Saturday, July 27, 2024
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वर्धा यूनिवर्सिटी में लड़की से छेड़खानी, प्रबंधन बना लापरवाह

प्रशासन ने मानहानि और सुसाइड की धमकी देकर पीड़िता से ही लिखवाया माफ़ीनामा लड़कियों और स्त्रियों पर होने वाले यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराध को इतना ज़्यादा नॉर्मलाइज कर दिया गया है कि ‘छेड़ख़ानी’ जैसे अपराध को कुछ भी समझा ही नहीं जाता। समाज की बात तो फिर भी समझ आती है कि वो अभी […]

प्रशासन ने मानहानि और सुसाइड की धमकी देकर पीड़िता से ही लिखवाया माफ़ीनामा

लड़कियों और स्त्रियों पर होने वाले यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराध को इतना ज़्यादा नॉर्मलाइज कर दिया गया है कि ‘छेड़ख़ानी’ जैसे अपराध को कुछ भी समझा ही नहीं जाता। समाज की बात तो फिर भी समझ आती है कि वो अभी भी सामंतवादी पितृसत्तात्मक वैचारिक जकड़बंदियों से बाहर नहीं निकल पाया है। लेकिन यूनिवर्सिटी जैसी संस्था जहाँ स्त्रियों के प्रति संवेदनशील समाज बनाने के लिए ‘जेंडर स्टडीज’ जैसे अत्याधुनिक विषय पढ़े-पढ़ाये जाते हों वहां, अगर छेड़खानी जैसे मसले पर पूरा प्रबंधन लड़की को ही क़सूरवार ठहराते हुए आरोपी लड़के के पक्ष में खड़ा हो जाये तो क्या कहें? किसे दोष दें? कहां सिर फोड़ें?

मामला वर्धा यूनिवर्सिटी का है। जेंडर स्टडीज विषय से पीएचडी छात्रा अपनी रोज़ाना की रूटीन में सुबह 5:40 पर हॉस्टल से निकलकर मॉर्निंग वॉक करते हुए 10 मिनट ग्राउंड में रनिंग करती हैं फिर योगा क्लास लेती हैं। उसके बाद स्कीपिंग करती हैं। 18 अप्रैल की सुबह वो स्कीपिंग कर रही थी। ग्राउंड में उस दिन छिटपुट लोग ही थे। जबकि आम दिनों में उस समय तमाम लड़के-लड़कियां वॉलीबाल खेलने और टीचर मॉर्निंग वॉक करते नज़र आते हैं। लड़की स्कीपिंग कर रही होती है। ठीक उसी समय तीन लड़के बाइक से ग्राउंड पर आते हैं। उनमें से एक लड़का जो बाइक पर बीच में बैठा होता है वो लड़की की ओर फ्लाइंग किस उछालता है। फिर लड़की से आई कॉन्टैक्ट करते हुए हाथ अपने पैंट के फ्रंट की ओर करके ‘गलत’ इशारे करता है। फिर बाइक तेजी से लड़की के पास से गुज़री और वो लड़का उस लड़की से आई कॉन्टैक्ट करते हुए निकल गया। लड़के उस वक़्त अपने मुंह पर सफेद स्कार्फ बांधे हुए थे। पीछे बैठे लड़के अपने हाथ में वॉलीबाल लिए थे।

[bs-quote quote=”कुलानुशासक (प्रॉक्टर) सूर्य प्रकाश पांडेय ने लड़की से कहा कि तुमने इशारे को ग़लत समझ लिया। फिर लड़की ने कमेटी के सामने इशारे करके दिखाया और कहा कि आप ही बता दीजिये इस इशारे का सही मतलब क्या है? लड़की ने कमेटी के लोगों को बताया कि जब इशारा होता है तो उसमें आईकॉन्टैक्ट का मतलब क्या होता है?” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

लड़कों को पकड़ने के लिए लड़की उनके बाइक के पीछे दौड़ती है। यह देख लड़के भागने लगते हैं। इसके बाद लड़की हॉस्टल चली जाती है। हॉस्टल के गेट पर उक्त लड़की को उसकी योगा टीचर नीतू सिंह मिलती हैं। लड़की ने उनसे सारी बातें बतायी। तो योगा टीचर ने जवाब में कहा कि वो लड़के तो उन्हें नमस्ते करते हुए निकले हैं। लड़की ने पूछा मैम क्या आप उन्हें जानती हैं? जवाब में नीतू सिंह ने कहा कि हां वो तीनों उनके ही क्लास के बच्चे हैं। लड़की ने कहा कि जो बीच वाला लड़का है उसने उसके साथ बदतमीजी की है। नीतू लड़की से बोलती हैं कि साढ़े दस बजे के आस-पास उनकी क्लास खत्म होगी तो कॉल करना, बात करती हूँ।

