मैं जब अपने देश के लोकतंत्र को पिंजरे वाली मुनिया कह रहा हूं तो इसके पीछे यही बात है कि कर्ता नरेंद्र मोदी हैं और उनके पीछे आरएसएस खड़ा है। गंभीर सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी ही सब कुछ करनेवाले क्यों बने हैं? उनके मन में आता है तो वह नोटबंदी की घोषणा कर देते हैं। उनके मन में आता है तो वह जीएसटी के नये कानूनों का ऐलान कर देते हैं। उनके मन में आता है तो वह रातों-रात लॉकडाउन की घोषणा कर देते हैं।
क्रिस्टोफर कॉडवेल अपनी किताब 'स्टडीज इन अ डाइंग कल्चर' में जब यह कह रहे हैं कि पश्चिमी सभ्यता के जितने भी नायक रहे हों, फिर चाहे वह जार्ज बर्नाड शॉ रहे हों या फिर पी. लॉरेंस, सभी सैनिक के रूप में बदल गए, तो उनका आकलन बिल्कुल सही था। मैं तो आज भारत के संदर्भ में कह रहा हूं कि डेमोक्रेसी के जितने भी नायक इस देश में अबतक हुए या फिर हैं, वे ब्राह्मणवादी व्यवस्था के दलाल बन चुके हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़, कृपया अपने इस वाक्य पर गौर करें (डायरी 21 जुलाई, 2022)

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
[…] पिंजरेवाली मुनिया (डायरी 22 जुलाई, 2022) […]
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