Monday, July 7, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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बिहार में ‘हर घर नल का जल’ की हकीकत : बरमा गांव की प्यास

पिछले कई वर्षों से हर घर नल जल योजना की धूम मची हुई है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता प्रचार के बिलकुल उलट है। लगातार बढ़ते साफ पानी के संकट के मद्देनज़र यह योजना एक मज़ाक बनकर रह गई है। बिहार के लाखों ग्रामीण गंदे और ज़हरीले पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं। गया जिले के बरमा गांव में पानी का कैसा संकट है और सरकार की योजना किस हालत में है इस पर नाज़िश मेहताब की रिपोर्ट।

अवधी में गानेवाली यूट्यूबर महिलाएं : कहीं गरीबी से रस्साकसी कहीं वायरल हो जाने की चाह

पिछले कुछ ही वर्षों में अवधी भाषी महिलाओं ने बड़ी संख्या में यूट्यूब पर अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है। यह ऐसी महिलाओं की कतार है जो निम्न मध्यवर्गीय और खेतिहर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और घर-गृहस्थी की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपने गीतों से एक बड़े दर्शक समूह को प्रभावित किया है। इनमें से कई अब पूर्णकालिक और स्टार यूट्यूबर बन चुकी हैं। अपने बचपन में सीखे गीतों को वे बिना साज-बाज के गाती हैं और लाखों की संख्या में देखी-सुनी जाती हैं। यू ट्यूब पर गाना उनके लिए न केवल अपनी आत्माभिव्यक्ति है बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता भी है। इसके लिए उन्होंने कठिन मेहनत किया है। परिवार के भीतर संघर्ष किया है। जौनपुर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर जिलों के सुदूर गांवों की इन महिलाओं पर अपर्णा की यह रिपोर्ट।

पॉल्ट्री उद्योग : अपने ही फॉर्म पर मजदूर बनकर रह गए मुर्गी के किसान

भारत में पॉल्ट्री फ़ार्मिंग का तेजी से फैलता कारोबार है। अब इसमें अनेक बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं जिनका हजारों करोड़ का सालाना टर्नओवर है लेकिन मुर्गी उत्पादक अब उनके बंधुआ होकर रह गए हैं। बाज़ार में डेढ़-दो सौ रुपये बिकनेवाला चिकन पॉल्ट्री फार्म से मात्र आठ रुपये किलो लिया जाता है। अब मुर्गी उत्पादक स्वतंत्र इकाई नहीं हैं। कड़े अनुबंध शर्तों पर वे कंपनियों के चूजे और चारे लेकर अपनी मेहनत से उन्हें पालते हैं और कंपनी तैयार माल उठा लेती है। मुर्गी उत्पादक राज्य और केंद्र सरकार से यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी नीतियाँ हमारे अनुकूल हों और हमें अपना उद्योग चलाने के लिए जरूरी सहयोग मिले। लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा? पूर्वांचल के पॉल्ट्री उद्योग पर अपर्णा की रिपोर्ट।

बलिया : 27 साल पहले बनी सड़क झाड़ियों में हुई गुम ग्रामीण ढूंढ रहे हैं रास्ता

सरकार नहरों के जीर्णोद्धार, मरम्मत के साथ-साथ नहरों के दोनों पटरियों पर सुगम आवागमन व्यवस्था की खातिर सड़क बनाने पर जोर दे रही है। दूसरी ओर बलिया जिले के बांसडीह तहसील क्षेत्र के सुखपुरा से सावन सिकड़िया, अपायल गांव तक जाने वाली महज पांच किलोमीटर दूरी की नहर की पटरी उपेक्षा का दंश झेलते हुए वीरान बनी हुई है। मानो वह इलाके के मानचित्र से बाहर हो चली है। जबकि इस नहर की पटरी वाली सड़क से कई गांवों के लोगों का आवागमन होता रहा है। यूं कहें कि यह लोगों की जीवन रेखा रही है। दिन हो या रात, पैदल सहित वाहनों का भी आवागमन होता रहा है, लेकिन ईट का खड़ंजा जो तकरीबन तीन दशक पहले बिछाया गया था (जिसके अंश कहीं कहीं दिखाई दे जाते हैं) उखड़ने के साथ ही अपना वजूद खो चुका है। सड़क का वजूद गुम हुआ तो उसका स्थान धीरे-धीरे जंगली झाड़ियों ने ले लिया। झाड़ियों के आगोश में  नहर की पटरी ही गुम हो गई।