रूममेट ने नहीं किया सपोर्ट

बीएड के डिपार्टमेंट के लड़के सुबह वॉलीबाल की प्रैक्टिस करते हैं। लड़की की रूममेट अर्चना भी बीएड डिपार्टमेंट से है तो वो भी प्रैक्टिस के लिए जाती है। लड़की ने अपनी रूममेट अर्चना से सारी बात बतायी। चूंकि उसे योगा टीचर से पता चल चुका था कि लड़का बीएड डिपार्टमेंट का है और चूंकि उसकी रूममेट भी बीएड डिपार्टमेंट से है तो उसने सोचा कि उसकी मदद ली जाये। उसने लड़कों का हुलिया और कपड़ों के रंग बताये। और कहा कि जब वॉलीबाल होता है तो छात्रों का आईकार्ड जमा होता है। वो जाकर क्लास में पता करे कि उस दिन कौन लड़के गये थे वॉलीबाल खेलने? इस सवाल पर रूममेट लड़की ने मदद करने से मना कर दिया और बोली कि वो यहां पढ़ने आयी है।

लड़की बताती है कि जब उसने अपने रूममेट से बताया तो वो तो पहले हँसने लगी। फिर बोली कि ये तो होता ही रहता है दीदी। और घटना के दो दिन बाद रूममेट हॉस्टल का वो कमरा छोड़कर दूसरे कमरे में शिफ्ट हो गयी।

शिक़ायत न करने के लिए दबाव बनाया जाने लगा

लड़की ने संस्थान से शिक़ायत करने की सोची तो उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अप्लीकेशन लिखे। किस तरह के शब्द इस्तेमाल करे। इसके बाद उसने नीतू सिंह को कॉल किया। नीतू ने फोन पर ही लड़की से कहा कि उन्होंने उस लड़के को डॉट दिया है। अतः अब वह उसकी कंपलेन न करे। बाद में लड़की को पता चला कि दरअसल एक स्पोर्ट्स टीचर प्रीति हैं, जो बच्चों को वॉलीबाल सिखाती हैं उन्होंने ही नीतू सिंह पर दबाव बनाया कि वो उस लड़की को समझायें कि आरोपी लड़के के ख़िलाफ़ शिक़ायत न करे।

विश्वविद्यालय की तरफ से पीड़िता प्रिया को जारी पत्र

फिर दोबारा से फोन करके नीतू सिंह लड़की को हिदायत देती हैं कि एजुकेशन विभाग के डीन से इस मामले में शिक़ायत करे। लड़की कंपलेन लेकर जाती हैं लेकिन रजिस्ट्रार नहीं मिलते। वहां चार-पांच पुरुष अध्यापक होते हैं जो लड़की से पूछते हैं कि क्या-क्या हुआ? चूंकि लड़की जेंडर स्टडीज की छात्रा है तो उसने अध्यापकों को पूरा घटनाक्रम बताया। इस मसले पर पीड़ित लड़की कहती है कि वहां पर अगर एक महिला अध्यापक होती तो बेहतर होता। क्योंकि हर चीज न तो एक लड़की पुरुष अध्यापक से बता सकती है न ही वो हर चीज समझ सकते हैं। लड़की की शिक़ायत सुनने के बाद उन लोगों ने उससे कहा जाओ, जब ज़रूरत होगी तब तुम्हें बुलाया जाएगा।

पीड़िता लड़की के चरित्र हनन की कोशिश    

18 अप्रैल को जिस दिन लड़की शिक़ायत करती है उसी दिन रात को नीतू सिंह उसे कॉल करके 20 मिनट बात करती हैं। वो कहती हैं कि ज़रूर उसे कोई ग़लतफहमी हुई होगी। वो लड़का ऐसा नही है। वो पढ़ने-लिखने वाला लड़का है। वह ऐसा नहीं कर सकता है। फोन पर ही नीतू सिंह लड़की को हिदायत देती हैं कि तुम आन्दोलन वगैरह मत कर बैठना। फिर सारा आरोप लड़की पर मढ़ते हुए वो आगे कहती हैं कि लड़कियों ने पूरी यूनिवर्सिटी को गन्दा कर रखा है। वो लड़कों के हाथों में हाथ डालकर घूमती हैं। आखिर में उन्होंने लड़की से यह भी कहा वो उसे इसलिए सपोर्ट नहीं कर रही कि किसी लड़के का करियर क्यों बर्बाद करें?

