Tuesday, July 1, 2025
Tuesday, July 1, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

साहित्य

मूँदहु आंख भूख कहुं नाहीं

अब गरज तो विश्व गुरु कहलाने से है, भूख बढ़ाने में विश्व गुरु कहलाए तो और भूख मिटाने में विश्व गुरु कहलाए तो। उसके ऊपर से 111 की संख्या तो वैसे भी हमारे यहां शुभ मानी जाती है। भारत चाहता तो पिछली बार की तरह, भूख सूचकांक पर 107वें नंबर पर तो इस बार भी रह ही सकता था। पर जब 111 का शुभ अंक उपलब्ध था, तो भला हम 107 पर ही क्यों अटके रहते? कम से कम 111 शुभ तो है। भूख न भी कम हो, शुभ तो ज्यादा होगा।

विश्वगुरु की सीख का अपमान ना करे गैर गोदी मीडिया

इन पत्रकारों की नस्ल वाकई कुत्तों वाली है। देसी हों तो और विदेशी हों तो, रहेंगे तो कुत्ते...

तुम्हारी लिखी कविता का छंद पाप है

मणिपुर हिंसा पर केन्द्रित कवितायें  हम यहाँ ख्यातिलब्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी की कुछ कवितायें प्रकाशित कर रहे हैं।...

हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में  हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर संगोष्ठी का...

व्याकरण के प्रकांड विद्वान थे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और आरसी प्रसाद सिंह की मनाई गई जयंती दरभंगा। आज विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल.ना....

समाज विज्ञान के बरअक्स बौद्ध सभ्यता का सवाल

भाषा वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह की पुस्तक 'बौद्ध सभ्यता की खोज' में मौर्यकालीन मगध से सिंधु क्षेत्र तक फैली सभ्यता को बौद्ध परंपरा...

सूफ़ीवादः एक नूर ते सब जग उपज्यां

दूसरी किस्त  दक्षिण भारत में सूफ़ियों का आगमन ख़्वाजा हसन बसरी (मृ. 734 ई.) से बताया जाता है लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं...

यातना की नदी में तैरने का अनुभव: कब तक मारे जाओगे

पुस्तक समीक्षा  जिस समय शरण कुमार लिम्बाले की मराठी आत्मकथा ‘अक्करमाशी’ का हिन्दी अनुवाद आया था और वह बहुत ज्यादा पढ़ी जा रही थी, उस...

सूफ़ीवादः एक नूर ते सब जग उपज्यां

पहली किस्त .. विश्व के सभी धर्मों की उत्पत्ति, तत्कालीन समाज के अनसुलझे, अतार्किक, पाखंडी और दुरूह क्रियाकलापों के समाधान की सरलीकृत, अंगीकृत, रहस्यवादी प्रक्रिया...

शब्द की अग्नियात्रा का शिल्पी: ओमप्रकाश वाल्मीकि

कवि और कथाकार ओमप्रकाश वाल्मीकि (30 जून 1950 - 17 नवम्बर 2013) का आत्मसंघर्ष अब स्थापित होकर प्रतिष्ठित हो गया है। उनकी व्यापक संवदेना...

‘बलचनमा’ का पुनःपाठ जरूरी है

जयंती पर विशेष नागार्जुन के उपन्यास ‘बलचनमा’ के लेखन-प्रकाशन  के लगभग सात दशक बाद इसका यह  पुनः पाठ महज एक उपन्यास पर पुनर्विचार न होकर...
Bollywood Lifestyle and Entertainment