर्ज था। इसके अलावा पुष्पेंद्र के ऊपर डेढ़ लाख रुपए का साहूकारों का कर्ज था।
इसके आलावा मृतक किसान के ऊपर उसकी पत्नी कल्पना देवी एवं 2 बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी थी।
उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस अध्यक्ष शिव नारायण सिंह बताते हैं, ‘ओलावृष्टि एवं बारिश से किसानों की फसल को भारी नुकसान हुआ, प्रशासन ने नुकसान का सर्वे भी कराया है, लेकिन अभी किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाई है।’
झाँसी साढ़े 4 बीघे खेत में खेती किसानी करके पत्नी सहित दो छोटे बच्चों भरण पोषण करने वाले युवा किसान पुष्पेंद्र पुत्र महीपत सिंह गौर उम्र 35 वर्ष की फसल बर्बाद हो गई 104000 PNB का कर्ज़ डेढ़ लाख साहूकारों का कर्ज़ ढाई बीघा में 60 किलो मटर निकली किसान सदमे में आया और 18 मार्च 1/2 pic.twitter.com/rm0bgfJqO2
— Shiv Narayan Singh (@parihar_narayan) March 19, 2024
एक घंटे में एक किसान दे रहा जान
देश में किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में भारत में 11,290 किसानों ने आत्महत्या की है। यानि भारत में हर एक घंटे में एक किसान अपनी जान दे रहे हैं।
यह इस बात का साफ संकेत है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं कृषि संकट एवं किसानों की समस्याओं का निदान करने में नाकाफ़ी साबित हो रही हैं। भारत में एक तरफ सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के दावे किये जा रहे हैं तो दूसरी तरफ आर्थिक तंगी के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
किसानों की लगातार आत्महत्या का सिलसिला सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कई सवाल खड़े करते हैं।