जवाब में लड़की ने नीतू सिंह से कहा कि वह कोई बच्ची नहीं है कि फ्लाइंग-किस और मास्टरबेशन के इशारे न समझ सकें। लड़की ने विरोध करते हुए सवाल किया कि मैम जब आपने उस लड़के को डॉटा तो उसने चुपचाप आपकी डॉट क्यों सुन ली? इसका मतलब कि वो गलत है।

इसके बाद नीतू सिंह लड़की को उलाहने देते हुए कहती हैं कि वो तो गर्मियों में छह बजे आती है तुम्हारी तरह ही एक लड़की ठंडियों में टॉर्च लेकर आती थी उसके साथ तो कुछ नहीं हुआ। जबकि सुबह यही मैम पीड़ित लड़की से बोली थी कि आजकल ऐसी बहुत-सी घटनायें हो रही हैं।

इसके बाद लड़की के दोस्तों के पास फोन आया कि वो लड़की से कहें कि शिक़ायत वापिस ले ले। किसका फोन आया था कॉलेज प्रशासन का या आरोपी लड़के का? ये पूछने पर वो किसी का नाम नहीं बताते।

पुरुषों की कमेटी ने लड़की से की पूछताछ 

इसके बाद उसी दिन लड़की को प्रशासनिक भवन से फोन करके बुलाया गया। लड़की दोपहर 12 बजे प्रशासनिक भवन पहुंची। वहां 10-12 लोगों की एक कमेटीनुमा कुछ चीज दिखाने की कोशिश की गयी। उनमें केवल एक महिला रेनू सिंह थी। लड़की की तरफ से या उसके डिपार्टमेंट से किसी को नहीं बुलाया गया था। जबकि लड़के के तरफ से उसका पक्ष उसके टीचर और वार्डन रख रहीं थी। वहीं लड़की के वार्डन तक को बुलाना ज़रूरी नहीं समझा गया।

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वहां लड़की के सामने बैठे एक पुरुष ने पूछा कि क्या हुआ बताओ? लड़की ने कहा कि जो हुआ है वो कंपलेन में लिख दिया गया है। फिर लड़की को एक सादा कागज देकर कहा गया कि ये लिखो कि तुम्हें किसने बताया? ये लिखो कि कितने लोग थे, समय क्या था, मैम के साथ कितनी लड़कियां थीं…? बेवजह की चीजें।

 

कुलानुशासक (प्रॉक्टर) सूर्य प्रकाश पांडेय ने लड़की से कहा कि तुमने इशारे को ग़लत समझ लिया। फिर लड़की ने कमेटी के सामने इशारे करके दिखाया और कहा कि आप ही बता दीजिये इस इशारे का सही मतलब क्या है? लड़की ने कमेटी के लोगों को बताया कि जब इशारा होता है तो उसमें आईकॉन्टैक्ट का मतलब क्या होता है?

लड़का उस कमेटी में नहीं आया। जबकि उसे भी ठीक उसी समय बुलाया गया था। वॉर्डन ने बताया कि उसका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है। वॉर्डन ने कुलानुशासक से कहा कि वो लड़का कह रहा है कि उसका इनटेंशन ऐसा कुछ नहीं था, लेकिन अगर लड़की को ऐसा लगता है तो वो उससे माफ़ी मांग लेगा।

वहीं आरोपी लड़का अपने दोस्तों को बताता है कि वो अपनी टीशर्ट सही कर रहा था तो शायद उससे उस लड़की को लगा होगा कि वो उस तरह की हरकत कर रहा था। जबकि उसका वो इन्टेंशन नहीं था।

