वाराणसी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनने वाले राममंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बीजेपी अपने राजनैतिक एजेंडे के तहत भुनाने का प्रयास कर रही है। मंदिर में अभी निर्माण कार्य चल ही रहा है फिर भी लोकसभा चुनाव के पहले उद्घाटन कार्यक्रम का ऐलान कर दिया गया। साथ ही इस कार्यक्रम से ‘हरएक’ को जोड़ने के लिए तमाम तरह की ‘प्लानिंग’ भी की गई है।
यह साफ है कि मंदिर के जरिए भाजपा लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाना चाहती है। इसी के तहत 22 जनवरी यानी कल सभी शैक्षणिक, निजी और सरकारी संस्थानों को दोपहर 2.30 बजे तक बंद करने की घोषणा कर दी गई है। ताकि लोग शिक्षा-दीक्षा और काम-धाम छोड़कर सिर्फ मंदिर निर्माण का हिस्सा बने। अपने ‘वोट बैंक’ के आगे बीजेपी आमजन की समस्याओं से रूबरू ही नहीं होना चाहती है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजर में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम ही सर्वोपरि है। राममंदिर के कार्यक्रमों को ‘वोट बैंक’ में बदलने के लिए देश में सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों, केंद्रीय संस्थानों और केंद्रीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों को आधे दिन के लिए बंद रखने की घोषणा की गई है। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बीमा कंपनियां वित्तीय संस्थान और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी आधे दिन बंद रहेंगे।
आधे दिन की ‘बंदी’ को लेकर कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा है कि BJP हमेशा से धर्म की राजनीति करती आई है, मजहब के नाम पर फायदा उठाना बीजेपी का पुराना तरीका है। हिंदू-मुस्लिम, अजान, भजन, कीर्तन जैसे मुद्दों पर ही बीजेपी वोट मांगती रहती है।
सपा प्रवक्ता ने के अनुसार, ‘राममंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो रहा है। इसलिए प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी ने ही राम मंदिर को बनवाया है। बीजेपी इसका पूरा क्रेडिट लेना चाहती है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी चाहे जितना लाभ लेने का प्रयास करें लेकिन जनता पूछ रही है कि 2014 में रोजगार देने, किसानों की आय दोगुनी करने और महंगाई कम करने का वादा किया था उन वादों का क्या हुआ।
शिक्षा के मंदिरों से बड़ा है राममंदिर?
दूसरी तरफ, राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार बीएचयू में इस दिन होने वाली एक परीक्षा को टाल दिया गया है। इसके अलावा देश में होने वाली कई प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं को भी टाल दिया गया है। इस दिन देश की अधिकांश शिक्षण संस्थाओं ने अपने यहां अवकाश घोषित कर दिया है।
एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने केंद्रीय कार्यालयों में आधे दिन की छुट्टी रखी तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को एक दिन बंद रखने का आदेश दे डाला। बीते 11 जनवरी को कानून-व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के सम्बंध में की जा रही तैयारियों की समीक्षा के दौरान सीएम योगी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के साथ सरकारी दफ्तरों को भी बंद रखा जाए। राममंदिर के प्राण-मंदिर समारोह के दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
‘प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर सभी केंद्रीय कार्यालयों, बैंकों के साथ ही शिक्षण संस्थानों को बंद करने से आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।’
गिलट बाजार राजेश गुप्ता ने आगे कहा कि बैंकों के साथ ही स्कूल-काॅलेजों को बंद करना कहीं से भी उचित नहीं है। किसी व्यक्ति को बैंक से पैसे निकालने की जरूरत पड़ गई तो क्या वह दो बजे तक का इंतजार करेगा?
नाम न छापने की शर्त पर भोजूबीर निवासी एक व्यक्ति ने कहा कि यह सब केवल वोट की राजनीति के लिए किया जा रहा है। राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को सहज ढंग से भी किया जा सकता था। कार्यक्रम का इतना ताम-झाम सरकार नहीं करेगी तो लोगों को मालूम कैसे होगा? यह सिर्फ जनता के पैसे की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है।
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गिलट बाजार में मोटर साइकिल बनाने वाले दिलीप कहते हैं कि ठंड के चलते स्कूल-काॅलेज पहले ही इतने दिनों तक बंद थे। अब खुले तो फिर एक दिन की छुट्टी। बच्चों की पढ़ाई लिखाई सब बर्बाद हो जा रही है। क्या जरूरत है इस तरह से पैसा बर्बाद करने की?
अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर बीएचयू में 22 जनवरी को होने वाली स्नातक और स्नातकोत्तर की सेमेस्टर की परीक्षाओं को टाल दिया गया। मजेदार बात यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा टालने का कारण छात्रों की माँग को बताया।
विश्वविद्यालय की तरफ से बताया गया कि छात्र विश्वविद्यालय परिसर में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं। ये छात्र विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों से मिलकर उन्हें ज्ञापन देकर मांग किए थे। परीक्षा नियंता कार्यालय की तरफ से इस बाबत आदेश भी जारी कर दिया गया है।
परीक्षा टालने के बाबत बीएचयू में पढ़ाई कर रहे एमए के छात्र संदीप यादव व्यंग्य भरे अंदाज में कहते हैं, ‘मोदी सरकार में तो मंदिर राजनीति के केंद में है। भाजपा की सारी राजनीति मंदिरों के ही आसपास केंद्रित रहती है। जब अयोध्या में राममंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की बात हो तो परीक्षा क्या चीज है? कुछ भी टाला जा सकता है। इस समय शिक्षा में मंदिर से बड़ा राममंदिर हो गया है।
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वहीं, चंदौली के पत्रकार अशोक कुमार कहते हैं कि जनता के हर मुद्दे पर मोदी सरकार विफल हो चुकी है। नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा, किसानों को उनकी फसल के दाम नहीं मिल रहे, आम आदमी महंगाई से परेशान है। लेकिन भाजपा मंदिर बनवाकर या मस्जिद का विवाद दिखाकर वोट बंटोर रही है।
उन्होंने कहा कि जनता को छलने वाले और उनके बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राम मंदिर का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन इस देश का नौजवान और किसान अपने इन्हीं मुद्दों को लेकर भाजपा के समक्ष बैठने वाली है।
बहरहाल, अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बहाने जिस प्रकार से इस दिन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और तमाम शिक्षण संस्थाओं को बंद कर दिया गया, उससे यही प्रतीत होता है कि हमारे लिए स्कूल-काॅलेज नहीं मंदिर ज्यादा महत्वपूर्ण है।