नफरत-बंटवारे और साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ बेहद जरूरी है जाति जनगणना- अली अनवर अंसारी
भुवाल यादव, संवाददाता गाँव के लोग डॉट कॉम
बनारस में जाति जनगणना की मांग को लेकर वक्ताओं ने तर्क और तथ्य के जरिए भाजपा सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल में अंग्रेज़ों ने भारत देश के गैर-बराबरी से भरे समाज में अलग-अलग समूह की गणना कर उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करने का निर्णय लिया और इस कड़ी में भारत में जातिवार जनगणना की शुरुआत सन् 1881ई० में हुई। अंतिम बार जाति आधारित जनगणना 1931 में हुई थी। उसी आधार पर आजादी के बाद से अब तक सरकारें जनकल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करती हैं, जो कतई सही नहीं है। काका कालेलकर ने भी अपनी 1955 की रिपोर्ट में 1961 की जनगणना में जातिवार जनगणना कराने की अनुशंसा की थी, लेकिन तत्कालीन सरकार नहीं मानी।


