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प्रधानमंत्री के वर्चुअल संबोधन से जी-20 बैठक का आगाज़

वाराणसी में सांकृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जी-20 में शामिल मेहमानों का स्वागत, मुख्यमंत्री ने भी होटल पहुंचकर की डेलीगेट्स से मुलाकात  वाराणसी। जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक शुरू हो चुकी है। वाराणसी के हस्तकला संकुल (टीएफसी) में आयोजित बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं। बैठक में अगले […]

वाराणसी में सांकृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जी-20 में शामिल मेहमानों का स्वागत, मुख्यमंत्री ने भी होटल पहुंचकर की डेलीगेट्स से मुलाकात 

वाराणसी। जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक शुरू हो चुकी है। वाराणसी के हस्तकला संकुल (टीएफसी) में आयोजित बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं। बैठक में अगले सौ वर्षों की चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा होगी। विकास मंत्री अपने-अपने देशों के विकास मॉडल को बताएंगे। सम्मेलन के दौरान पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध जैसी परिस्थितियों से निपटने का खाका भी खींचा जाएगा। साथ ही आने वाले में समय में मानव संसाधन, प्रौद्योगिकी, तकनीक, बीमारी और संस्कृति के सामने आने वाली चुनौतियों पर मंथन होगा।

बैठक की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल सम्बोधन से हुई। अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि मैं लोकतंत्र की जननी के सबसे पुराने जीवित शहर में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। बनारस जी-20 विकास मंत्रियों की बैठक के लिए उपयुक्त स्थान है। ग्लोबल साउथ के लिए विकास एक प्रमुख मुद्दा है। ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक कोविड महामारी से उत्पन्न व्यवधान से गंभीर रूप से प्रभावित थे और भू-राजनीतिक तनाव के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट ने एक और झटका दिया है। ऐसी परिस्थितियों में आप जो निर्णय लेते हैं उसका बहुत महत्व होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास को बनाए रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। दुनिया के विकास में भारत हरसंभव मदद और अनुभव बांटने को तैयार है। दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। हम नदियों, पेड़ों का सम्मान करते हैं।

[bs-quote quote=”रुट डायवर्जन के कारण आम जनता को तिराहे-चौराहे पर काफी देर तक रोक दिया जा रहा था। 42-43 डिग्री तापमान के बीच महानगर के प्रमुख चौराहों पर आमजन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सिर और चेहरे को गमछे से बांधकर लोग पाँच से आठ मिनट तक तीखी धूप में यातायात खुलने का इंतजार करते दिखे। चिलचिलाती धूप में नौनिहालों और बच्चों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। अभिभावक अपने बच्चों को लेकर सड़क किनारे छाँव ढूँढते नज़र आए।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह तय करना चाहिए कि विकास की प्रक्रिया में कोई भी पीछे न छूटे। हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और टिकाऊ होने चाहिए। प्रधानमंत्री ने लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत महिला सशक्तीकरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास तक फैला हुआ है।

जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधि मेहमानों का आगमन शनिवार की शाम से ही शुरू हो गया था। बाबतपुर स्थित लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रिय एयरपोर्ट पर चंदन का तिलक लगाकर तथा विशेष अंगवस्त्रम प्रदान कर मेहमानों का स्वागत किया गया। साथ ही एयरपोर्ट टर्मिनल के अंदर शहनाई वादन भी हुआ। टर्मिनल के बाहर लोक कलाकारों ने डमरू वादन के साथ फरवाही लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। एयरपोर्ट से होटल ताज के रास्ते में जयपुरिया स्कूल के पास कर्मा लोक नृत्य और गिलट बाजार स्थित अतुलानंद चौराहे पर धोबिया लोक नृत्य की प्रस्तुति हुई।

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नदेसर स्थित ताज होटल के प्रांगण में प्रवेश के दौरान राई व पाई डंडा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। होटल प्रांगण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेहमानों का स्वागत किया।

रविवार शाम सभी मेहमान गंगा आरती देखने दशाश्वमेध घाट पहुँच गए। प्रदेश सरकार की तरफ से विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए महाआरती का आयोजन किया गया था। गंगा आरती शुरू होने से पहले गंगा पार रेती पर आतिशबाजी भी हुई।

गंगा आरती देखने के बाद मेहमान वापस होटल आये, जहां रात्रिकालीन भोज के दौरान मसकबीन वाद्ययंत्र वादन व थीम आधारित नृत्य की प्रस्तुति की गई।

जी-20 सम्मलेन की तैयारियों के क्रम में मुख्यमंत्री योगी भी रविवार को शहर में थे। सम्मेलन की तैयारियों को जांचने-परखने के लिए अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आये मुख्यमंत्री योगी ने सम्मेलन की तैयारी के सभी पहलुओं की समीक्षा की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर शनिवार को ही वाराणसी आ चुके थे।

