आजमगढ़। भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य अखिलेश मिश्र ‘गुड्डू’ के बयान- ‘मंदुरी से जल्द उड़ान के लिए सरकार अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट निर्माण के लिए तेजी से काम कर रही है…’ की निंदा करते हुए किसान नेता राजीव यादव ने इस बयान को झूठ का पुलिंदा बताया है। राजीव ने कहा कि किसानों के आशियाने तोड़कर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का ख्वाब भाजपा छोड़ दे नहीं तो किसान 2024 में उसके अहंकार को मिट्टी में मिला देंगे। आजमगढ़ आए समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव से भी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के नाम पर उजाड़े जा रहे गावों के किसानों ने मुलाकात की। आज खिरिया बाग में चल रहे धरने की कमान महिलाओं ने संभाली थी।
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जन आंदोलन (NAPM) के राष्ट्रीय समन्वयक राजीव यादव ने कहा कि भाजपा झूठी पार्टी है। इसको कोई देखना चाहता है तो आजमगढ़ के खिरिया बाग आए, जहां 9 महीने से किसान अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए जमीन-मकान नहीं देंगे के संकल्प के साथ धरने पर बैठे हैं। वहीं, भाजपा के नेता झूठ बोल रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा। बीते 24 जनवरी को जिलाधिकारी ने खिरिया बाग धरना स्थल पर आकर किसानों को यह आश्वासन दिया था कि परियोजना स्थगित की जाती है। किसानों की जमीन मकान नहीं ली जाएगी। किसानों को सरकार की नियत पर भरोसा नहीं है, इसीलिए ग्रामीणों ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की परियोजना रद्द करने का लिखित शासनादेश दिया जाए, तभी धरने से उठेंगे।
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किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि पिछले कई सालों से भाजपा नेता एयरपोर्ट का ढिंढोरा पीट रहे हैं और अब भाजपा सांसद निरहुआ कह रहे हैं कि एयरपोर्ट इतना छोटा है कि उड़ान हो ही नहीं सकती, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनेगा। भाजपा को जानना चाहिए कि किसान अनाज बेचकर अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर इस लायक बना चुका है कि वो कानून और संविधान को जाने। एयरपोर्ट बनाकर घरेलू उड़ान न संचालित कर दिल्ली, बॉम्बे जैसे महानगरों को जाने वाले आजमगढ़ के लोगों को जो सपना दिखाया गया, उसे न सिर्फ तोड़ा गया बल्कि जनता का लाखों-करोड़ों रुपया बर्बाद किया गया। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बन जाने के बाद अगर एयरलाइन कंपनियों ने कह दिया कि उड़ान नहीं होगी तब क्या होगा? जो सरकार घरेलू उड़ान नहीं कर सकती अंतर्राष्ट्रीय उड़ान क्या करेगी। आजमगढ़ एयरपोर्ट में जो लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, उसकी रिकवरी उन शासन, प्रशासन, सरकार में बैठे लोगों से की जाए। क्योंकि बिना मूल्यांकन के कि ‘घरेलू उड़ान हो सकती है कि नहीं…’ उन्होंने लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर दिए।