Thursday, November 21, 2024
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शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा के ढांचे को बेहतर करने के लिए अध्यापक को दूसरे कागजी कामों से मुक्त करना होगा

सरकार अनेक योजनाओं के साथ डाटा एकत्रित करने की जिम्मेदारी अध्यापकों को सौंपती है। इस वजह से आये दिन सरकारी विद्यालय के अध्यापक सौंपे गए काम के लिए कागजी कार्यवाही में लगे रहते हैं, जिसका सीधा-सीधा असर पढने वाले बच्चों पर पड़ता है। वे विद्यालय तो आते हैं लेकिन पढ़ाई नहीं होती क्योंकि अध्यापक अपने काम में व्यस्त रहते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान प्राथमिक कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों का होता है और इस वजह से उनकी नींव कमजोर हो जाती है और पढाई के प्रति अरुचि होने से विद्यालय जाना बंद कर देते हैं। जबकि प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापकों का पूरा ध्यान बच्चों पर होना चाहिए।

उत्तराखंड : लड़कियों को आत्मनिर्भर होने के लिए तकनीकी शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है

एक समय था जब डिग्रीधारी को नौकरी मिल जाया करती थी लेकिन आज के समय में डिग्री मात्र से कहीं काम मिलना असंभव है, डिग्री के साथ कोई तकनीकी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। आज हर कोई कंप्यूटर सीखकर आगे बढ़ सकता है, बेशक उसके सीखने की ललक कितनी हैबहुत। लड़कियां आत्मनिर्भर हो जाएं, इसके लिए यह अच्छा साधन है। 

उत्तराखंड : पुल की कमी से छूट रही लड़कियों की शिक्षा

उत्तराखंड के लगतीबगड़िया गांव में लड़कियों की पढ़ाई पुल नहीं होने से बाधित हो रही है। उन्हें रोज नदी पार करके जाना पड़ता है। जिसकी वजह से बरसात के दिनों में लड़कियां दो–दो महीने स्कूल नहीं जा पाती है। विकास के सारे सरकारी दावे फर्जी साबित हो रहे हैं।

वाराणसी : संविधान ज्ञान परीक्षा में चयनित 28 बच्चों को किया गया पुरस्कृत

संविधान के बारे में बच्चों को सामान्य जानकारी से अवगत कराने के उद्देश्य से विभिन्न विद्यालयों के कक्षा नवीं से बारहवीं तक छात्र-छात्राओं के लिए संविधान आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा विभिन्न विद्यालयों विगत दिनों किया गया था। आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि बच्चों को हमारे संविधान की प्रमुख विशेषताओं को जानना चाहिए जिससे वे बड़े होकर जनहित में आम जन को जागरूक कर सकें, एक अच्छे नागरिक बन सकें और देश की सेवा कर सकें।

छत्तीसगढ़ में किफायती व्यवस्था के नाम पर शिक्षा के विनाश पर तुली सरकार

भाजपा पिछले 10 वर्षों से लगातार शिक्षा पर हमला कर रही है। देश के बड़े और स्थापित विवि उसके निशाने पर रहे हैं लेकिन इधर पिछले कुछ वर्षों से भाजपा शिक्षा के प्रारम्भिक स्तर पर भी नजर गड़ाए हुए है। जुलाई में स्कूल खुलने पर उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा के अंतर्गत आने वाले अध्यापक निशाने पर थे। अब छतीसगढ़ में भाजपा की सरकार आ जाने के बाद नए स्कूल भवन बनाने, पुरानों का जीर्णोद्धार करने और शिक्षकों की भर्ती करने के बजाय भाजपा सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों को बंद करने और शिक्षकों का तबादला करने का अभियान चलाया जा रहा है। जबकि यहाँ प्राथमिक विद्यालयों में अनेक चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन यह उसे खत्म करने की साजिश में लगे हुए हैं। 

बिहार : लड़कियों को स्कूल जाने और शिक्षित होने के मौके आज भी कम हैं

देश में जेंडर विभेद आज भी हो रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में देखा जाय तो लड़कियों को पढ़ाने के बदले घर की जिम्मेदारियों को उठाने कहा जाता है। विशेषकर आर्थिक रूप से असक्षम परिवारों में देखने को मिलता है। अगर बिहार की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार देश में महिला साक्षरता का राष्ट्रीय औसत जहां करीब 65 प्रतिशत रहा, वहीं बिहार में महिला साक्षरता की दर मात्र 50.15 प्रतिशत दर्ज किया गया है। जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

राजस्थान के अलवर जिले के शादीपुर गांव में नहीं है कोई माध्यमिक स्कूल, प्रभावित हो रही बालिका शिक्षा

केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बालिका शिक्षा की मुहीम को राजस्थान के अलवर जिले के शादीपुर गाँव में झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है, जहाँ लड़कियों की पढाई के लिए 12वीं तक का स्कूल ही नहीं है।

कोटा : नहीं थम रहा आत्महत्याओं का सिलसिला, एक और विद्यार्थी ने की आत्महत्या

कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। पूरे देश से डॉक्टर और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए छात्र यहाँ आते हैं। पढ़ाई के दबाव के चलते लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहतीं हैं। इस वर्ष चार महीनों में 9 छात्रों ने आत्महत्या की।

Lok Sabha Election : शिक्षा और उससे जुड़े मुद्दे क्यों नहीं बन रहे हैं जरूरी सवाल?

पिछले दस वर्षों में शिक्षा का स्तर जितना गिरा है उतना पहले कभी नही। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी संस्थानों में विज्ञान और तर्क को दरकिनार कर धर्म को केंद्र में रखा गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में शिक्षा जैसा महत्त्वपूर्ण मुद्दा जनता की नजर में क्यों नहीं है?

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित परीक्षा में भदोही के 183 बच्चों ने सफलता पाई लेकिन खाली रह गईं एसटी की सभी सीटें

छात्रवृत्ति निर्धन बच्चों के आगे की पढ़ाई के लिए बहुत बड़ा आधार होती है। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता पाकर बहुत से बच्चों ने अपनी मंज़िलें पाई है। विगत वर्षों की तरह इस बार भी भदोही जिले के 183 बच्चों ने सफलता पाई है। हालांकि अनुसूचित जनजाति के कोटे की चार सीटें खाली ही रह गईं।

पूर्वांचल विश्‍वविद्यालय : कॉपी में ‘जय श्री राम’ लिखकर फार्मेसी की परीक्षा में चार छात्र उत्‍तीर्ण, दो शिक्षक दोषी

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी प्रथम वर्ष के चार छात्र अपनी परीक्षा की कॉपियों में केवल ‘जय श्री राम’ लिखकर पास हो जाते है। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी दावे की असलियत की पोल खोलती एक छोटी सी नजीर भर है।