दरभंगा। लोकतंत्र के अमर शिल्पी बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस तथा बाबरी मस्ज़िद शहादत दिवस के मौके पर जन संस्कृति मंच, दरभंगा द्वारा जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि साम्प्रदायिक फासीवादियों ने बाबासाहेब के बनाये संविधान और लोकतंत्र को ध्वस्त करने का अभियान बाबरी मस्जिद विध्वंस से शुरू किया था। वही साम्प्रदायिक जनविरोधी ताकतें 2002 में गुजरात नरसंहार कराते हुए पूरे मुल्क को गुजरात नरसंहारक मॉडल में तब्दील कर भारतीय सत्ता पर काबिज हैं; और अब तो यह भयानक परिस्थिति आ चुकी है कि हमारा संविधान और लोकतंत्र अंतिम साँसें ले रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि अगर इन कॉपोरेटपरस्त साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से खींचकर नहीं उतारा गया तो गंगा जमुनी तहज़ीब वाले अपने खूबसूरत देश को नहीं बचाया जा सकता है। आपसी सौहार्द्र, प्रेम और भाईचारा की रक्षा करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्ष ही बाबासाहेब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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बाबरी मस्जिद की शहादत को याद करते हुए जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि संघ-भाजपा का अयोध्या अभियान बाबरी मस्ज़िद विध्वंस तक ही सीमित नहीं था बल्कि वह अभियान भारत की संपूर्ण अवधारणा को और भारतीय गणतंत्र के संवैधानिक ढाँचे को बदल देने की ओर लक्षित था। डॉ. आर्य ने आगे कहा कि बाबासाहेब ने ‘हिन्दू राज’ की जिस विपदा के बारे में स्वाधीनता आंदोलन के दौर में चेतावनी दी थी, वो विपत्ति आज हमारे रु-ब-रु खड़ी है। आज संविधान बचाने एवं धर्मनिरपेक्षता बचाने के लिए संकल्पबद्ध होने की घड़ी है।
मौके पर प्रो. विनय शंकर ने कहा कि भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विविधता को नष्ट कर हमारे महापुरुषों के तमाम स्वप्नों का कत्ल किया जा रहा। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का समूल नाश ही आज बाबासाहेब जैसे हमारे पुरुषों के स्वप्नों की रक्षा कर सकता है।
इस अवसर पर मंजू कुमार सोरेन, वरिष्ठ शिक्षक एसएस ठाकुर, राजीव आदि वक्ताओं ने भी अपने इंक़लाबी विचारों को रखा। लोकतंत्र को मजबूत करने के संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन जिलासचिव समीर ने किया।
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