उच्चतम न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा, जिसमें लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण का मतदान संपन्न होने के 48 घंटे के अंदर मतदान केंद्रवार मत प्रतिशत के आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मुद्दे पर गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिका पर सुनवाई की।
इससे पहले दिन में, वकील प्रशांत भूषण ने एनजीओ की ओर से मामले का उल्लेख किया और याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगने के निर्वाचन आयोग के अनुरोध को ‘उचित’ बताया।सीजेआई ने कहा कि निर्वाचन आयोग को याचिका पर जवाब देने के लिए कुछ उचित समय दिया जाना चाहिए और इसे सात चरण के लोकसभा चुनाव के छठे चरण से एक दिन पहले 24 मई को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान एक उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने याचिका में ‘बिल्कुल गलत आरोप’ लगाए हैं और इसके अलावा, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के हालिया फैसले में उन मुद्दों से निपटा गया है, जो वर्तमान मामले का भी हिस्सा हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने 26 अप्रैल को कागजी मतपत्रों को फिर से अपनाने और मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर डाले गए वोटों के 100 प्रतिशत मिलान की याचिका खारिज कर दी।
दूसरी ओर, प्रशांत भूषण ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि मतदाता मतदान डेटा से संबंधित मुद्दा पिछली याचिका का हिस्सा नहीं था।
सीजेआई ने इससे पहले दिन में निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील से निर्देश लेने को कहा और कहा कि वह आखिर में मामले की सुनवाई करेंगे।
पिछले हफ्ते एनजीओ ने अपनी 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया, जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की अपील की कि सभी मतदान केंद्रों के ‘फॉर्म 17 सी भाग-प्रथम (रिकॉर्ड किए गए मत) की स्कैन की गई पढ़ने योग्य प्रतियां’ मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं।
इसमें कहा गया कि याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दाखिल की गई थी कि चुनावी अनियमितताओं से लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो।