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बिलकिस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय से न्याय की बहाली हुई है: खड़गे

बिलकिस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद एक बात तो सिद्ध हो गई कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन अन्ततः जीत उसी की होती है। बिलकिस बानो और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। मुम्बई हाईकोर्ट द्वारा 11 दोषियों को […]

बिलकिस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद एक बात तो सिद्ध हो गई कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन अन्ततः जीत उसी की होती है। बिलकिस बानो और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। मुम्बई हाईकोर्ट द्वारा 11 दोषियों को सुनायी गयी कैद की सजा का तोड़ निकालते हुए अपनी शक्ति का दुरूपयोग करते हुए गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2023  को दोषियों को रिहा कर दिया था। 21 साल पुराने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर सभी दोषियों को दो सप्ताह के अन्दर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस दौरान गुजरात सरकार को भी आड़े हाथो लिया। अदालत ने कहा कि दोषियों की माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी।

दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले के बाद से ही भाजपा सरकार पर अंगुलियां उठनी शुरू हो गयी थीं। एक तरफ भाजपा की मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चला रही है तो वहीं दूसरी तरफ बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले दोषियों को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है ।

इस बाबत कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खरगे कहते हैं उच्चतम न्यायालय के निर्णय से न्याय की बहाली हुई है। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘बेटी बचाओ बना दोषी बचाओ’! बिलकिस बानो मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला न्याय की बहाली है।’ उन्होंने दावा किया कि यह मोदी सरकार के गृह मंत्रालय व गुजरात सरकार के कुकृत्यों का पर्दाफ़ाश करता है तथा यह दिखाता है कि चुनाव जीतने के लिए कैसे भाजपा, एक महिला को न्याय से कोसों दूर रख सकती है। खरगे ने यह भी कहा, ‘देश की हर एक महिला को आज पता चल गया है कि भाजपा की महिला-विरोधी मानसिकता कितनी घृणित व दूषित है। बिलकिस बानो ने जो संघर्ष किया है, वो व्यर्थ नहीं हुआ।’

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा  चुनावी फायदे के लिए न्याय की हत्या की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘चुनावी फायदे के लिए ‘न्याय की हत्या’ की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है। आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि ‘अपराधियों का संरक्षक’ कौन है।’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को सजा में दी गई छूट को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘मजबूत और साहसिक’ करार दिया। बनर्जी ने दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप में कहा, ‘मैं इस मजबूत और साहसिक फैसले के लिए उच्चतम न्यायालय की आभारी हूं। इससे साबित होता है कि बलात्कारी खुलेआम घूम रहे थे और सत्ता का आनंद ले रहे थे।’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस बाबत कहा ‘शीर्ष अदालत के आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों से पर्दा हट गया है।’

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा ‘अब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को देश की बेटियों से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि वह बेनकाब हो चुकी है।’ अलका ने कहा, ‘जब देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त, 2022 को लाल किले से ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ पर भाषण दे रहे थे, तो उधर गुजरात में बिलकीस बानो के बलात्कारियों की रिहाई हो रही थी। पहले इन बलात्कारियों का स्वागत विश्व हिंदू परिषद के दफ्तर में किया गया और बाद में भाजपा के सांसदों-विधायकों ने इनके साथ मंच साझा किए।’ उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेताओं को देश की करोड़ों बेटियों से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि भाजपा आज बेनकाब हो चुकी है।’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा के महासचिव डी राजा ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर  अदालत के फैसले के बारे में एक खबर को साझा करते हुए लिखा कि उच्चतम न्यायालय की  टिप्पणी है कि बिलकीस बानो मामले में दोषियों को माफी ‘धोखाधड़ी और तथ्यों को दबाकर’ प्राप्त की गई थी, ने भाजपा के महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के खोखले दावों को उजागर कर दिया है।’

उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि आदेश ‘ घिसा पिटा’ था और इसे बिना सोचे-समझे पारित किया गया था।

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