नई दिल्ली (भाषा)। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के शोधार्थियों की छात्रवृत्ति और आटीई को को लेकर सरकार का घेराव किया।
भाजपा सरकार ने अवगत कराया कि ओबीसी के शोधार्थियों के लिए वजीफे की राशि में बढ़ोतरी की गई है और इस वर्ष तक इस पर 51 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम में ओबीसी छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
कांग्रेस सांसद सुरेश ने कहा कि 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में ओबीसी के शोधार्थियों को विलम्ब से पैसे मिलने की शिकायत मिल रही है। उन्होंने इनके वजीफे की राशि बढ़ाने की सरकार की योजना के बारे में भी सवाल किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने के. सुरेश को यह जानकारी दी। भौमिक ने कहा कि इस साल छात्रवृत्ति के मद में आवंटित राशि 58 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 51 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं, इसलिए यह कहना गलत है कि वजीफे के वितरण में विलम्ब हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जीआरएफ के लिए पहले से निर्धारित 31 हजार रुपये प्रतिमाह के वजीफे को बढ़ाकर 37 हजार रुपये और 35 हजार रुपये को बढ़ाकर 42 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति योजना- श्रेयस (युवा अचीवर्स हेतु उच्च शिक्षा के लिये-Scholarships for Higher Education for Young Achievers Scheme) को भी 2021-22 से 2025-26 के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा अन्य वर्गों के लिए चल रही दो केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं – (प्रथम) ओबीसी के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप (द्वितीय) अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) के लिए विदेश में अध्ययन हेतु शैक्षिक ऋण पर ब्याज अनुदान की डॉ. अम्बेडकर केंद्रीय क्षेत्र योजना के साथ क्रियान्वयित किया जाएगा।
इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए फेलोशिप (वित्तीय सहायता) के साथ ही विदेश में अध्ययन के लिए शैक्षिक ऋण पर ब्याज अनुदान प्रदान करके ओबीसी और ईबीसी छात्रों का शैक्षिक सशक्तीकरण करना है।