Saturday, July 27, 2024
होमवीडियोकोरोना ने साफ़ तौर पर बता दिया कि ईश्वर कुछ नहीं है

ताज़ा ख़बरें

संबंधित खबरें

कोरोना ने साफ़ तौर पर बता दिया कि ईश्वर कुछ नहीं है

आठवें-नौवें दशक के महत्वपूर्ण कवियों में शुमार मदन कश्यप की कविताओं में एक पूरा दौर झाँकता है। खासतौर से बदलते हुये मनुष्य, मानवीय प्रवृत्तियों और मूल्यों को लेकर उनकी समीक्षात्मक दृष्टि ने उनकी कविताओं को सर्वथा अलग आयाम और स्थान दिया है। वे जहां भारत की सामूहिक मजबूरियों और सीमाओं को बारीकी से पकड़ते हैं […]

आठवें-नौवें दशक के महत्वपूर्ण कवियों में शुमार मदन कश्यप की कविताओं में एक पूरा दौर झाँकता है। खासतौर से बदलते हुये मनुष्य, मानवीय प्रवृत्तियों और मूल्यों को लेकर उनकी समीक्षात्मक दृष्टि ने उनकी कविताओं को सर्वथा अलग आयाम और स्थान दिया है। वे जहां भारत की सामूहिक मजबूरियों और सीमाओं को बारीकी से पकड़ते हैं वहीं मानव मन के द्वंद्व और अवसर का लाभ उठाकर बच निकलने की उसकी मंशा को भी भांप लेते हैं। मदन कश्यप का जन्म जन्म 29 मई 1954 जिला वैशाली, बिहार में हुआ और पढ़ाई-लिखाई के उन्होंने पटना में नौकरी की जिससे सेवामुक्त होने के बाद से वे नोएडा में रह रहे हैं। उनकी कविताओं के कई संकलन छप चुके हैं जिनमें 1993 में ‘लेकिन उदास है पृथ्वी’ 2000 में ‘नीम रोशनी में’ 2006 में ‘कुरुज’ 2014 में ‘दूर तक चुप्पी’, 2015 में ‘अपना ही देश’ और 2019 में ‘पनसोखा है इंद्रधनुष’ हैं। इसके अलावा चुनी हुई कविताओं का एक संकलन ‘कवि ने कहा’ भी प्रकाशित हुई। गद्य की दो किताबें भी छपी हैं जिनमें 2006 में ‘लहूलुहान लोकतन्त्र ‘ और 2014 में ‘राष्ट्रवाद का संकट’ आया। उन्हें (2009) में शमशेर सम्मान 2013 में केदार सम्मान 2015 में नागार्जुन सम्मान मिल चुका है। आज वे गाँव के लोग स्टुडियो में मौजूद हैं आइये उनसे बात करते हैं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट की यथासंभव मदद करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

लोकप्रिय खबरें