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देश और प्रदेश सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन भी सम्मेलन की तैयारियों में लगा हुआ था। अप्रैल माह में हुए सौन्दर्यीकरण को फिर से सजाया-संवारा गया। शहर के प्रमुख चौराहों पर नई सजावट की गई। चौकाघाट आरओबी के पास लैंडस्केप और सारनाथ के पास रिंग रोड पर धर्म चक्र लगाया गया है। लहुराबीर में फाउंटेन के साथ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की व्यवस्था की गई है। मैदागिन पर थ्रीडी व्यू त्रिशूल, गिलट बाजार चौराहे पर थ्रीडी जी-20 के ग्लोब के स्कल्पचर के साथ फव्वारे लगाए गए हैं। वीआईपी रूट पर पड़ने वाले घरों और प्रतिष्ठानों को एक रंग में रंगा गया है। दीवारों पर वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत के अनुकूल चित्रकारी की गई। इसमें बनारस की विभिन्न विधाओं की हस्तियां तथा लोक कला को चित्रित किया गया है। अर्द्धचंद्राकार घाटों के किनारे ऐतिहासिक इमारतों को एकरूपता देने लिए एक रंग में रंगा गया है। फसाड लाइटों से गंगा किनारे के भवनों की खूबसूरती को निखारा गया है। प्रमुख स्थलों को इलेक्ट्रिक झालरों से सजाया गया है। पोल पर तिरंगा स्पाइरल लाइट और जी 20 का लोटस लोगो लगाया गया है।

ट्रैफिक डायवर्जन और आमजन

रुट डायवर्जन के कारण आम जनता को तिराहे-चौराहे पर काफी देर तक रोक दिया जा रहा था। 42-43 डिग्री तापमान के बीच महानगर के प्रमुख चौराहों पर आमजन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सिर और चेहरे को गमछे से बांधकर लोग पाँच से आठ मिनट तक तीखी धूप में यातायात खुलने का इंतजार करते दिखे। चिलचिलाती धूप में नौनिहालों और बच्चों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। अभिभावक अपने बच्चों को लेकर सड़क किनारे छाँव ढूँढते नज़र आए। अर्दली बाजार तिराहा, पांडेयपुर चौराहा, चौकाघाट चौराहा, अंधरापुल चौराहा समेत विभिन्न स्थानों पर यही हालात दिखे। इसी बीच लोग प्रशासन को कोस रहे थे। तिराहे-चौराहे पर जाम लगने के बाद कई जगह एम्बुलेंस और शव वाहन फंसे रहे। हालांकि सायरन की आवाज सुनकर ट्रैफिक पुलिस ने मशक्कत के बाद उन्हें जाम से बाहर निकाला। एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए आम नागरिक इधर-उधर होकर परेशान हो रहे थे।

सोशल मीडिया पर निकाली भड़ास

पुलिस लाइन्स चौराहे पर ट्रैफिक रोके जाने से परेशान एक आम शहरी ने शासन-प्रशासन पर अपनी भड़ास निकाली। जी-20 डेलिगेट्स के काफिले का रास्ता साफ़ रखने के लिए जगह-जगह रोकी गई जनता के बारे में एक आम शहरी ने लिखा कि- इस दृश्य ने मेरा ही नहीं, बल्कि मेरे साथ खड़े औरों का भी स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक होने का अभिमान एक बार चकनाचूर तो जरूर कर ही दिया होगा।

उन्होंने आगे लिखा कि- मेहमाननवाजी तो हमारी संस्कृति है, लेकिन कभी चरण चाटुकार नहीं थे हम। शायद ऐसा अनुभव हमारे पूर्वज 1947 के पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में रोज ही लिया करते थे और हम आज़ाद मुल्क में सांस ले सकें, इसके लिए तमाम संघर्ष किया।

कनात से ढंक दी गई वाराणसी की सबसे बड़ी लकड़ी मंडी

जी-20 डेलिगेट्स के स्वागत के लिए चमकाए, सजाये, संवारे गए शहर में बहुत कुछ छुपाना भी पड़ा है। ट्रैफिक डायवर्जन के कारण धूप में बिलबिलाते लोगों को छाता तो नहीं मिला, लेकिन गरीबी और उपेक्षित स्थानों को छुपाने के लिए कनात (पर्दा) जरूर तान दिया गया है। डेलिगेट्स वहीं देखें, जो सरकार उन्हें दिखाना चाहे; इसके लिए वे तमाम प्रबंध किए गए हैं, जिसमें एक आम शहरी की कोई जगह नहीं है। शहर की कालोनियों और सड़क पर रोज सुनाई देने वाली सब्जी, ठेला वालों की आवाज पर भी सरकारी पहरा लगा दिया गया है। एक आम बनारसी ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘अब रेहड़ी पटरी वालों का हाल भी छुट्टा पशुओं की तरह हो गया है। शहर में जब कोई बड़ा सरकारी आयोजन होता है, तब जैसे छुट्टा पशु शहर से बाहर खदेड़ दिए जाते हैं, उसी तरह अब रेहड़ी पटरी वालों को भी शहर से गायब कर दिया गया है।’ सम्मलेन के दौरान शहर के चुनिंदा स्थानों की भव्यता देख कर लग रहा है कि रेहड़ी-पटरी वाले इस कृत्रिम सुंदरता पर दाग की तरह थे। बहुत संभव है कि ‘थे’ शहर में बढ़ते सरकारी कार्यक्रमों के कारण ‘हैं’ में बदल जाए और विकास की तरफ एक कदम और बढ़ाते हुए शहर रेहड़ी पटरी वालों से मुक्त हो जाए।

राहुल यादव गाँव के लोग डॉट कॉम से सम्बद्ध हैं।

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