राजनीतिक गलियारों और मीडिया में, समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की दो दिवसीय रायबरेली यात्रा चर्चा में थी। चर्चा इसलिए थी क्योंकि रायबरेली लोकसभा क्षेत्र कॉंग्रेस और गांधी परिवार का पारंपरिक क्षेत्र है। राजनीतिक गलियारों में रायबरेली को कांग्रेस और गांधी परिवार के गढ़ के रूप में जाना जाता है। शुक्रवार 17 दिसंबर को अखिलेश यादव अपनी चुनावी यात्रा के रथ पर सवार होकर रायबरेली पहुंचे।
देश और उत्तर प्रदेश सहित राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों की नजर अखिलेश यादव की रायबरेली यात्रा पर थी, अखिलेश के स्वागत करने और उन्हें सुनने के लिए जनसैलाब भी उमड़ा, मगर जनसैलाब को देखकर अखिलेश यादव का मन बिल्कुल भी नहीं डोला जिसकी उम्मीद राजनीतिक पंडित, विश्लेषक और मीडिया कर रहे थे। जनसैलाब को संबोधित करते हुए और रथ में बैठकर, पत्रकारों के सवाल का एक ही जवाब दिया कि 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा का सफाया होगा और एक बार फिर से समाजवादी पार्टी की प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनेगी। अखिलेश यादव ने रायबरेली में यह बड़ी बात कही और बड़ा दिल उस समय देखने को मिला जब एक पत्रकार ने कांग्रेस और गांधी परिवार के गढ़ में अखिलेश यादव की उपस्थिति पर सवाल किया। पत्रकार के सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस सुलझी हुई पार्टी है। समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करती है मगर विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी हमेशा से रायबरेली लोकसभा क्षेत्र की सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है।
अखिलेश यादव ने जहाँ रायबरेली से सत्ताधारी भाजपा को ललकारा, वहीं कांग्रेस के गढ़ में होने के बाद भी, कांग्रेस के प्रति उदारता दिखाई। इस उदारता का राजनीतिक अर्थ क्या निकलेगा यह तो वक्त ही बताएगा, मगर इस उदारता के पीछे क्या विपक्ष की कोई अदृश्य रणनीति छिपी हुई है? वास्तव में विपक्ष का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की सत्ता से भाजपा को हटाना है। इसलिए विपक्षी पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप न कर केवल सत्ताधारी भाजपा को टारगेट कर रही हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों के भाजपा सरकार के खिलाफ एक जैसे मुद्दे हैं, लेकिन कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश के भविष्य को लेकर अपना अलग विजन है। ‘महिला और युवा’ विजन प्रियंका गांधी की ताकत बनता जा रहा है। वहीं यह सवाल भी तेजी से उठाने लगा है कि क्या मुस्लिम और यादव, महिला और युवा से मिलकर, प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर करने वाला है? यह मिलन राजनीतिक पटल पर अभी तो दिखाई नहीं दे रहा है मगर क्या यह मतदान केंद्रों पर नजर आएगा? बेशक, मार्च 2022 तक इसका इंतजार करना होगा।
देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।