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ग्राउंड रिपोर्ट

‘गौरक्षा’ के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार में बेहाल हैं गोवंश, पशुओं को नोच रहे कुत्ते

गाजीपुर/ सुलतानपुर। गौरक्षा का संकल्प लेकर वोट जुटाने वाली भाजपा सरकार में गोवंशों की क्षति हो रही है। हालत यह है कि गोवंश आश्रय स्थल पर ही आवारा कुत्ते चोटिल पशुओं को नोचकर उनका मांस खा रहे हैं। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल उस वीडियो में देखा जा रहा है जो गाजीपुर में कासिमाबाद […]

गाजीपुर/ सुलतानपुर। गौरक्षा का संकल्प लेकर वोट जुटाने वाली भाजपा सरकार में गोवंशों की क्षति हो रही है। हालत यह है कि गोवंश आश्रय स्थल पर ही आवारा कुत्ते चोटिल पशुओं को नोचकर उनका मांस खा रहे हैं। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल उस वीडियो में देखा जा रहा है जो गाजीपुर में कासिमाबाद के परजीपाह गाँव में स्थित है। वहीं सुलतानपुर के जयसिंहपुर स्थित गो-आश्रय केंद्र में गोवंशों को ‘काऊ कोट’ तक नहीं मिल पाया है।

गाजीपुर के मामले को संज्ञान में लेते हुए एसडीएम राजेश प्रसाद चौरसिया ने गौ-आश्रय स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा है कि यह वीडियो यहाँ का नहीं है। जबकि उनके स्थलीय निरीक्षण में तमाम खामियाँ नज़र आई हैं। इसके लिए उन्होंने खंड विकास अधिकारी को मौके पर बुलाकर कड़ी फटकार लगाई है।

वीडियो वायरल होने के बाद मौके पर पहुँचे एसडीएम ने बताया कि यहाँ 358 पशु मौजूद हैं। रजिस्टर में 16 फरवरी के बाद कोई भी डाटा दर्ज नहीं किया गया था, जिसके लिए केयर टेकर पर कार्रवाई की गई है।

गो-आश्रय केंद्र में चार पशु मिले मृत

एसडीएम के अनुसार, गो-आश्रय स्थल में चार पशु मृत मिले हैं। वहीं, सूत्रों ने बताया कि तीन गाय पहले ही मृत हो चुके थे। एक की हालत खराब थी, इसलिए उसे अन्य पशुओं से दूर रख दिया गया था। उसे ही आवारा कुत्तों ने नोंचकर मार डाला।

गाज़ीपुर में कासिमाबाद के परजीपाह गाँव में स्थित गो-आश्रय केंद्र का निरीक्षण करने पहुँचे अधिकारी

मौके पर पहुँचे अधिकारियों ने मृत पशुओं का तत्काल पोस्टमार्टम कराकर उन्हें दफ़न करने का निर्देश दिया है। इसके पहले केंद्र पर साफ-सफाई, पशुओं को कम चारा उपलब्ध होना सहित खान-पान के रखाव को लेकर अधिकारियों ने संचालक को फटकारा है।

खंड विकास अधिकारी ने कम चारा उपलब्ध होने पर एसडीएम व अन्य अधिकारियों से अनुरोध किया है। साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी से कहा है कि दवाइयों का भी उचित प्रबंध किया जाए। अधिकारियों ने बीडीओ को आश्वस्त किया है।

यूपी की योगी सरकार ने छुट्टा पशुओं की सुरक्षा और खान-पान को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एक भी गोवंश निराश्रित नहीं रहे। देखभाल के लिए सरकार ने जगह-जगह आश्रय केंद्र तो बनाए लेकिन यहाँ चारा-पानी की कमी के कारण गोवंश मृत हो रहे हैं। उन्हें चिकित्सकीय सुविधाएँ भी ठीक से नहीं मिल पा रही हैं।

सुलतानपुर में गायों को नहीं मिला ‘काऊ कोट’

दूसरा मामला, यूपी के सुल्तानपुर जिले का है। जयसिंहपुर विकासखंड के पीढी स्थित गोशाला में मौजूद 300 से ज्यादा गायों को भीषण ठंड में खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है। उन्हें ‘काऊ कोट’ तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। यहाँ भी चारे के अभाव में पशु कमजोर हो गए हैं। अधिकतर पशु ज़्यादा देर तक खड़े भी नहीं रह पा रहे हैं।

जिम्मेदार अफसरों और ग्राम प्रधानों की गलत नीतियों के कारण गोवंश केंद्र में असुरक्षित और असहज हैं। पशुओं को ‘धुअनी’ तक नहीं दी जाती, जिस कारण मच्छर-मक्खियाँ उन्हें घेरे रहती हैं। यहाँ भी कई गोवंश बीमार हैं, बावजूद इसके उन्हें चिकित्सकीय सुविधा नहीं दी जा रही है।

खानापूर्ति का आलम यह है कि पशु आश्रय केंद्रों में साफ-सफाई और पशुओं को ठंड से बचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। उन्हें पर्याप्त चारा न मिलने के चलते गौवंश बीमार होकर दम तोड़ रहे हैं। बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के लिए पशु आश्रय केंद्र तो खोले गए। लेकिन अब यह जिम्मेदार अफसरों व प्रधानों के लिए एक आय के साधन बनकर रह गए हैं।

इस बाबत बीडीओ निशा तिवारी ने बताया कि जल्द ही अभियान चलाकर गो-आश्रय केंद्रों को दुरुस्त किया जाएगा। साथ ही दोषी पाए जाने पर सम्बंधित लोगों को पर कार्रवाई की जाएगी।

संदीप पांडेय ने कहा, गोरक्षकों से पूछना चाहिए सवाल

सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव संदीप पांडेय ने कहा, ’योगी सरकार ने गाय के नाम पर सिर्फ अपनी राजनीति मजबूत की है। यह बात इसी से साफ हो जाती है कि जानवरों को खिलाने के लिए 30 रुपये प्रतिदिन देने का ऐलान किया गया था। अब उन्हें चारा भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।’

संदीप पांडेय ने सरकार से सवाल कि जो हिंदुत्ववादी संगठन गो-रक्षा के नाम पर निर्दोषों को मारने-पीटने पहुँच जाते हैं, वे इन दयनीय हो चुके गो-वंशों के लिए क्या कर रहे हैं? क्या सरकार ने ही उनसे कभी पूछा कि गोशालाओं के निर्माण को लेकर उनके पास क्या योजना है? क्या पशुओं को गोशालाओं में पहुँचाने के लिए उन्हें सहेजा गया? जब प्रशासनिक अधिकारियों को समस्या के वृहद रूप का ज्ञान होता है तब वह किसानों के खिलाफ ही मुकदमा लिखने लगते हैं कि उन्होंने क्यों अपने पशु छोड़ रखे हैं? यानी जो किसानों को और परेशान किया जाता है।

अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा गाँव के लोग के सहायक संपादक हैं।

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