Saturday, December 14, 2024
Saturday, December 14, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलभाजपा सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने नहीं दिया जाएगा...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

भाजपा सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने नहीं दिया जाएगा : छग किसान सभा

रायपुर। संविधान की रक्षा की शपथ लेकर शासन करने वाली किसी भी सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने तथा उनके हित में बनाए गए कानूनों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। लेकिन हसदेव अरण्य के मामले में भाजपा सरकार ठीक ऐसा ही कर रही है इसीलिए उसके खिलाफ नागरिक को एकजुट किया […]

रायपुर। संविधान की रक्षा की शपथ लेकर शासन करने वाली किसी भी सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने तथा उनके हित में बनाए गए कानूनों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। लेकिन हसदेव अरण्य के मामले में भाजपा सरकार ठीक ऐसा ही कर रही है इसीलिए उसके खिलाफ नागरिक को एकजुट किया जा रहा है। हसदेव के मुद्दों के प्रति चिंतित प्रदेश के सभी संवेदनशील नागरिक और संगठन 7 जनवरी को हसदेव में भाजपा सरकार के आदिवासी विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त रुख के खिलाफ नागरिक प्रतिरोध मार्च में शामिल होंगे।

उक्त बातें छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कल यहां आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता  में कहीं। इस पत्रकार वार्ता को छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला के साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवीण श्योकंद, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के कलादास डहरिया तथा अमित बघेल आदि ने भी संबोधित किया।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पराते ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और खनिज राज्य का विषय है और इसलिए हसदेव के जंगल की कटाई राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकती। भाजपा पर कॉर्पोरेटपरस्त रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह पेसा कानून तथा आदिवासी अधिकार कानून का उल्लंघन कर रही है, जिसे मौजूदा सभी कानूनों पर सर्वोच्चता प्राप्त है। किसान सभा नेता ने ग्राम सभाओं का फर्जी प्रस्ताव तैयार करने वाले अधिकारियों और अडानी पर कार्यवाही करने, आदिवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार पत्रक देने, जिन आदिवासियों के वनाधिकार पत्रक छीने गए हैं, उन्हें वापस करने तथा विधानसभा संकल्प के अनुसार सभी कोयला खदानों का आबंटन निरस्त करने की मांग की।

आलोक शुक्ला ने पिछले माह दिसम्बर में हसदेव के जंगल काटे जाने के लिए वहां के ग्रामों को बंधक बनाने और उस क्षेत्र के आंदोलनकारी आदिवासियों को गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में लेने को भी विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि कोयला खनन के लिए अडानी द्वारा जो अनुमतियां हासिल की गई हैं, वे ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्तावों पर आधारित है, इसलिए उसकी कोई वैधानिकता नहीं है। इन फर्जीवाड़े की जांच के लिए राज्यपाल द्वारा निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्होंने पूछा कि यह कैसा कानून का शासन है, जो सार्वजनिक संपत्ति हड़पने वालों के साथ खड़ा है और इसका विरोध करने वाली आम जनता पर डंडे बरसा रहा है?

संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं के सतत विरोध को दरकिनार करके एक पूंजीपति की लूट और भ्रष्टाचार के लिए हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगल, जमीन, जल स्रोत और पर्यावरण का विनाश किया जा रहा हैl राज्य में नव गठित भाजपा सरकार के निर्देश पर भारी पुलिस बल तैनात कर निर्दयता के साथ सैकड़ों वर्ष पुराने हजारों पेड़ों को काट दिया गया। 21 से 23 दिसंबर तीन दिनों तक खनन प्रभावित सभी गांवों को नजरबंद किया गया, नेतृत्वकारी युवा साथियों और सरपंचों को अमानवीय तरीके से गिरफ्तार कर गैरकानूनी हिरासत में रखा गया l

महत्वपूर्ण है कि इस सम्पूर्ण हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पांचवी अनुसचित क्षेत्र के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं ने पिछले एक दशक में कई बार कोयला उत्खनन परियोजना का विरोध किया है, परन्तु अडानी कम्पनी के द्वारा ग्रामसभाओं के कूटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार करके विभिन्न स्वीकृतियां हासिल की गईं है। पूर्व राज्यपाल ने परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांव फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जाँच के आदेश दिनांक 23 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन को दिया था, परन्तु आज तक जाँच नही की गई l वर्तमान में जिस परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खनन परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ों की कटाई की गई है, वह वन क्षेत्र ग्राम घाटबर्रा के सामुदायिक निस्तार का जंगल था l इस गाँव को प्राप्त सामुदायिक वन अधिकार पत्र को गैरकानूनी रूप से जिला स्तरीय समिति सरगुजा ने निरस्त किया था, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय बिलासपुर में मामला लंबित है l

पराते ने आगे बताया कि भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने हाल ही हसदेव अरण्य क्षेत्र पर विस्तृत अध्ययन किया है, जिसकी रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन को सोंपी गई है l रिपोर्ट में सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को खनन गतिविधियों से मुक्त रखने की सिफारिश की गई है l रिपोर्ट में WII ने चेतवानी देते हुए लिखा है कि यदि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति दी गई, तो न सिर्फ हसदेव नदी और पर्यावरण का विनाश होगा बल्कि मानव-हाथी संघर्ष इतना विकराल हो जायेगा कि उसे कभी सम्हाला नही जा सकता l (प्रेस विज्ञप्ति)

यह भी पढ़ें…

छत्तीसगढ़ : पेड़ों के मरघट में बदल रहा है हसदेव अरण्य

छत्तीसगढ़: संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बनी सहमति को लागू करें केंद्र सरकार

 

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here