चुनार पॉटरी उद्योग : कभी चमचमाता कारोबार अब एक भट्ठी की आस लिए बरबादी के कगार पर  

किसी ज़माने में चुनार के चीनी मिट्टी के बर्तनों की धाक बहुत दूर-दूर तक थी लेकिन आज वह अंतिम साँस ले रहा है। यहाँ के ज़्यादातर व्यवसायी खुर्जा से माल मंगाकर कर बेचते हैं। चुनार पॉटरी उद्योग के खत्म होने के पीछे एक अदद आधुनिक भट्ठी है जो बरसों की मांग के बावजूद नहीं लगाई जा सकी। नौकरशाही की अपनी अलबेली चाल है और व्यवसायियों की अपनी आर्थिक सीमाएं हैं। इन्हीं स्थितियों के कारण महज़ तीन-चार करोड़ की लागत वाली भट्ठी नहीं बन पाई जबकि भारत सरकार पूर्वांचल के विकास के लिए हजारों करोड़ की योजनाएँ घोषित कर चुकी है। एक भट्ठी के अभाव ने एक शहर की कारोबारी पहचान और हजारों लोगों की आजीविका छीन ली है। चुनार से लौटकर अपर्णा की रिपोर्ट

अब हम लोग क्या करें सुभाष भैया?

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार भारत में 6 मार्च  2000 से 20 नवंबर 2021 तक आतंकवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं में 14050 नागरिक, 7363 सुरक्षा बलों के सदस्य,23342 आतंकवादी/अतिवादी एवं 1195 अज्ञात लोगों समेत कुल 45950 लोग मारे गए हैं। हमारे लिए यह एक संख्या हो सकती है जिसकी घट-बढ़ पर हम अपनी पीठ थपथपा सकते हैं लेकिन इन हजारों परिवारों की त्रासदी को समझने के लिए हमें वृद्ध त्रिपाठी दंपत्ति के उदास चेहरे को बांचना होगा जिनका सब कुछ खत्म हो गया है।

पेयजल आपूर्ति बाधित होने के कारण आदर्श गाँव नागेपुर में ग्रामीणों ने किया विरोध-प्रदर्शन

पेयजल आपूर्ति बंद होने की वजह से नाराज ग्रामीणों ने गाँव में शनिवार को नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने जलकल विभाग को हिदायत देते हुए चेताया कि यदि जल्द ही आपरेटर को बकाया वेतन देकर पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं की गयी, तो ग्रामीण व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे; जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

पीएम के संसदीय क्षेत्र में सरकारी दावे महज काग़ज़ी, मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं गरीब

आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी इन गाँवों के ज़रूरतमंद व वंचित समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से रुबरू होने का अवसर ही नहीं मिला है। उपर्युक्त आरोप दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का है, जो गुरुवार को उक्त गाँवों का दौरा कर दलित, वंचित व जरुरतमंदों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों का जायजा ले रहे थे।

मुसहर समुदाय की ज़मीन हड़पने के लिए बिना पूर्व सूचना के बस्ती पर बुलडोजर चला दिया

इस गाँव के रहने वाले मुसहर जनजाति के लोग पिछले 9 दिनों से ठण्ड में खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। उन्हें लगातार निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा जगह छोडकर चले जाने की धमकी दी जा रही है जबकि उक्त ज़मीन पर चार बीघे से अधिक रकबे का पट्टा उनके नाम है।

बेघर हुए मुसहर जमीन वापस पाने तक नहीं मनायेंगे कोई पर्व-त्योहार

प्रशासन की लीला देखिए कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के करसड़ा गांव में मुसहरों की एक बस्ती हैं; जहाँ दीपावली के दिन खुशियों की जगह जिंदगी का संघर्ष ज्यादा नजर आता है। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूॅ कि करसड़ा गाँव के मुसहरों के घर को प्रशासन द्वारा बीते शुक्रवार को उजाड़ दिया गया था।

बाल बंधुआ से सामाजिक कार्यकर्ता बनने वाली सखुबाई की कहानी

‘संघटना’ के गांव में लाए जाने के पहले औरतें अपने पतियों द्वारा प्रताड़ित की जाती थीं। वे खेतों में कड़ी मेहनत करती हैं और जब पति घर लौटती है तो पति हुकुम चलाते हैं - पानी लाओ, दारु लाओ, आदि। ऊपर से पीटते भी हैं। अब संघटना के कारण बांदघर मे हम पतियों से नहीं डरतीं और न ही पुलिस और वन अधिकारियों से। पहले पति मुझे पीटा करते थे। अब मैं उनसे सीधे कह देती हूं कि अगर मुझ पर हाथ उठाया तो मेरा भी हाथ उठ जायेगा। मुझे तुमसे डर नहीं लगता, मैं भी पलटकर जवाब दूंगी।
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