कुलानुशासक सूर्य प्रकाश पांडेय लड़की से आगे कहते हैं कि वो लड़का तुम्हारा जूनियर है। तुमसे छोटा है। उसको रूल रगुलेशन नहीं पता। कैसे-कैसे इलाके से आते हैं बच्चे? तुम समझ सकती हो। उसका फ्यूचर भी देखिए। इस पर लड़की ने प्रतिवाद करते हुए कहा- सर क्या फ्यूचर देखूं? कहीं अध्यापक बन गया तो अपनी छात्राओं को टॉर्चर करेगा। फिर कुलानुशासक कहते हैं यह कोई अच्छी बात नहीं। बताओ कि तुम चाहती क्या हो? हम उससे लिखित में लिखवा लेंगे। शपथ पत्र करवा लेंगे। होगा वही जो तुम चाहोगी। जब लड़की कुछ नहीं बोलती। तो उससे कहा जाता है कि जाओ। लड़की दो मिनट खड़ी रहती है क्योंकि वह उस लड़के का चेहरा देखना चाहती थी। लेकिन वहां उस लड़के के दोस्त खड़े होते हैं वो लड़का नहीं आता। लड़की कहती है वो चाहती थी कि लड़के को अपनी ग़लती रियलाइज हो।

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आरोपी लड़के के सुसाइड कर लेने और मनहानि केस करने की धमकी

लड़की को कभी भी किसी समय कॉलेज प्रशासन का फोनकॉल आ जाता है। उसी दिन 19 अप्रैल को उसे शाम 5:55 पर कॉल आता है और ऊपर आने को कहा जाता है। लड़की अपने एक दोस्त के साथ ऊपर जाती है। वीसी ऑफ़िस के बग़ल मौजूद संवाद कक्ष में। लड़की के दोस्त को बाहर ही खड़ा कर दिया जाता है। वहां लड़की को एक क्लिप दिखायी जाती है। क्लिप में एक बाइक पर तीन लड़के जाते दिखते हैं। और लड़की स्कीपिंग छोड़कर बाइक के पीछे भागती और गाड़ी का इंतज़ार करती दिख रही है। वो क्लिप बहुत दूर की थी। जिसमें क्लियरिटी का अभाव है। यहां तक कि लड़कों के कपड़े तक स्पष्ट नहीं दिख रहे हैं। लड़की ने जूम करने को कहा। जूम करने पर पिक्चर फट रहा है।

लड़की का आरोप है कि वहां उसे साइलेंटली वो क्लिप देखने तक नहीं दिया गया, टीचर उसे पीछे से पिंच करते रहे। इस अस्पष्ट क्लिप के आधार पर यूनिवर्सिटी प्रशासन लड़की को धमकाता है कि अब उसके साथ क्या किया जाये? लड़की से पूछा जाता है कि किसके कहने पर वह ये कर रही है? कौन है उसके पीछे? लड़की से यहां तक कहा जाता है कि उस लड़के को अब लड़की पर मानहानि का केस करना चाहिए।

एक अध्यापिका लड़की से कहती हैं कि तुम्हें पता भी है कि उस लड़के का हाथ अप्लीकेशन लिखने के समय काँप रहा था। कुलानुशासक कहते हैं कि तुम दो दिन से लड़के का हैरेसमेंट कर रही हो वो तो खुदकुशी कर लेगा। तुम जैसी लड़कियां ऐसे ही फंसाती हैं लड़कों को। वो लड़का बहुत आम परिवार से आता है। तुम्हारी वजह से मर जाएगा तो डिग्री खराब हो जाएगी तुम्हारी। वो आरोपी लड़के का पक्ष लेते हुए आगे कहते हैं कि वो बहुत शरीफ़ लड़का है। शिक्षित वाले परिवार से है। हमने उसके दोस्तों से बात की है।

[bs-quote quote=”दो दिन बाद रूममेट अर्चना रूम खाली करके दूसरे रूम में चली गयी। लड़की के साथ सबका व्यवहार ऐसा है कि जैसे लड़की ने कंपलेन करके ग़लती की है। सारे दोस्त कन्नी काट लिये हैं। लड़की अकेले संघर्ष कर रही है। कहीं लेटर देने, अपनी बात रखने जा रही है तो अकेले जा रही है। कोई उसके साथ खड़ा नहीं हो रहा है। छात्रों को डर है कि लड़की का साथ देने पर कॉलेज प्रशासन उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई कर सकता है। आलम यह है कि कोई दोस्त लड़की का फोन तक नहीं उठाता है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

