छतीसगढ़। सूरजपुर में अखिल भारतीय किसान सभा का पाँचवाँ सम्मेलन 2 और 3 मार्च को सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में 200 प्रतिनिध्यों ने भाग लिया। किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव विजू कृष्णन ने सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा, भाजपा 400 पार का नारा है भले ही दे रही हो लेकिन लेकिन देश के मजदूर-किसानों का संकल्प है अबकी बार इस सरकार को तड़ीपार कराएंगे। किसानों-मजदूरों के खिलाफ काम करने वाली और अपने वादों को जुमला बताने वाली भाजपा को सत्ता से हटाकर देश को बचाना जरूरी है।
अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा का 5वां राज्य सम्मेलन आज छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के कल्याणपुर में एक उत्साही भागीदारी वाली आम सभा के साथ शुरू हुआ। इस सम्मेलन में पूरे राज्य से चुने गए 200 प्रतिनिधि हिस्सा लिया। जहां राज्य में खेती-किसानी की समस्याओं पर चर्चा किया और एक वैकल्पिक नीति के आधार पर किसान आंदोलन को व्यापक बनाने और संगठन को मजबूत करने के बारे में फैसला लिया गया।
आम सभा और सम्मेलन के खुले सत्र को संबोधित करते हुए विजू कृष्णन ने कहा कि मोदी और भाजपा ने किसानों को सकल लागत सी-2 का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने और उनको कर्जमुक्त करने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके वादे जुमले बन गए। अपने वादों को पूरा करने के बजाए उन्होंने तीन कृषि विरोधी कानूनों को लाया। 13 माह तक पूरे देश में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा बनाकर संघर्ष किया और इन कानूनों को शिकस्त दी। इन कानूनों को वापस लेते हुए किसान आंदोलन के साथ मोदी और भाजपा सरकार ने जो वादा किया था, उसे भी पूरा करने से इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि आज फिर किसान सड़कों पर है और 14 मार्च को दिल्ली में विशाल मजदूर-किसान महापंचायत करने का निर्णय लिया है। यह पंचायत भाजपा के ताबूत पर आखिरी कील गाड़ेगी और उसको सत्ता से निर्णायक रूप से बाहर करेगी।
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किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी अवधेश कुमार ने आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रोजी-रोटी की समस्याओं पर हो रहे संघर्षों को कमजोर करने के लिए भाजपा धर्म के नाम पर नफरत की राजनीति कर रही है। संविधान के मूल्यों पर हमला कर रही है और संसद को उसने पंगु बना दिया है। वह देश को फासीवादी रास्ते पर ले जाना चाहती है और देश में मनुवाद के आधार पर वर्ण व्यवस्था लागू करना चाहती है। भाजपा के हिंदुत्व का यही मतलब है। इसलिए आज देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने की बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है। इस लड़ाई में अडानी-अंबानी के हाथों देश को बेचने वालों की निश्चित रूप से हार होगी।
छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ चल रहे संघर्षों की ओर आम जनता का ध्यान आकर्षित करते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कहा कि भाजपा की किसान विरोधी नीतियों की सबसे बड़ी मार आदिवासियों, दलितों और लघु व सीमांत किसानों पर पड़ रही है। अपनी छोटी आबादी के साथ किसान आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में पांचवे स्थान पर है। प्रदेश का किसान कर्ज में डूबा है, वह भूमि से विस्थापित हो रहा है, लेकिन भाजपा सरकार उसे दुर्दशा से निकालने का कोई उपाय नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा की कॉर्पोरेट परस्त कृषि विरोधी नीतियों का विकल्प केवल वामपंथ के पास है और छत्तीसगढ़ में भी मजदूर-किसानों की व्यापक एकता के आधार पर भाजपा को परास्त किया जाएगा।
आमसभा और खुले सत्र का संचालन किसान सभा के सहसंयोजक ऋषि गुप्ता ने किया। खुले सत्र को सीटू के राज्य महासचिव एम के नंदी, आदिवासी एकता महासभा के महासचिव बाल सिंह, एटक के किरण सिन्हा, छत्तीसगढ़ पेंशनर्स कल्याण संघ के अनंत सिन्हा, लघु वेतन कर्मचारी संघ के सुजान विंद तथा लॉयर्स यूनियन के संजय सिंह ने संबोधित किया।