उत्तर प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद, एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस मुक्त भारत और कांग्रेस युक्त भाजपा की चर्चा होने लगी है। चर्चा आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने को लेकर ही नहीं हो रही है बल्कि चर्चा कांग्रेस के वरिष्ठ और कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद को लेकर भी हो रही है, क्योंकि आजाद को 26 जनवरी के दिन पदम पुरस्कार से नवाजा गया है। गुलाम नबी आजाद को पदम पुरस्कार से नवाज जाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में इस रूप में भी सुनाई देने लगी है कि क्या गुलाम नबी आजाद भी कांग्रेस को अलविदा कह देंगे? आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने और गुलाम नबी आजाद को पदम पुरस्कार से सम्मानित करने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी हो रही है। लेकिन क्या यह चर्चा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से जोड़कर करना पूरी तरह से उचित है या देश में भविष्य की राजनीति को लेकर चर्चा भी होनी चाहिए?
कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा केंद्र की सत्ता पर राज करने का गौरव भी भाजपा को प्राप्त है, अटल बिहारी वाजपेई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों को गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं के कारण कांग्रेस खत्म हो जाएगी या भाजपा कांग्रेस युक्त हो जाएगी? ऐसा दोनों ही संदर्भ में नहीं होगा ना तो कांग्रेस मुक्त होगी और नाहीं भाजपा कांग्रेस युक्त होगी।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत का निर्माण का सपना कांग्रेस के नेताओं के बगैर अधूरा है? या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सपने को साकार करने के लिए कांग्रेस के नेताओं को भाजपा में शामिल करवा कर भारत के नव निर्माण और नए इतिहास का गवाह बनाना चाहते हैं?
भाजपा ने 2014 में पहली बार देश में गैर कांग्रेसी पार्टी की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना कर इतिहास लिखा था 2019 में भाजपा ने इस इतिहास को प्रचंड बहुमत की जीत के साथ दूसरी बार लिखा था, 2024 में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और इतिहास लिखने जा रहे हैं, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और डॉक्टर मनमोहन सिंह के बाद नरेंद्र मोदी वह नेता होंगे जिन्होंने लगातार 10 साल तक प्रधानमंत्री का दायित्व संभाला। और इसके आगे नरेंद्र मोदी क्या पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की बराबरी कर पाएंगे या उन से भी आगे निकल कर नया इतिहास लिखेंगे यह अभी भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है, लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे तो नया इतिहास रचने केही दिखाई दे रहे हैं, सवाल वही है क्या कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के सपने के गवाह बनेंगे? कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जो नेता शामिल हो रहे हैं, वह ऐसे नेता हैं जो खानदानी कांग्रेसी हैं जिनके पूर्वज आजादी के आंदोलन से लेकर आजादी के बाद भारत के नव निर्माण में सहयोगी रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद, बहुगुणा आरपीएन सिंह यह ऐसे नेता हैं जिनके पूर्वजों ने कांग्रेस की विरासत को आगे बढ़ाया और मजबूत किया।
कांग्रेस का अपना एक इतिहास है, कांग्रेस को देश की सबसे पुरानी पार्टी होने का गौरव प्राप्त है। कांग्रेस आजादी से पहले की पार्टी है जबकि भाजपा का निर्माण आजादी के कई सालों बाद में हुआ है। भारतीय राजनीति में कम समय में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास भी लिखे।
कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा केंद्र की सत्ता पर राज करने का गौरव भी भाजपा को प्राप्त है, अटल बिहारी वाजपेई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों को गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं के कारण कांग्रेस खत्म हो जाएगी या भाजपा कांग्रेस युक्त हो जाएगी? ऐसा दोनों ही संदर्भ में नहीं होगा ना तो कांग्रेस मुक्त होगी और नाहीं भाजपा कांग्रेस युक्त होगी।