इस मेंटल टॉर्चर के बाद लड़की परेशान हो उठी। उसे लगने लगा कि मानो उसने ही गुनाह कर दिया है। उसकी वजह से कोई लड़का मर जाएगा। उस पर मानहानि का केस होगा। लड़की डर जाती है कि घरवालों को ये सब पता चलेगा तो उसकी पढ़ाई-लिखाई छुड़ाकर शादी कर दी जाएगी। लड़की का माली हालत कोई बहुत अच्छा नहीं है। फेलोशिप रुकने पर दोस्तों से उधार लेकर काम चला रही है। पीएचडी की फीस इंटर्न करके भरी है।

उलटी कार्रवाई की धमकी देकर लिखवाया गया माफ़ीनामा

लड़की के मन में बैठे खौफ़ को माफ़ीनामा लिखवाने के लिए इस्तेमाल किया गया। कुलानुशासक ने पीड़ित लड़की से कहा कि माफ़ीनामा लिखो। अगर अभी माफ़ीनामा नहीं लिखोगी तो आगे कार्रवाई होगी। फिर सोच लो कि तुम्हारा क्या होगा? पीएचडी का भी सोच लो।

धमकी से लड़की इतना ज़्यादा डर गयी कि सोचने लगी कैसे इस पचड़े में पड़ गयी? लड़की से बोलकर लिखवाया गया कि उसे ये सब भ्रम हुआ था और वो अपनी कंपलेन वापस लेती है।

पीड़िता द्वारा कुलपति को दिया गया पत्रक

कुलपति के पास पहुंची लड़की

वहां से छूटते ही लड़की सीधे कुलपति रजनीश कुमार शुक्ल के पास मदद के लिए गयी। इस उम्मीद से कि वो इस मामले की संवेदनशीलता को समझेंगे। वीसी उस वक्त गेस्ट हाउस में थे और वहां उस वक्त 40-50 लोग थे। वीसी ने इशारा करके पूछा कि क्या बात है? लड़की ने इशारे से बताया कि बात करनी है। फिर उन्होंने पूछा कि किस मामले में तो लड़की ने अपनी शिक़ायत से लेकर क्लिप दिखाने तक की सारी बातें दोहरायी। लड़की ने बताया कि वीडियो फुटेज में वो चीजें नहीं हैं जो उसके साथ हुआ तो वीसी ने पहले कहा कि तो वो क्या करें? फिर उन्होंने किसी को इशारा किया कि इसे आधे घंटे का फुटेज दे दो। साथ ही उन्होंने लड़की से कहा कि अगर आरोप मिथ्या होंगे तो वो लड़की पर ही कार्रवाई करेंगे।

कुलपति के पास जाने का स्पष्टीकरण मांगा गया

अगले दिन लड़की को यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से एक लेटर ज़ारी किया गया, जिसमें लड़की को ही आरोपी बना दिया गया। लड़की से स्पष्टीकरण मांगा गया कि वो बिना अनुमति के वीसी से क्यों मिली? उससे पूछा गया कि जब उसने शिक़ायत वापस ले ली थी तो कुलपति के सामने सारी बातें फिर से क्यों दोहरायी? लेटर में लड़की से कहा गया कि लड़का आपके ऊपर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगा रहा है। तो हम आप पर कार्रवाई क्यों न करें?

स्पष्टीकरण में लड़की ने प्रशासन को लिखकर भेजा कि उसकी कंपलेन पर जो कार्रवाई की गयी है वो किस आधार पर की गयी है? जब कोई कमेटी नहीं, कोई समिति नहीं, कोई रिकॉर्डिंग नहीं है। कोई टाइम टेबल फॉलो नहीं किया गया। लड़की ने स्पष्टीकरण में कहा कि उसने जो शिकायत वापस ली है वो दबाव में ली है। वो अनौपचारिक समय था जब लड़की से ये सब लिखवाया गया था।

