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बिहार : ईंटों के बीच दबे भट्ठा मजदूरों की व्यथा
ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूर हमारी सभ्यता की नींव हैं। वे हमारी इमारतें बनाते हैं, हमारे घरों को खड़ा करते हैं, लेकिन उनके अपने घर रहने लायक नहीं होते। अगर हमें एक विकसित समाज बनाना है, तो हमें इन मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। वरना उनकी गरीबी की ये ईंटें हमेशा उनकी तरक्की का रास्ता रोकती रहेंगी।
रामपुर गांव : ‘क्राफ्ट हैंडलूम विलेज’ में बुनकरों का अधूरा सपना और टूटती उम्मीदें
रामपुर गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों कारीगरों और बुनकरों की कहानी है, जो सरकारी योजनाओं के अधूरे वादों और बाजार की बेरुखी के बीच फंसे हुए हैं। यह समय है कि सरकार और समाज मिलकर इनके सपनों को साकार करने के लिए कदम उठाए। अगर समय रहते इनकी मदद नहीं की गई, तो यह अद्वितीय कला और कौशल हमेशा के लिए खो जाएगा। पढ़िए नाजिश महताब की ग्राउंड रिपोर्ट।
बिहार में ‘हर घर नल का जल’ की हकीकत : बरमा गांव की प्यास
पिछले कई वर्षों से हर घर नल जल योजना की धूम मची हुई है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता प्रचार के बिलकुल उलट है। लगातार बढ़ते साफ पानी के संकट के मद्देनज़र यह योजना एक मज़ाक बनकर रह गई है। बिहार के लाखों ग्रामीण गंदे और ज़हरीले पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं। गया जिले के बरमा गांव में पानी का कैसा संकट है और सरकार की योजना किस हालत में है इस पर नाज़िश मेहताब की रिपोर्ट।
अवधी में गानेवाली यूट्यूबर महिलाएं : कहीं गरीबी से रस्साकसी कहीं वायरल हो जाने की चाह
अपर्णा -
पिछले कुछ ही वर्षों में अवधी भाषी महिलाओं ने बड़ी संख्या में यूट्यूब पर अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है। यह ऐसी महिलाओं की कतार है जो निम्न मध्यवर्गीय और खेतिहर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और घर-गृहस्थी की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपने गीतों से एक बड़े दर्शक समूह को प्रभावित किया है। इनमें से कई अब पूर्णकालिक और स्टार यूट्यूबर बन चुकी हैं। अपने बचपन में सीखे गीतों को वे बिना साज-बाज के गाती हैं और लाखों की संख्या में देखी-सुनी जाती हैं। यू ट्यूब पर गाना उनके लिए न केवल अपनी आत्माभिव्यक्ति है बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता भी है। इसके लिए उन्होंने कठिन मेहनत किया है। परिवार के भीतर संघर्ष किया है। जौनपुर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर जिलों के सुदूर गांवों की इन महिलाओं पर अपर्णा की यह रिपोर्ट।
पॉल्ट्री उद्योग : अपने ही फॉर्म पर मजदूर बनकर रह गए मुर्गी के किसान
अपर्णा -
भारत में पॉल्ट्री फ़ार्मिंग का तेजी से फैलता कारोबार है। अब इसमें अनेक बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं जिनका हजारों करोड़ का सालाना टर्नओवर है लेकिन मुर्गी उत्पादक अब उनके बंधुआ होकर रह गए हैं। बाज़ार में डेढ़-दो सौ रुपये बिकनेवाला चिकन पॉल्ट्री फार्म से मात्र आठ रुपये किलो लिया जाता है। अब मुर्गी उत्पादक स्वतंत्र इकाई नहीं हैं। कड़े अनुबंध शर्तों पर वे कंपनियों के चूजे और चारे लेकर अपनी मेहनत से उन्हें पालते हैं और कंपनी तैयार माल उठा लेती है। मुर्गी उत्पादक राज्य और केंद्र सरकार से यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी नीतियाँ हमारे अनुकूल हों और हमें अपना उद्योग चलाने के लिए जरूरी सहयोग मिले। लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा? पूर्वांचल के पॉल्ट्री उद्योग पर अपर्णा की रिपोर्ट।
बेघर हुए मुसहर जमीन वापस पाने तक नहीं मनायेंगे कोई पर्व-त्योहार
प्रशासन की लीला देखिए कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के करसड़ा गांव में मुसहरों की एक बस्ती हैं; जहाँ दीपावली के दिन खुशियों की जगह जिंदगी का संघर्ष ज्यादा नजर आता है। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूॅ कि करसड़ा गाँव के मुसहरों के घर को प्रशासन द्वारा बीते शुक्रवार को उजाड़ दिया गया था।
बाल बंधुआ से सामाजिक कार्यकर्ता बनने वाली सखुबाई की कहानी
‘संघटना’ के गांव में लाए जाने के पहले औरतें अपने पतियों द्वारा प्रताड़ित की जाती थीं। वे खेतों में कड़ी मेहनत करती हैं और जब पति घर लौटती है तो पति हुकुम चलाते हैं - पानी लाओ, दारु लाओ, आदि। ऊपर से पीटते भी हैं। अब संघटना के कारण बांदघर मे हम पतियों से नहीं डरतीं और न ही पुलिस और वन अधिकारियों से। पहले पति मुझे पीटा करते थे। अब मैं उनसे सीधे कह देती हूं कि अगर मुझ पर हाथ उठाया तो मेरा भी हाथ उठ जायेगा। मुझे तुमसे डर नहीं लगता, मैं भी पलटकर जवाब दूंगी।
वाराणसी के करसड़ा गांव की घटना पहुंची हाईकोर्ट
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की है कि पीड़ित 13 परिवारों को तत्काल इनकी जमीन पर बसाये जाने का आदेश पारित करते हुए सभी मूलभूत सुविधाएँ जैसे- आवास, राशन कार्ड, जॉब कार्ड आदि अविलंब बनवाने की भी व्यवस्था किया जाय। उधर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री मनोज राय 'धूपचंडी' ने उक्त मामले में लेखपाल नीलम प्रकाश के निलंबित हो जाने के बाद पीएमओ को ट्वीट करके यह मांग रखी है कि तहसीलदार, एसडीएम और डीएम को भी दोषी ठहराते हुए इनके ख़िलाफ़ भी उचित कार्रवाई की जाए।
घरविहीन हुए करसड़ा के मुसहरों ने न्याय के लिए किया सत्याग्रह
रोहनिया थाना क्षेत्र के करसड़ा गांव में बीते शुक्रवार को मुसहर परिवारों के घर राजस्व विभाग ने ढहवा दिया था। पीड़ितों का आरोप है...
करसड़ा से उजाड़े गये बाशिंदो ने सामाजिक संगठनों को सुनाया अपना दुःख
31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते शुक्रवार को करसड़ा मुसहर बस्ती से उजाड़े गये बाशिंदो से विभिन्न सामाजिक...
मुसहर बस्ती पर गरजा शासन का बुलडोजर, खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर लोग
अपर्णा -
13 वनवासी परिवारों के घरों को शुक्रवार को ही राजस्व विभाग ने पुलिस की मौजूदगी में अचानक जेसीबी से ढहवा दिया। इसके चलते इन 13 परिवारों के 60 से ज्यादा बच्चे-बूढ़े, पुरुष और महिलाएं ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।