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गोरखपुर : ईपीएफ कमिश्नर ने सीएम योगी के संरक्षण वाले महाविद्यालय की शुरू की जांच

उत्तर प्रदेश राज्य में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए 09 मई, 2000 को एक शासनादेश  संख्या-2445/सत्तर-2-2000-2(85)/97 जारी कर मानदंड का निर्धारण किया है। इस शासनादेश में अध्यापकों के लिए अंशदायी भविष्य निधि (कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड) अनिवार्य रूप से लागू करने की बात कही गई है। लेकिन योगी आदित्यनाथ के संरक्षण वाले इस महाविद्यालय में अंशदायी भविष्य निधि कटौती में चल रही अनियमितताओं के लिए जांच बैठाई गई है।

गोरखपुर के दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय, में ईपीएफ अनियमितता की शिकायत के बाद इसकी जांच ईपीएफ कमिश्नर गोरखपुर ने शुरू कर दी है। योगी आदित्यनाथ एक समय तक महाविद्यालय के प्रबंधक थे लेकिन वर्तमान में संरक्षक हैं। 13 सितम्बर को ईपीएफ कमिश्नर ने महाविद्यालय को स्मरण पत्र भेजकर जरूरी दस्तावेज अपने कार्यालय में तलब किया है।

 यह जानकारी बेहद जरूरी है कि जांच क्यों शुरू हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए 09 मई, 2000 को एक शासनादेश  संख्या-2445/सत्तर-2-2000-2(85)/97 जारी कर मानदंड का निर्धारण किया है। इस शासनादेश में अध्यापकों के लिए अंशदायी भविष्य निधि (कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड) अनिवार्य रूप से लागू करने की बात कही गई है। जिसके तहत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय शिक्षकों के चयन के अनुमोदन पत्र में अंशदायी भविष्य निधि लागू करने का उल्लेख भी करता है। यह मामला इसी से संबंधित है।

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खबर है कि अंशदायी भविष्य निधि से संबंधित दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय के एक शिक्षक आदित्य नारायण क्षितिजेश ने क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, गोरखपुर को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई थी। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, गोरखपुर ने पत्र का संज्ञान ले, क्षितिजेश के भविष्य निधि अनुदान जमा करने के संबंध में स्मरण पत्र 13 सितम्बर को महाविद्यालय के प्राचार्य को भेजा है। पत्र के हवाले से पता चलता है कि दिनांक 16.03.2024 तथा 10.05.2024 को पूर्व में भी शिकायतकर्ता के UAN/भविष्य निधि खाता संख्या का विवरण शिकायतकर्ता के किये गये कार्य अवधि का भविष्य निधि अंशदान जमा कराकर कार्यालय को सूचित करने को कहा था। लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय, गोरखपुर को दिनांक 12.09.2024 तक कृत कार्यवाही से महाविद्यालय द्वारा अवगत नहीं कराया गया।

इसी पत्र में, विश्वविद्यालय के दिनांक 02.09.2024 के पत्र तथा महाविद्यालय की संलग्न आख्या का जिक्र है। जिसमें शिकायतकर्ता के 03 वर्ष के अनुबंध दिनांक 07.02.2019 की समाप्ति पर, सेवा मुक्त किए जाने का ब्यौरा दिया गया है। वहीं क्षेत्रीय कार्यालय गोरखपुर ने अभिलेखों के अवलोकन में पाया कि दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय ने स्वेच्छापूर्वक दिनांक 01.08.2022 से कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के अंतर्गत आवृत्त (Covered) किया है। कुलसचिव के पत्र से यह बात प्रकाश में आ रही है कि महाविद्यालय 2016 में भी चल रहा था। महाविद्यालय ने तथ्यों को छुपाते हुए दिनांक 01.08.2022 से भविष्य निधि कटौती आवृत (Covered) कराया है।

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इसी के मद्देनजर दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य से जांच के लिए महाविद्यालय की मान्यता की सत्यापित प्रति/संबद्धता, महाविद्यालय प्रारंभ होने की तिथि को कर्मचारियों की सूची, महाविद्यालय प्रारंभ होने की तिथि के बाद से अगस्त 2024 तक स्थाई, अस्थाई, कैजुअल, डेली वेजेज, आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियोजित कर्मचारियों की महावर संख्या, महाविद्यालय की स्थापना की तिथि से अगस्त 2024 तक माहवार वितरित वेतन का विवरण साक्ष्य सहित तथा महाविद्यालय की स्थापना की तिथि से अगस्त 2024 तक माहवार उपस्थिति पंजिका की सत्यापित प्रति से संबंधित दस्तावेज को पत्र प्राप्ति के तीन दिनों के भीतर कार्यालय में तलब किया है।

साथ ही शिकायतकर्ता आदित्य नारायण क्षितिजेश की नियुक्ति तिथि से सेवा त्यागने तक देय वेतन का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। वही क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र की प्रति भेजते हुए दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय की संबद्धता से संबंधित अभिलेख को अपने कार्यालय मंगाया है।

अब देखना होगा कि शिकायत के बाद शुरू की गई जांच कार्यवाही के  बाद परिणाम क्या आते हैं या फिर केवल यह जांच केवल खानापूर्ति ही बनकर ही रह जाएगी।

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