नई कमेटी में शामिल सदस्य

नयी समिति पर सवाल

लड़की ने जब अपने स्पष्टीकरण लेटर में समिति पर आरोप लगाया तो अगले दिन आईसीसी की समिति बनायी गयी। लड़की ने जिस अध्यापक रेनू सिंह पर दबाव बनाकर माफ़ीनामा लिखवाने का आरोप लगाया है उन्हें भी समिति में शामिल किया गया है। उस समिति में बच्चे भी वही शामिल किये गये हैं जो प्रशासन की साइड से हैं ऐसा पीड़ित लड़की का आरोप है। समिति आईसीसी के रेगुलेशन के खिलाफ़ है। रेनू सिंह जिन्होंने लड़की पर दबाव बनाने का आरोप है उन्हें समिति में शामिल किया गया है। रेनू सिंह सहायक प्राध्यापक हैं। जबकि आईसीसी रूल कहता है कि प्रोफ़ेसर ही समिति का सदस्य बन सकते हैं। बच्चों को चुनने की भी एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है लेकिन पूरी समिति एक दिन में बना दी गयी। इसके अलावा जेंडर स्टडीज विभाग के एक भी बच्चे को समिति में नहीं रखा गया। क्या समिति को एक भी बच्चा ऐसा नहीं मिला कि वो जेंडर के दृष्टिकोण से बात रख पाये।

समिति में लड़की को बुलाया तक नहीं गया। नयी समिति के बनने के बाद एक वॉट्सअप ग्रुप में छात्रों ने एक-दूसरे को बधाइयां दी। लेकिन समिति के बारे में वेबसाइट पर नहीं डाला गया। दरअसल, यूनिवर्सिटी में आईसीसी की समिति 2021 में बनायी गयी थी। जिसे तीन साल चलना था। एक समिति के होते दूसरी समिति कैसे बन सकती है? समिति में कुछ छात्र बदल सकते हैं लेकिन पूरी समिति कैसे बदल सकती है?

इसके बाद लड़की ने वीडियो फुटेज मुहैया करवाने को लेकर लिखित आवेदन डाला। लेकिन उसका कुछ रिप्लाई नहीं मिला। फिर 25 अप्रैल को लड़की ने लिखित आवेदन दिया कि जो नई समिति बनायी गयी है उसके आधार पर उसकी शिक़ायत सुनी जाये।

जिसके बाद प्रॉक्टर ने लड़की को रिप्लाई किया कि उसकी शिक़ायत इस समिति को दे दी गयी है। लड़की उनसे संपर्क करे। लेकिन लड़की को उस समिति का कोई कॉन्टैक्ट नंबर तक नहीं दिया गया। न ही ये बताया गया कि समिति में कौन-कौन हैं। आईसीसी का रूल कहता है कि सात दिन में पीड़िता के पास समिति जाएगी। लेटर आरोपी के पास जाएगा। लेकिन अभी तक लड़की को कोई रिप्लाई नहीं दिया गया। सब चुप हैं।

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मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए निकला हूं

वहीं, जेंडर स्टडीज विभाग के छात्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले एक अन्य मामले में कुलानुशासक (प्रॉक्टर) ने सार्वजनिक तौर पर कमेंट किया था कि लड़की तो बड़ी है छोटे लड़के ने कैसे पटा लिया?

अलग-थलग पड़ गयी लड़की

आशा मिश्रा जेंटर स्टडीज विभाग की हेड हैं। लड़की ने जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि मामला वर्धा का है वही लोग देखेंगे। इसमें वो क्या कर सकती हैं? और फिर बिना पूरे बात सुने उन्होंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया।

वहीं दो दिन बाद रूममेट अर्चना रूम खाली करके दूसरे रूम में चली गयी। लड़की के साथ सबका व्यवहार ऐसा है कि जैसे लड़की ने कंपलेन करके ग़लती की है। सारे दोस्त कन्नी काट लिये हैं। लड़की अकेले संघर्ष कर रही है। कहीं लेटर देने, अपनी बात रखने जा रही है तो अकेले जा रही है। कोई उसके साथ खड़ा नहीं हो रहा है। छात्रों को डर है कि लड़की का साथ देने पर कॉलेज प्रशासन उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई कर सकता है। आलम यह है कि कोई दोस्त लड़की का फोन तक नहीं उठाता है।

इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन का पक्ष और मामले में हुई कार्रवाई जानने के लिए यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कादर नवाज़ ख़ान से फोन पर संपर्क किया गया। उन्होंने फोन पर महात्मा गांधी विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार का ईमेल एड्रेस बताते हुए कहा कि जो जानकारी चाहिए वो ईमेल से मांगिए। उन्होने भरोसा भी दिलाया कि मामले में पूरी जानकारी ईमेल के जरिए दी जाएगी। ईमेल पर उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा है कि “प्रकरण लैंगिक उत्पीड़न के विरुद्ध आंतरिक शिक़ायत समिति को पीड़िता की मांग पर संदर्भित किया जा चुका है।”

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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